करसोग: हिमाचल में स्वास्थ्य विभाग में पिछले करीब 20 सालों से सेवाएं दे रहे पार्ट टाइम आरकेएस वर्कर्स के सब्र का बांध टूटने लगा है. ऐसे में दो जिलों शिमला और मंडी के हेल्थ ब्लॉकों के तहत विभिन्न सीएचसी और पीएचसी में कार्य कर रहे पार्ट टाइम आरकेएस वर्कर्स की बैठक करसोग के अंतर्गत तत्तापानी में आयोजित हुई. जिसमें सरकार के सामने मांगों को रखने के लिए पहली बार एडहॉक कमेटी का गठन किया गया. यह कमेटी जल्द ही पॉलिसी बनाने की मांग को लेकर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से मिलेगी. ताकि स्वास्थ्य विभाग में 15 से 20 सालों से सेवाएं दे रहे पार्ट टाइम आरकेएस वर्कर्स का भविष्य सुरक्षित हो सके. इस अवसर पर हिमाचल प्रदेश राजीव गांधी पंचायतीराज संगठन के महासचिव भगत राम व्यास विशेष रूप से उपस्थित रहे.
हेमवती बनी एडहॉक कमेटी की प्रधान: स्वास्थ्य विभाग की पार्ट टाइम आरकेएस वर्कर्स की बैठक में पहली बार एडहॉक कमेटी का गठन किया गया. जिसमें प्रधान हेमवती, महासचिव नरेश कुमार, कोषाध्यक्ष किरण ठाकुर, संगठन सचिव ध्यान सिंह, प्रेस सचिव नीरज शर्मा व मुख्य सलाहकार नरेंद्र कुमार को बनाया गया. इसके बाद जल्द ही प्रदेश स्तर पर कमेटी का गठन किया जाएगा. ताकि कई सालों से मानदेय पर सेवाएं दे रहे पार्ट टाइम आरकेएस वर्कर्स के लिए पॉलिसी बन सके.
3 हजार से 6 हजार मिलता है वेतन: प्रदेश भर में स्वास्थ्य विभाग में पिछले 15 से 20 सालों से सेवाएं दे रहे पार्ट टाइम आरकेएस वर्कर्स को इस महंगाई के दौर में भी मात्र 3 हजार से 6 हजार रुपए मासिक मानदेय मिलता है. प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग की विभिन्न पीएचसी और सीएचसी में सेवाएं दे रहे पार्ट टाइम आरकेएस वर्कर्स से पूरा दिन काम लिया जाता है. ऐसे में दूरदराज के क्षेत्रों में सेवाएं दे रहे पार्ट टाइम आरकेएस वर्कर्स को मिल रही कम सैलरी में परिवार का गुजारा करना भी मुश्किल हो रहा है. जिसको देखते हुए जल्द ही पार्ट टाइम आरकेएस वर्कर्स का प्रतिनिधिमंडल नियमितीकरण के लिए पॉलिसी बनाने की मांग को लेकर मुख्यमंत्री से मिलेगा.
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