मंडी: भाई-भतीजावाद और गोलमाल के आरोपों से घिरे आईआईटी मंडी का एक और कारनामा सामने आया है. इस बार फिजूलखर्ची का कच्चा चिट्ठा आरटीआई से उजागर हुआ है. आरटीआई से खुलासे में पता चला है कि आइआइटी मंडी एक पीआर एजेंसी पर हर महीने पौने दो लाख रूपए खर्च कर रहा है.
बता दें कि संस्थान के ही पूर्व कर्मचारी सुजीत स्वामी ने आरटीआई के तहत जानकारी मांगी थी. इस मामले में आईआईटी मंडी ने जानकारी देने से इनकार किया था. इसके बाद सुजीत स्वामी ने केंद्रीय सूचना आयोग का दरवाजा खटखटाया. इसके बाद आइआइटी मंडी ने जुलाई 2018 से लेकर नवंबर 2019 तक पीआर एजेंसी को दिए गए पैसों की जानकारी दी. इस अवधि के दौरान एजेंसी को 30 लाख 29 हजार 676 रूपयों का भुगतान किया जा चुका है, यानि अनुमान में हर महीने पीआर एजेंसी पर 1 लाख 78 हजार रूपयों का भुगतान किया जा रहा है.
पूर्व कर्मचारी सुजीत स्वामी ने कहा कि घोटालों को छुपाने के लिए आईआईटी मंडी हायर की गई पीआर एजेंसी पर जनता के पैसों को लुटा रहा है. संस्थान में सरकारी स्तर पर तैनात पब्लिक रिलेशन ऑफिसर को भी लाखों रूपयों की सैलरी दी जा रही है. इसके बावजूद अलग से पीआर एजेंसी हायर कर जनता के पैसों की बर्बादी की जा रही है. सुजीत स्वामी ने केंद्र सरकार से पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग उठाई है.
वहीं, प्रेस क्लब मंडी के प्रधान अंकुश सूद ने भी इसे फिजूलखर्ची बताया है. अंकुश सूद ने कहा कि पीआर एजेंसी पत्रकारों के साथ किसी भी तरह का तालमेल नहीं रखती. पत्रकारों को भी किसी खबर के संदर्भ में आइआइटी के पक्ष पर जानकारी उपलब्ध नहीं करवाई जाती या फिर देरी से जानकारी दी जाती है. विशेषकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के साथ कोई तालमेल नहीं रखा जा रहा. अंकुश सूद ने भी इस फिजूलखर्ची पर रोक लगाने और मामले की जांच करवाने की मांग उठाई है.
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