मंडी: ब्रिटिश राज में साल 1925 में शानन पावर प्रोजेक्ट को लेकर मंडी के राजा जोगेंद्र सेन ने 99 साल का करार किया था. पहले यह हिस्सा पंजाब में था,लेकिन अब हिमाचल में है. अगले साल यानी 2024 में करार पूरा होना है. वहीं, इसको लेकर अब हिमाचल और पंजाब सरकार अपना-अपना हक जताने में जुट गए है. हिमाचल सरकार के मुखिया सुखविंदर सिंह पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान से मिलकर कुछ दिनों पहले अपनी बात कह चुके हैं. वहीं, अधिकारियों ने भी पंजाब सरकार के साथ पत्राचार शुरू कर दिया है, लेकिन पंजाब सरकार इसे हिमाचल को देने के मूड में फिलहाल दिखाई नहीं देती.
पंजाब के पावर व पीडब्ल्यूडी मंत्री ने किया निरीक्षण: शुक्रवार को पंजाब के पावर व पीडब्ल्यूडी मंत्री हरभजन सिंह ने एशिया की पहली जोगिंदर नगर में चल रही शानन जल विद्युत परियोजना का निरीक्षण किया. उन्होंने इस मौके पर पावर प्रोजेक्ट अधिकारियों के साथ बैठक कर उनकी समस्याओं को जाना और प्रोजेक्ट में चल रहे रखरखाव को लेकर भी जानकारी ली.
पंजाब सरकार परियोजना को लेकर गंभीर: पत्रकारों से बातचीत करते हुए पंजाब के मंत्री हरभजन सिंह ने कहा कि पंजाब पुनर्गठन एक्ट 1966 के तहत विद्युत परियोजना पंजाब के हिस्से आई थी. उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार लंबे समय से इस परियोजना को संचालित कर रही है और 110 मेगावाट विद्युत उत्पादन किया जा रहा है. पंजाब सरकार ही इस परियोजना का रखरखाव कर रही है. इस जल विद्युत परियोजना को लेकर पंजाब सरकार गंभीर है और प्रोजेक्ट के अंदर जो भी कमियां होंगी उन्हें जल्द ठीक किया जाएगा.
120 मेगावट बिजली उत्पादन के लिए कसरत शुरू: 1932 में 66 मेगावाट विद्युत उत्पादन वाली इस परियोजना में 1982 में 110 मेगावाट का विद्युत उत्पादन शुरू हो गया था. अब इस विद्युत परियोजना में 120 मेगावाट से अधिक का उत्पादन बढ़ाने के लिए पंजाब विद्युत बोर्ड ने कसरत शुरू कर दी है.
एक सदी पुरानी मशीन पर खर्चा 22 करोड़ : कुछ दिन पहले करीब एक सदी पुरानी मशीनरी को ठीक करने के लिए 22 करोड़ रुपया पंजाब सरकार ने खर्चा है. अब स्विचयार्ड की मरम्मत के लिए 1 करोड़ की राशि खर्च की जा रही है.अन्य परियोजनाओं के ग्रिड अचानक फेल होने से दोनों राज्यों में ब्लैक आउट की आशंकाओं को दूर कर 132 केवी स्विचयार्ड के आउटलेट और अन्य विद्युत उपकरणों को नए सिरे से स्थापित किया जा रहा है.
शानन पावर प्रोजेक्ट की कहानी: साल 1933 में 10 मार्च को परियोजना का शुभारंभ हुआ. अंग्रेजी हुकूमत के समय मंडी रियासत के राजा जोगेंद्र सेन ने समझौता किया. जानकारी के मुताबिक यह करार राजा व सेक्रेटरी ऑफ स्टेट इन इंडिया के बीच हुआ था. इस दौरान प्रोजेक्ट की लीज 99 साल थी और इस परियोजना को हिमाचल को हस्तांतरित होना था. शानन प्रोजेक्ट पर उस समय लागत की बात की जाए तो 2.53 करोड़ रुपए से अधिक खर्च हुआ था.
पूर्व सीएम शांता कुमार उठाते रहे मुद्दा: पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार समय-समय पर इस मसले को उठाकर हिमाचल के साथ अन्याय होना बताते रहे है. वहीं, शांता कुमार ने पूर्व पीएम मोरारजी देसाई के समक्ष भी इस मुद्दे को उठा चुके है. पंजाब पुनर्गठन एक्ट के मुताबिक 1966 से अभी तक इस प्रोजेक्ट से होने वाली आय पंजाब सरकार के खाते में जाती रही है. पंजाब पुनर्गठन एक्ट के मुताबिक लीज खत्म होने के बाद जो संपत्ति जिस प्रदेश में स्थित होगी, वह उसी राज्य की होगी. लेकिन फिलहाल पंजाब की ओर से इसे लेकर रुख साफ नहीं किया गया है.
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