मंडी: हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में पर्यटक 2 माह तक हेरिटेज ट्रॉली के रोमाचंक सफर का लुत्फ 2 माह तक नहीं उठा सकेंगे. दरअसल, शानन विद्युत परियोजना प्रबंधन ने ट्रॉली के आधारभूत ढांचे में बदलाव को लेकर यह निर्णय लिया है. पंजाब राज्य विद्युत बोर्ड द्वारा हेरिटेज ट्रॉली को नए स्वरूप दिलाने के लिए लाखों रुपये की धनराशी खर्च की जा रही है. शानन परियोजना में कार्यरत कनिष्ठ अभियंता आदित्य ने बताया कि लकड़ी और लोहे से बनी पुरानी ट्रॉली को मेट्रो ट्रेन की तरह विकसित किया जाए. वहीं, अनुभवी कारीगरों के द्वारा ट्रॉली के आधारभूत ढांचे का मरम्मत कार्य शुरू कर दिया गया है. बता दें, यह एशिया का पहला रोपवे पर दौड़ने वाली हेरिटेज ट्रॉली है. जिसे सन 1926 में अंग्रेजी शासनकाल मे दौरान मंडी के जोगेंद्र नगर बनाया गया था.
दरअसल, कनिष्ठ अभियंता आदित्य ने बताया कि अनुमानित दो करोड़ रुपये की धनराशि हाॅलेज रोपवे के जीर्णाेद्धार पर खर्च किए जा चुके हैं. इससे पूर्व 1600 मीटर स्टील रोपवे को भी बदला जा चुका है. ताकि रोमांच का सफर और भी सुरक्षित हो सके. 18 नंवबर तक करीब डेढ किलोमीटर हाॅलेज रोपवे पर स्टील रोप को बदलने और अन्य मरम्मत कार्य के चलते ट्राली की आवाजाही पर्यटकों और आम नागरिकों के लिए फिलहाल उपलब्ध नहीं हो सकेगी. जबकि पैन स्टॉक की निगरानी के लिए ट्रॉली में परियोजना के कर्मचारी आपात समय में आवागमन कर सकेगें. शानन परियोजना के एसई राजेश कुमार ने बताया कि हेरिटेज ट्रॉली के नए आधारभूत ढांचे को मेट्रो की लुक दी जा रही है. आने वाले समय में नए ट्रॉली से करीब 15 से 20 लोग एक साथ सफर कर सकेगें.
जल्द बरोट तक दौड़ेगी ट्रॉली: इस हेरिटेज ट्रॉली को बरोट तक चलाने पर भी परियोजना प्रबंधन ने हामी भरी है. बरोट के खस्ताहाल ट्रैक को चुस्त दुरूस्त कर ट्रॉली बरोट तक पहुंचाने पर भी मंथन शुरू हुआ है. बता दें कि कांउटर वेट टैक्नोलाॅजी के माध्यम से उस दौरान 110 शानन पावर हाउस के निर्माण में इस्तेमाल होने वाली भारी भरकम मशीनरी को बरोट स्थित रेजर वायर में पहुंचाने के लिए इस्तेमाल में लाया गया था. मौजूदा समय में परियोजना के पैन स्टाॅक और पाइप लाइन की देखरेख और मरम्मत हेतु हेरिटेज ट्रॉली को परियोजना के कर्मचारियों के लिए प्रयोग किया जाता है.