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सेवानिवृत्ति के बाद गांव में बसा दिया ' पुराना हिमाचल', याद आता है बुजुर्गों का जमाना - Himachali Culture

मंडी जिला के प्रताप ठाकुर ने लेदा से दो किलोमीटर की दूरी पर सिकंदर धार में संग्रहालय बनाया है. ये संग्रहालय हिमाचली संस्कृति की झलक दिखाता है, जिसमें करीब 100 दुर्लभ वस्तुओं को रखा गया है. ऐसे में प्रशासन की मदद से इस इस जगह को अच्छे से तैयार कर लोगों को समर्पित किया जा सकता है.

Antique items
पुराने समस में इस्तेमाल की जाने वाली वस्तुएं
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Published : Jul 17, 2020, 5:42 PM IST

सुंदरनगर/मंडी: प्रदेश बिजली बोर्ड से सहायक अभियंता के तौर पर सेवानिवृत्त हुए मंडी जिला के प्रताप ठाकुर ने लेदा से दो किलोमीटर की दूरी पर सिकंदर धार में संग्रहालय बनाया है. ये संग्रहालय हिमाचली संस्कृति की प्राचीन झलक दिखाता है, जिसमें करीब 100 दुर्लभ वस्तुओं को रखा गया है. इसके बावजूद पिछले 6 सालों ये संग्रहालय उपेक्षा का शिकार बना हुआ है.

जानकारी देते हुए संग्रहकर्ता व संस्थापक प्रताप ठाकुर ने कहा कि इस संग्रहालय में दुर्लभ वस्तुओं को रखा गया है. इनमें लकड़ी के बने बर्तन, पारू, गिलास, पटारी, चमड़े का बना सामान और पुराने चरखे आदि हैं. साथ ही पत्थरों पर नक्काशी कर बनाई गई मूर्तियां भी इसमें रखी गई हैं. इसके अलावा दुर्लभ फोटोग्राफ्स भी यहां हैं, जिसमें मेले, मंदिर, झीलें और अन्य कई तरह की फोटोग्राफ्स का संग्रह है.

Wooden utensils
लकड़ी के बर्तन

प्रताप ठाकुर ने कहा कि वह सरकारी सेवा में रहते हुए भी समय मिलने पर प्रदेशभर का घूमते रहे हैं. 40 साल तक उन्होंने प्रदेश के कोने-कोने का भ्रमण किया. प्रताप ठाकुर ने कहा कि संग्रहालय की स्थापना उनका सपना था, जो पूरा हो गया. आने वाले समय में इस संग्रहालय का और विस्तार किया जाएगा. सरकाघाट और बल्ह विधानसभा क्षेत्रों की सीमा पर मुरारी माता मंदिर व मंडी बलद्वाड़ा मार्ग पर स्थापित यह संग्रहालय इस मार्ग से गुजरने वालों के लिए एक अच्छा ठहराव साबित हो सकेगा. साथ ही स्कूली बच्चों व शोधकर्ताओं के लिए भी यह बेहद फायदेमंद साबित हो सकेगा.

वीडियो

प्रताप ठाकुर ने कहा की आर्ट गैलरी को बनाने के लिए एक सैल तैयार किया गया. उसके बाद सभी कागजात विभाग को भेजे गए और डीसी मंडी की ओर से बिल्डिंग बनाने के लिए अंशदान के रूप में पैसा मिला. इसके बाद विभाग से दूसरे कामों को पूरा करने के लिए कोई राशि नहीं मिल पाई है. उन्होंने कहा कि स्थानीय विधायक और डीसी भी यहां का दौरा कर आर्ट गैलरी का निरक्षण कर इसकी सराहना कर चुके है. ऐसे में प्रशासन के मदद करने पर इस आर्ट गैलरी को अच्छे से तैयार कर लोगों को समर्पित किया जा सकता है.

ये भी पढ़ें: करसोग नगर पंचायत में नहीं रहना चाहते हैं ममेल वार्ड के लोग, DC मंडी को भेजी आपत्तियां

सुंदरनगर/मंडी: प्रदेश बिजली बोर्ड से सहायक अभियंता के तौर पर सेवानिवृत्त हुए मंडी जिला के प्रताप ठाकुर ने लेदा से दो किलोमीटर की दूरी पर सिकंदर धार में संग्रहालय बनाया है. ये संग्रहालय हिमाचली संस्कृति की प्राचीन झलक दिखाता है, जिसमें करीब 100 दुर्लभ वस्तुओं को रखा गया है. इसके बावजूद पिछले 6 सालों ये संग्रहालय उपेक्षा का शिकार बना हुआ है.

जानकारी देते हुए संग्रहकर्ता व संस्थापक प्रताप ठाकुर ने कहा कि इस संग्रहालय में दुर्लभ वस्तुओं को रखा गया है. इनमें लकड़ी के बने बर्तन, पारू, गिलास, पटारी, चमड़े का बना सामान और पुराने चरखे आदि हैं. साथ ही पत्थरों पर नक्काशी कर बनाई गई मूर्तियां भी इसमें रखी गई हैं. इसके अलावा दुर्लभ फोटोग्राफ्स भी यहां हैं, जिसमें मेले, मंदिर, झीलें और अन्य कई तरह की फोटोग्राफ्स का संग्रह है.

Wooden utensils
लकड़ी के बर्तन

प्रताप ठाकुर ने कहा कि वह सरकारी सेवा में रहते हुए भी समय मिलने पर प्रदेशभर का घूमते रहे हैं. 40 साल तक उन्होंने प्रदेश के कोने-कोने का भ्रमण किया. प्रताप ठाकुर ने कहा कि संग्रहालय की स्थापना उनका सपना था, जो पूरा हो गया. आने वाले समय में इस संग्रहालय का और विस्तार किया जाएगा. सरकाघाट और बल्ह विधानसभा क्षेत्रों की सीमा पर मुरारी माता मंदिर व मंडी बलद्वाड़ा मार्ग पर स्थापित यह संग्रहालय इस मार्ग से गुजरने वालों के लिए एक अच्छा ठहराव साबित हो सकेगा. साथ ही स्कूली बच्चों व शोधकर्ताओं के लिए भी यह बेहद फायदेमंद साबित हो सकेगा.

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प्रताप ठाकुर ने कहा की आर्ट गैलरी को बनाने के लिए एक सैल तैयार किया गया. उसके बाद सभी कागजात विभाग को भेजे गए और डीसी मंडी की ओर से बिल्डिंग बनाने के लिए अंशदान के रूप में पैसा मिला. इसके बाद विभाग से दूसरे कामों को पूरा करने के लिए कोई राशि नहीं मिल पाई है. उन्होंने कहा कि स्थानीय विधायक और डीसी भी यहां का दौरा कर आर्ट गैलरी का निरक्षण कर इसकी सराहना कर चुके है. ऐसे में प्रशासन के मदद करने पर इस आर्ट गैलरी को अच्छे से तैयार कर लोगों को समर्पित किया जा सकता है.

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