सराज: समुद्रतल से करीब 7000 फीट ऊंचाई पर हिमाचल प्रदेश में सराज स्थित थुनाग के सुरागी गांव में माता हडिंबा आज अपने नवनिर्मित कोठी में विराजमान हो गईं. काष्ठ शैली में अद्भुत कलाकृति से निर्मित इस भव्य कोठी का सराज के आराध्य देव काला कामेश्वर की अगुवाई में प्रतिष्ठा (शुद्धिकरण) किया गया. माता के इस भव्य कोठी के निर्माण में करीब चार साल का वक्त लगा है.
शनिवार रात और रविवार को थुनाग के सुरागी गांव में भव्य समारोह के बाद माता हडिंबा अपनी कोठी में विराजमान हुई. रविवार को प्रतिष्ठा के देव कारज के बाद करीब सवा 7 बजे माता अपने कोठी में विराजमान हुई, जिसके बाद माता हडिंबा को श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए कोठी के बाहर रखा गया, इस दौरान माता के दर्शन के लिए भक्तों का तांता लग गया. भक्तों ने धूप जलाकर अपने इष्ट कुल के आशीर्वाद प्राप्त किए, जिसके बाद एक धाम का आयोजन किया गया, जिसमें करीब 3 हजार से ज्यादा लोगों ने धाम का स्वाद चखा.
कोठी की प्रतिष्ठा के अवसर पर सराज के आराध्य देव काला कामेश्वर बतौर मुख्य अतिथि मौजूद रहे, जिनकी रहनूमाई में सारा देव कारज किया गया. देवता का शनिवार और रविवार को सारा देव कारज पूरा किया गया. कोठी की प्रतिष्ठा के अवसर पर आए लोगों और सराज के सभी देथल के देवी देवता की ओर से आए कमेटी सदस्य जिसमें गूर पुजारी कटवाल को पगू पहनाकर स्वागत किया गया. ये पगू देवी को समर्पित किए गए होते हैं.
देवता कमेटी के सदस्य पैनी ठाकुर ने कहा कि पिछले दिनों दो और तीन नवंबर को कोठी की प्राण प्रतिष्ठा होनी तय थी, लेकिन गांव में एक बुजुर्ग की मौत होने की वजह से इसे टाल दिया गया था, जो अब 26-26 नवंबर को संपन्न हुई है. मंदिर निर्माण कमेटी के सचिव वीरेंद्र ठाकुर हैप्पी ने कहा माता का मंदिर लगभग 75 लाख की लागत से साढ़े चार साल में बनकर तैयार हुआ है, जिसमें थुनाग, सुरागीधार, बुखलवार, ओड़ी धार और मुघाण खुमरार के साथ-साथ सराज के लोगों ने भी बढ़-चढ़कर कर भाग लिया. करोना काल के कारण इस कोठी को बनाने में ज्यादा समय लगा.
उन्होंने यह भी बताया कि मंदिर निर्माण के लिए देवता के देवलुओं कारकूनों ने अपनी ऐच्छिक निधि से पैसा दिया और श्रमदान भी किया है. मंदिर निर्माण में लगभग तीन से पांच मिस्त्री लगातार डटे रहे. वह निर्माण के दौरान निराहार रहते हुए एक समय में ही फलाहार लेते थे. माता हडिंबा के गूर टेक सिंह ठाकुर ने बताया कि सराज और बाहर से देवता के पास आने वाले श्रद्धालुओं ने निस्वार्थ मंदिर निर्माण के लिए अपना योगदान दिया है.
देवी हडिंबा की नवनिर्मित कोठी काष्ठ शिल्प का बेजोड़ नमूना है. मुख्य द्वार पर बने देवी दुर्गा के नौ रूप इसकी सुंदरता में चार चांद लगाती है. इस नवनिर्मित कोठी में करीब 11 देवदार के पेड़ से काष्ठ शिल्पकार मिस्त्री द्वारा भव्य काष्ठ शैली का बेजोड़ नमूना पेश किया गया है. मुख्य द्वार पर लकड़ी के ऊपर बनाए गए गणेश और द्वार के चारों ओर मुख्य द्वार पर बने देवी दुर्गा के नौ रूप व ब्रम्हा, विष्णु, महेश कोठी पर चार चांद लगाते हैं. देवी हडिंबा के रथ के बैठने की जगह पर मां दुर्गा की चार फीट ऊंची प्रतिमा मंदिर की निकासी पर चार चांद लगाती है. माता हडिंबा की नवनिर्मित कोठी थुनाग बाजार से करीब एक किलोमीटर दूर सुरागी गांव में स्थित है. सड़क से 100 सीढ़ी चढ़ते ही माता के कोठी के दर्शन हो जाते हैं.
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