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दूसरों को दिलासे...चहेतों को रेवड़ियां और बताशे, PR एजेंसी पर लाखों लुटा रहा IIT मंडी - मंडी पीआर एजेंसी मामला

आईआईटी मंडी का एक और कारनामा सामने आया है. इस बार फिजूलखर्ची का कच्चा चिट्ठा आरटीआई से उजागर हुआ है.

IIT mandi PR agency
PR एजेंसी पर लाखों लुटा रहा IIT मंडी
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Published : Jan 21, 2020, 1:57 PM IST

मंडी: भाई-भतीजावाद और गोलमाल के आरोपों से घिरे आईआईटी मंडी का एक और कारनामा सामने आया है. इस बार फिजूलखर्ची का कच्चा चिट्ठा आरटीआई से उजागर हुआ है. आरटीआई से खुलासे में पता चला है कि आइआइटी मंडी एक पीआर एजेंसी पर हर महीने पौने दो लाख रूपए खर्च कर रहा है.

बता दें कि संस्थान के ही पूर्व कर्मचारी सुजीत स्वामी ने आरटीआई के तहत जानकारी मांगी थी. इस मामले में आईआईटी मंडी ने जानकारी देने से इनकार किया था. इसके बाद सुजीत स्वामी ने केंद्रीय सूचना आयोग का दरवाजा खटखटाया. इसके बाद आइआइटी मंडी ने जुलाई 2018 से लेकर नवंबर 2019 तक पीआर एजेंसी को दिए गए पैसों की जानकारी दी. इस अवधि के दौरान एजेंसी को 30 लाख 29 हजार 676 रूपयों का भुगतान किया जा चुका है, यानि अनुमान में हर महीने पीआर एजेंसी पर 1 लाख 78 हजार रूपयों का भुगतान किया जा रहा है.

IIT mandi PR agency fraud
PR एजेंसी पर लाखों लुटा रहा IIT मंडी

पूर्व कर्मचारी सुजीत स्वामी ने कहा कि घोटालों को छुपाने के लिए आईआईटी मंडी हायर की गई पीआर एजेंसी पर जनता के पैसों को लुटा रहा है. संस्थान में सरकारी स्तर पर तैनात पब्लिक रिलेशन ऑफिसर को भी लाखों रूपयों की सैलरी दी जा रही है. इसके बावजूद अलग से पीआर एजेंसी हायर कर जनता के पैसों की बर्बादी की जा रही है. सुजीत स्वामी ने केंद्र सरकार से पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग उठाई है.

वहीं, प्रेस क्लब मंडी के प्रधान अंकुश सूद ने भी इसे फिजूलखर्ची बताया है. अंकुश सूद ने कहा कि पीआर एजेंसी पत्रकारों के साथ किसी भी तरह का तालमेल नहीं रखती. पत्रकारों को भी किसी खबर के संदर्भ में आइआइटी के पक्ष पर जानकारी उपलब्ध नहीं करवाई जाती या फिर देरी से जानकारी दी जाती है. विशेषकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के साथ कोई तालमेल नहीं रखा जा रहा. अंकुश सूद ने भी इस फिजूलखर्ची पर रोक लगाने और मामले की जांच करवाने की मांग उठाई है.

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ये भी पढ़ें: 10 फरवरी तक सड़कों को करे दुरस्त NHAI, डीसी मंडी ने दिए निर्देश

मंडी: भाई-भतीजावाद और गोलमाल के आरोपों से घिरे आईआईटी मंडी का एक और कारनामा सामने आया है. इस बार फिजूलखर्ची का कच्चा चिट्ठा आरटीआई से उजागर हुआ है. आरटीआई से खुलासे में पता चला है कि आइआइटी मंडी एक पीआर एजेंसी पर हर महीने पौने दो लाख रूपए खर्च कर रहा है.

बता दें कि संस्थान के ही पूर्व कर्मचारी सुजीत स्वामी ने आरटीआई के तहत जानकारी मांगी थी. इस मामले में आईआईटी मंडी ने जानकारी देने से इनकार किया था. इसके बाद सुजीत स्वामी ने केंद्रीय सूचना आयोग का दरवाजा खटखटाया. इसके बाद आइआइटी मंडी ने जुलाई 2018 से लेकर नवंबर 2019 तक पीआर एजेंसी को दिए गए पैसों की जानकारी दी. इस अवधि के दौरान एजेंसी को 30 लाख 29 हजार 676 रूपयों का भुगतान किया जा चुका है, यानि अनुमान में हर महीने पीआर एजेंसी पर 1 लाख 78 हजार रूपयों का भुगतान किया जा रहा है.

IIT mandi PR agency fraud
PR एजेंसी पर लाखों लुटा रहा IIT मंडी

पूर्व कर्मचारी सुजीत स्वामी ने कहा कि घोटालों को छुपाने के लिए आईआईटी मंडी हायर की गई पीआर एजेंसी पर जनता के पैसों को लुटा रहा है. संस्थान में सरकारी स्तर पर तैनात पब्लिक रिलेशन ऑफिसर को भी लाखों रूपयों की सैलरी दी जा रही है. इसके बावजूद अलग से पीआर एजेंसी हायर कर जनता के पैसों की बर्बादी की जा रही है. सुजीत स्वामी ने केंद्र सरकार से पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग उठाई है.

वहीं, प्रेस क्लब मंडी के प्रधान अंकुश सूद ने भी इसे फिजूलखर्ची बताया है. अंकुश सूद ने कहा कि पीआर एजेंसी पत्रकारों के साथ किसी भी तरह का तालमेल नहीं रखती. पत्रकारों को भी किसी खबर के संदर्भ में आइआइटी के पक्ष पर जानकारी उपलब्ध नहीं करवाई जाती या फिर देरी से जानकारी दी जाती है. विशेषकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के साथ कोई तालमेल नहीं रखा जा रहा. अंकुश सूद ने भी इस फिजूलखर्ची पर रोक लगाने और मामले की जांच करवाने की मांग उठाई है.

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Intro:मंडी। भाई-भतीजावाद और गोलमाल के आरोपों से घिरे आइआइटी मंडी का एक और कारनामा सामने आया है। इस बार फिजूलखर्ची का कच्चा चिट्ठा आरटीआई से मिली जानकारी के माध्यम से उजागर हुआ है। खुलासा हुआ है कि आइआइटी मंडी ने जिस पीआर एजेंसी को हाॅयर किया है उसपर हर महीने पौने दो लाख रूपए फिजूल के खर्च किए जा रहे हैं। संस्थान के ही पूर्व कर्मचारी सुजीत स्वामी ने इस संदर्भ में आरटीआई के तहत जानकारी मांगी थी। Body:आइआइटी मंडी ने कमर्शियल सिक्रेट बताते हुए जानकारी देने से इनकार कर दिया। सुजीत स्वामी ने इसके लिए केंद्रीय सुचना आयोग का दरवाजा खटखटाया। जब वहां से डंडा पड़ा तो आइआइटी ने जुलाई 2018 से लेकर नवंबर 2019 तक पीआर एजेंसी को दिए गए पैसों का जानकारी दी। इस अवधि के दौरान एजेंसी को 30 लाख 29 हजार 676 रूपयों का भुगतान किया जा चुका है। अगर इसका मासिक अनुमान लगाएं तो हर महीने पीआर एजेंसी पर 1 लाख 78 हजार रूपयों का भुगतान किया जा रहा है। पूर्व कर्मचारी सुजीत स्वामी का कहना है कि घोटालों और घपलों को छुपाने के लिए आइआइटी ने जिस पीआर एजेंसी को हाॅयर किया है उसपर जनता के पैसों को लुटाया जा रहा है। संस्थान में सरकारी स्तर पर पब्लिक रिलेशन आॅफिसर तैनात है और उसे भी लाखों रूपयों की सैलरी दी जा रही है। बावजूद इसके अलग से पीआर एजेंसी हाॅयर करके जनता के पैसों की बर्बादी की जा रही है। इन्होंने केंद्र सरकार से इस पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग उठाई है। वहीं प्रेस क्लब मंडी के प्रधान अंकुश सूद ने भी इसे फिजूलखर्ची बताया है। अंकुश सूद का कहना है कि पीआर एजेंसी पत्रकारों के साथ किसी भी प्रकार का तालमेल नहीं रखती। यदि किसी पत्रकार को अपनी किसी खबर के संदर्भ में आइआइटी का पक्ष चाहिए हो या कोई अन्य जानकारी चाहिए हो तो उसे या तो समय पर उपलब्ध नहीं करवाया जाता या फिर दिया ही नहीं जाता। विशेषकर इलैक्ट्रानिक मीडिया के साथ कोई तालमेल नहीं रखा जा रहा। अंकुश सूद ने भी इस फिजूलखर्ची पर रोक लगाने और मामले की जांच करवाने की मांग उठाई है।Conclusion:
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