सरकाघाट/मंडीः सरकाघाट क्षेत्र के करीब 15 निजी स्कूल प्रबंधकों ने शुक्रवार को हुई प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक में स्कूल को 21 अप्रैल तक बंद रखने के फैसले पर कड़ा ऐतराज जताया और इस फैसले को निजी स्कूल प्रबंधकों लिए घातक बताया. निजी स्कूल के संचालकों ने एक बैठक के दौरान कहा कि कोरोना काल में निजी स्कूल ने सरकार का पूरा साथ दिया है. पिछले वर्ष लगभग पूरा वर्ष स्कूल बंद रहे. इससे बच्चों की पढ़ाई बहुत अधिक प्रभावित रही है.
आय के साधन बंद
निजी स्कूल प्रबंधकों ने कहा कि स्कूल बंद रहने से निजी स्कूलों की आय के साधन पूरी तरह से खत्म हो गए. जैसे-तैसे सालभर सभी से सरकार की आदेशों का पालन किया, लेकिन अब स्कूल की हालत दयनीय हो गई है. लाखों के लेनदेन और कर्जे तले दबे निजी स्कूल को बंद करने की नौबत आ गई है. निजी स्कूल प्रबंधकों ने कहा कि इस वर्ष सत्र के आरंभ में ही 4 अप्रैल तक स्कूल बंद करने का आदेश जारी हुआ. कोरोना मामले कम ना होने पर इसकी अवधि 15 अप्रैल तक सरकार ने बढ़ा दी. अब शुक्रवार को कैबिनेट में 21 अप्रैल तक बंद रखने का फैसला लिया है.
चुनावी रैलियों और स्कूल के लिए अलग नियम
निजी स्कूल प्रबंधकों का मानना है कि अब शायद पूरे साल यही क्रम जारी रहेगा. निजी स्कूल प्रबंधकों ने सरकार से निवेदन किया है कि उनके बारे में भी सरकार विचार करे. प्रबंधकों का कहना है कि जब चुनावी रैलियों में भीड़ आती है, उस समय कोरोना प्रोटोकॉल क्यों अलग हो जाता है. इस परिस्थिति में निजी स्कूलों के प्रबंधकों को आत्महत्या के लिए विविश होना पड़ेगा. उन्होंने सरकार से मांग की है कि अध्यापकों की वैक्सीनेशन कर जल्द से जल्द स्कूल को नियमित खोलने का फरमान जारी करें, ताकि निजी स्कूल चल सकें.
ये भी पढ़ें: बिलासपुर में विधायक सुभाष ठाकुर से उलझा शिक्षा विभाग का कर्मचारी, डीसी ने दिए जांच के आदेश