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खतरे में घिरा मुख्यमंत्री जयराम का ड्रीम प्रोजेक्ट, फैसले के खिलाफ 1 मार्च को होगी बड़ी रैली - अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे

बल्ह बचाओ किसान संघर्ष समिति कि बैठक जोगेंद्र वालिया अध्यक्षता में कंसा मैदान में हुई. जिसमें संघर्ष समिति के प्रभावित 7 ग्राम पंचायत के लगभग 50 किसानों ने हिस्सा लिया. बैठक में निर्णय लिया है कि 1 मार्च 2021 को कंसा चौक से एसडीएम बल्ह के कार्यालय तक एक रैली का आयोजन कर एसडीएम बल्ह के माध्यम से प्रधानमंत्री को ज्ञापन दिया जाएगा. रैली को सफल बनाने के लिए 20 फरवरी 2021 से लेकर 28 फरवरी 2021 तक सभी गावों में जन-संपर्क अभियान चलाया जाएगा.

Chief Minister's Dream Project
मुख्यमंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट
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Published : Feb 7, 2021, 8:55 PM IST

मंडी: बल्ह बचाओ किसान संघर्ष समिति कि बैठक जोगेंद्र वालिया अध्यक्षता में कंसा मैदान में हुई. जिसमें संघर्ष समिति के प्रभावित 7 ग्राम पंचायत के लगभग 50 किसानों ने हिस्सा लिया. समिति सदस्यों ने कड़े शब्दों में दुख जताया कि उन्होंने मुख्यमंत्री से मिलने के लिए बार-बार समय मांगा लेकिन हमें समय नहीं दिया जा रहा है.

स्थानीय विधायक इंद्र सिंह गांधी व उपायुक्त मंडी के माध्यम से भी गुहार लगाई परंतु बल्ह में प्रस्तावित हवाई अड्डे की जद में आने वाले किसानों को विश्वास में ना लेकर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर एक तरफा चल रहे हैं.

वीडियो.

2020 में बल्ह हवाई अड्डे के लिए बजट में प्रावधान

पिछले वर्ष 2020 में बल्ह हवाई अड्डे के लिए बजट में प्रावधान किया और अब केंद्रीय बजट में भी एक हजार करोड़ का प्रावधान करवाकर अपनी पीठ थपथपा रहे हैं. जबकि किसानों से कोई बात नहीं कि जा रही है. समिति का मानना है कि जयराम सरकार एक तरफा फैसला बल्ह के किसानों के उपर थोप रही है. जिसे किसी भी सूरत में सहन नहीं किया जाएगा.

1 मार्च 2021 को कंसा चौक से रैली का आयोजन

बैठक में निर्णय लिया है कि 1 मार्च 2021 को कंसा चौक से एसडीएम बल्ह के कार्यालय तक एक रैली का आयोजन कर एसडीएम बल्ह के माध्यम से प्रधानमंत्री को ज्ञापन दिया जाएगा. रैली को सफल बनाने के लिए 20 फरवरी 2021 से लेकर 28 फरवरी 2021 तक सभी गावों में जन-संपर्क अभियान चलाया जाएगा.

हवाई अड्डे से लोगों को नुकसान

प्रस्तावित हवाई अड्डे से सिंचाई व्यवस्था, पीने के पानी, टावर लाइन चरमरा जाएगी. इसके बनने से विभिन्न स्कूलों में पढ़ने वाले हजारों बच्चे, शिक्षण संस्थान, मन्दिर, मस्जिद, गुरुद्वारा सब तहस नहस हो जाएगा. यहां इस क्षेत्र में एक ही खेल मैदान बचा है. इस मैदान में प्रतिदिन 200 से 300 बच्चे,नौजवान और बेटियां अभ्यास करने आते हैं. यह मैदान दो विधानसभा क्षेत्रों को जोड़ता है.

2500 मकान आएंगे चपेट में

इसके अलावा 2500 मकान, लाखों छोटे बड़े पेड़, कृषि उद्योग, व्यापारिक संस्थान, कृषि मशीनरी सब ख़त्म हो जाएगा. इस प्रस्तावित हवाई अड्डे के बीचों बीच तीन नदियां जाती हैं उनका सरकार क्या करेगी. हिमाचल और केंद्र की सरकार किसान विरोधी होने के साथ-साथ एकतरफा निर्णय लेने वाली सरकारें हैं.

किसान संघर्ष समिति के अध्यक्ष जोगेंद्र वालिया ने बताया कि केवल ATS-72 सीटर छोटा हवाई जहाज घरेलु उड़ान के लिए ही प्रस्तावित है और अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के लिए 3150 मीटर हवाई पट्टी बनानी पड़ेगी. ओएलएस सर्वे के अनुसार सुंदरनगर की पहाड़ियां (बंदली धार) 500 मीटर काटनी पड़ेगी जो की कभी भी संभव नहीं है.

घरेलु उड़ान के लिए हवाई अड्डे का निर्माण क्यों ?

दूसरी तरफ यहां से भुंतर हवाई अड्डे की आकाशीय दूरी 30 किलोमीटर, शिमला हवाई अड्डा करीब 50 किलोमीटर और गगल हवाई अड्डा भी करीब 50 किलोमीटर है. उनको भी अब अंतर्राष्ट्रीय हवाई स्तर का बनाया जा रहा है और फिर भी बल्ह की उपजाऊ भूमि में ही घरेलु उड़ान के लिए हवाई अड्डे का निर्माण क्यों किया जा रहा है.

समिति के सचिव नन्द लाल ने कहा

समिति के सचिव नन्द लाल ने कहा कि बल्ह में प्रस्तावित हवाई अड्डा क्षेत्र में आठ गांव सियांह, टान्वा , जरलू , कुम्मी , छात्तरू, ढाबण, भौर, डुंगराई के लगभग 2500 स्थानीय परिवार प्रभावित हो रहे हैं. जिनकी आबादी 12000 से अधिक है और अधिकतर किसान प्रस्तावित हवाई अड्डे की वजह से भूमिहीन तथा विस्थापित हो जायेंगे और बल्ह क्षेत्र का नामोनिशान भी मिट जायेगा. बल्ह कि जनता नकदी फसलें उगा कर जीवन चला रही है. उन्हें बेरोजगारी का दंश झेलना पड़ेगा और पूरी तरह से तबाह हो जायेंगे. समिति ने हैरानी जताते हुए कहा कि मुख्यमंत्री अपने आप भी किसान हैं वह बल्ह के किसानों की उपजाऊ जमीन को बरबाद करने पर क्यों तुले हुए हैं, जबकि जिला में गैर उपजाऊ जमीन में हवाई अड्डे को बनाया जा सकता है.

समिति के सदस्य प्रेम सैनी ने कहा

समिति के सदस्य प्रेम सैनी ने कहा कि हिमाचल सरकार ने अभी तक भूमि अधिग्रहण कानून 2013 को लागु नहीं किया है. भूमि का मुआवजा केवल सर्कल रेट के अनुसार फेक्टर एक लागु करके दिया जा रहा है.

बल्ह प्रस्तावित हवाई क्षेत्र में जमीन के सरकल रेट इतने कम है कि जमीन कौड़ियों के भाव जायेगी. जिला प्रशासन द्वारा घोषित सरकल रेट 1.60-6 लाख प्रति बीघा है, जबकि किसान 3 से 4 लाख प्रति बीघा नकदी फसलों से प्रति वर्ष कमा रहा है.

आजीविका का इतना बड़ा स्रोत होने के नाते सरकार से मांग की जाती है कि प्रस्तावित हवाई अड्डे को किसी दूसरी जगह बनाया जाये और इस क्षेत्र की उपजाऊ भूमि को हर हाल में बचाया जाए अन्यथा आने बाले दिनों में संघर्ष समिति जिला व राज्य स्तर पर कोई भी संघर्ष करने पर मजबूर हो जाएगी.

समिति ने बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया कि अब अगर मुख्यमंत्री मिलने का समय नहीं देते हैं तो, समिति जहां कहीं भी जिला मंडी में मुख्यमंत्री का कार्यक्रम होगा वहां मिलने की कोशिश करेगी. साथ ही साथ प्रदेश के राज्यपाल महोदय से मुलाकात कर सरकार की हठधर्मिता को भी उनके सामने प्रस्तुत किया जाएगा.

ये भी पढ़ेंः- बीड़ बिलिंग पैराग्लाइडिंग साइट पर बिछाई जाएगी रबड़ शीट, खर्च होंगे 6 करोड़

मंडी: बल्ह बचाओ किसान संघर्ष समिति कि बैठक जोगेंद्र वालिया अध्यक्षता में कंसा मैदान में हुई. जिसमें संघर्ष समिति के प्रभावित 7 ग्राम पंचायत के लगभग 50 किसानों ने हिस्सा लिया. समिति सदस्यों ने कड़े शब्दों में दुख जताया कि उन्होंने मुख्यमंत्री से मिलने के लिए बार-बार समय मांगा लेकिन हमें समय नहीं दिया जा रहा है.

स्थानीय विधायक इंद्र सिंह गांधी व उपायुक्त मंडी के माध्यम से भी गुहार लगाई परंतु बल्ह में प्रस्तावित हवाई अड्डे की जद में आने वाले किसानों को विश्वास में ना लेकर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर एक तरफा चल रहे हैं.

वीडियो.

2020 में बल्ह हवाई अड्डे के लिए बजट में प्रावधान

पिछले वर्ष 2020 में बल्ह हवाई अड्डे के लिए बजट में प्रावधान किया और अब केंद्रीय बजट में भी एक हजार करोड़ का प्रावधान करवाकर अपनी पीठ थपथपा रहे हैं. जबकि किसानों से कोई बात नहीं कि जा रही है. समिति का मानना है कि जयराम सरकार एक तरफा फैसला बल्ह के किसानों के उपर थोप रही है. जिसे किसी भी सूरत में सहन नहीं किया जाएगा.

1 मार्च 2021 को कंसा चौक से रैली का आयोजन

बैठक में निर्णय लिया है कि 1 मार्च 2021 को कंसा चौक से एसडीएम बल्ह के कार्यालय तक एक रैली का आयोजन कर एसडीएम बल्ह के माध्यम से प्रधानमंत्री को ज्ञापन दिया जाएगा. रैली को सफल बनाने के लिए 20 फरवरी 2021 से लेकर 28 फरवरी 2021 तक सभी गावों में जन-संपर्क अभियान चलाया जाएगा.

हवाई अड्डे से लोगों को नुकसान

प्रस्तावित हवाई अड्डे से सिंचाई व्यवस्था, पीने के पानी, टावर लाइन चरमरा जाएगी. इसके बनने से विभिन्न स्कूलों में पढ़ने वाले हजारों बच्चे, शिक्षण संस्थान, मन्दिर, मस्जिद, गुरुद्वारा सब तहस नहस हो जाएगा. यहां इस क्षेत्र में एक ही खेल मैदान बचा है. इस मैदान में प्रतिदिन 200 से 300 बच्चे,नौजवान और बेटियां अभ्यास करने आते हैं. यह मैदान दो विधानसभा क्षेत्रों को जोड़ता है.

2500 मकान आएंगे चपेट में

इसके अलावा 2500 मकान, लाखों छोटे बड़े पेड़, कृषि उद्योग, व्यापारिक संस्थान, कृषि मशीनरी सब ख़त्म हो जाएगा. इस प्रस्तावित हवाई अड्डे के बीचों बीच तीन नदियां जाती हैं उनका सरकार क्या करेगी. हिमाचल और केंद्र की सरकार किसान विरोधी होने के साथ-साथ एकतरफा निर्णय लेने वाली सरकारें हैं.

किसान संघर्ष समिति के अध्यक्ष जोगेंद्र वालिया ने बताया कि केवल ATS-72 सीटर छोटा हवाई जहाज घरेलु उड़ान के लिए ही प्रस्तावित है और अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के लिए 3150 मीटर हवाई पट्टी बनानी पड़ेगी. ओएलएस सर्वे के अनुसार सुंदरनगर की पहाड़ियां (बंदली धार) 500 मीटर काटनी पड़ेगी जो की कभी भी संभव नहीं है.

घरेलु उड़ान के लिए हवाई अड्डे का निर्माण क्यों ?

दूसरी तरफ यहां से भुंतर हवाई अड्डे की आकाशीय दूरी 30 किलोमीटर, शिमला हवाई अड्डा करीब 50 किलोमीटर और गगल हवाई अड्डा भी करीब 50 किलोमीटर है. उनको भी अब अंतर्राष्ट्रीय हवाई स्तर का बनाया जा रहा है और फिर भी बल्ह की उपजाऊ भूमि में ही घरेलु उड़ान के लिए हवाई अड्डे का निर्माण क्यों किया जा रहा है.

समिति के सचिव नन्द लाल ने कहा

समिति के सचिव नन्द लाल ने कहा कि बल्ह में प्रस्तावित हवाई अड्डा क्षेत्र में आठ गांव सियांह, टान्वा , जरलू , कुम्मी , छात्तरू, ढाबण, भौर, डुंगराई के लगभग 2500 स्थानीय परिवार प्रभावित हो रहे हैं. जिनकी आबादी 12000 से अधिक है और अधिकतर किसान प्रस्तावित हवाई अड्डे की वजह से भूमिहीन तथा विस्थापित हो जायेंगे और बल्ह क्षेत्र का नामोनिशान भी मिट जायेगा. बल्ह कि जनता नकदी फसलें उगा कर जीवन चला रही है. उन्हें बेरोजगारी का दंश झेलना पड़ेगा और पूरी तरह से तबाह हो जायेंगे. समिति ने हैरानी जताते हुए कहा कि मुख्यमंत्री अपने आप भी किसान हैं वह बल्ह के किसानों की उपजाऊ जमीन को बरबाद करने पर क्यों तुले हुए हैं, जबकि जिला में गैर उपजाऊ जमीन में हवाई अड्डे को बनाया जा सकता है.

समिति के सदस्य प्रेम सैनी ने कहा

समिति के सदस्य प्रेम सैनी ने कहा कि हिमाचल सरकार ने अभी तक भूमि अधिग्रहण कानून 2013 को लागु नहीं किया है. भूमि का मुआवजा केवल सर्कल रेट के अनुसार फेक्टर एक लागु करके दिया जा रहा है.

बल्ह प्रस्तावित हवाई क्षेत्र में जमीन के सरकल रेट इतने कम है कि जमीन कौड़ियों के भाव जायेगी. जिला प्रशासन द्वारा घोषित सरकल रेट 1.60-6 लाख प्रति बीघा है, जबकि किसान 3 से 4 लाख प्रति बीघा नकदी फसलों से प्रति वर्ष कमा रहा है.

आजीविका का इतना बड़ा स्रोत होने के नाते सरकार से मांग की जाती है कि प्रस्तावित हवाई अड्डे को किसी दूसरी जगह बनाया जाये और इस क्षेत्र की उपजाऊ भूमि को हर हाल में बचाया जाए अन्यथा आने बाले दिनों में संघर्ष समिति जिला व राज्य स्तर पर कोई भी संघर्ष करने पर मजबूर हो जाएगी.

समिति ने बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया कि अब अगर मुख्यमंत्री मिलने का समय नहीं देते हैं तो, समिति जहां कहीं भी जिला मंडी में मुख्यमंत्री का कार्यक्रम होगा वहां मिलने की कोशिश करेगी. साथ ही साथ प्रदेश के राज्यपाल महोदय से मुलाकात कर सरकार की हठधर्मिता को भी उनके सामने प्रस्तुत किया जाएगा.

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