करसोग: कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच मौसम की बेरुखी ने किसानों की कमर तोड़ दी है. अब इसका असर मंडियों में भी दिखने लगा है. उपमंडल के तहत चुराग सब्जी मंडी की बात करें तो यहां रबी सीजन में मटर कारोबार आधे से भी कम रहने के आसार नजर आ रहे हैं.
अधिकतर क्षेत्रों में मटर की बिजाई
करसोग में मटर सीजन शुरू हो गया है, लेकिन स्थिति यह है कि मंडियों में बहुत ही कम मात्रा में मटर पहुंच रहा है. जिससे आढ़तियों के पास प्रदेश की अन्य मंडियों में मटर भेजने के लिए लोड भी पूरा नहीं हो रहा है. ऐसे में कम फसल होने से आढ़तियों की मुश्किलें बढ़ गई हैं. रबी सीजन में मटर प्रमुख फसल है. यहां लोगों की आर्थिकी का मुख्य साधन मटर की फसल ही है. अधिकतर क्षेत्रों में मटर की बिजाई की गई है.
सूखा पड़ने से आधे से ज्यादा फसल बर्बाद
सर्दियों के मौसम में सूखा पड़ने से आधे से ज्यादा फसल बर्बाद हो गई है. जिससे मंडियों में भी बहुत कम मटर पहुंच रहा है. अकेले चुराग सब्जी मंडी में हर साल औसतन 40 से 60 लाख तक मटर कारोबार होता है, लेकिन इस बार यही कारोबार आधे से भी कम रहने के आसार है. यही नहीं सूखे की वजह से किसानों के सामने भी रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है.
कम बारिश होने से मटर की फसल बर्बाद
करसोग में इस बार 540 बीघा भूमि पर सब्जियों की बिजाई की गई है. इसमें अकेले 325 बीघा भूमि में किसानों ने मटर लगाया है. ऐसे में सामान्य से कम हुई बारिश की वजह से मटर की फसल बर्बाद हो गई है. किसानों ने बीज के लिए हजारों रुपये खर्च किए हैं. यहां तक कि बहुत से किसानों ने तो बीज खरीदने के लिए बैंकों से लोन भी निकाला है. सूखे की मार से किसानों को बैंक की किश्त चुकानी भी मुश्किल हो गई है.
60 फीसदी मटर की फसल बर्बाद
विकासखंड करसोग के कृषि विभाग के विषय वार्ता विशेषज्ञ मुंशी राम ठाकुर का कहना है कि 60 फीसदी मटर की फसल सूखे की वजह से बर्बाद हुई है. इस बारे में सरकार को रिपोर्ट भेजी गई है. वहीं, चुराग सब्जी मंडी के आढ़ती मीना राम का कहना है कि बारिश न होने से मटर की फसल बर्बाद हो गई है. पिछले साल चुराग मंडी में 40 से 60 लाख का मटर का कारोबार हुआ था, लेकिन इस बार यही कारोबार 10 लाख तक रहने के आसार हैं.
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