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सरकाघाट क्षेत्र में बड़े ही धूमधाम से मनाया गया सायर उत्सव

कोरोना महामारी के बीच घर पर मौजूद सरकाघाट क्षेत्र के लोगों इस बार सायर उत्सव बड़े जोर शोर से मनाया. क्षेत्र के बुजूर्ग लोगों ने बताया कि बदलते जमाने के साथ बेशक लोग प्राचीन त्योहारों को भूलते जा रहे हैं, लेकिन इस बार कोरोना महामारी में भी लोगों को इस पर्व को बड़े चाव के साथ मनाते देखा गया.

sair festival
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Published : Sep 16, 2020, 10:11 PM IST

Updated : Sep 24, 2020, 4:45 PM IST

सरकाघाट: सायर उत्सव मंडी जिला का बहुत प्रसिद्ध उत्सव है और यह बहुत ही चाव के साथ मनाया जाता है. इस बार 16 सितंबर को यह मनाया गया. हालांकि सायर उत्सव प्रदेश के अलग-अलग जिलों और हिस्सों में यह अलग अलग अंदाज से मनाया जाता है.

सरकाघाट क्षेत्र में सायर उत्सव भी यह बहुत ही चाव के साथ मनाया गया. 15 सितंबर को लोगों ने सैर को अपने घरों में रखा और रात को पूरे विधि विधान के साथ इसका पूजन किया. सुबह पूजन के बाद सैर को कई तहर के पकवान चढ़ाए गए.

क्षेत्र के बुजूर्ग लोगों ने बताया कि बदलते जमाने के साथ बेशक लोग प्राचीन त्योहारों को भूलते जा रहे हैं, लेकिन इस बार कोरोना महामारी में भी लोगों को इस पर्व को बड़े चाव के साथ मनाते देखा गया. बुधवार को शाम के समय क्षेत्र के नदी, खड्डों और प्राकृतिक जल स्त्रोतों के पास सैर को प्रवाहित किया गया.

बता दें कि हर साल जब बरसात के बाद जब धान, मक्की और अन्य फसलें तैयार हो जाती हैं, तो इन सभी फसलों का पूजन किया जाता है और इसे ह‌ी 'सैर' का पूजन कहा जाता है. इस बार भी यह पर्व श्रद्धाभाव से मनाया गया.

पढ़ें: कोरोना की भेंट चढ़ा अर्की का सायर मेला, मात्र परंपराओं का हुआ निर्वहन

सरकाघाट: सायर उत्सव मंडी जिला का बहुत प्रसिद्ध उत्सव है और यह बहुत ही चाव के साथ मनाया जाता है. इस बार 16 सितंबर को यह मनाया गया. हालांकि सायर उत्सव प्रदेश के अलग-अलग जिलों और हिस्सों में यह अलग अलग अंदाज से मनाया जाता है.

सरकाघाट क्षेत्र में सायर उत्सव भी यह बहुत ही चाव के साथ मनाया गया. 15 सितंबर को लोगों ने सैर को अपने घरों में रखा और रात को पूरे विधि विधान के साथ इसका पूजन किया. सुबह पूजन के बाद सैर को कई तहर के पकवान चढ़ाए गए.

क्षेत्र के बुजूर्ग लोगों ने बताया कि बदलते जमाने के साथ बेशक लोग प्राचीन त्योहारों को भूलते जा रहे हैं, लेकिन इस बार कोरोना महामारी में भी लोगों को इस पर्व को बड़े चाव के साथ मनाते देखा गया. बुधवार को शाम के समय क्षेत्र के नदी, खड्डों और प्राकृतिक जल स्त्रोतों के पास सैर को प्रवाहित किया गया.

बता दें कि हर साल जब बरसात के बाद जब धान, मक्की और अन्य फसलें तैयार हो जाती हैं, तो इन सभी फसलों का पूजन किया जाता है और इसे ह‌ी 'सैर' का पूजन कहा जाता है. इस बार भी यह पर्व श्रद्धाभाव से मनाया गया.

पढ़ें: कोरोना की भेंट चढ़ा अर्की का सायर मेला, मात्र परंपराओं का हुआ निर्वहन

Last Updated : Sep 24, 2020, 4:45 PM IST
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