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राजा अशोक पाल सेन के निधन पर शाही परिवारों में शोक की लहर, कंवर अजय बहादुर ने भी किया याद - राजा अशोक पाल सेन और अजय कंवर

मंडी रियासत के राजा अशोक पाल सेन निधन पर सिरमौर के शाही परिवार के सदस्य कंवर अजय बहादुर सिंह ने भी गहरा शोक व्यक्त किया है. कंवर अजय बहादुर सिंह ने बताया कि दिवंगत राजा अशोक पाल सेन के साथ उनकी मुलाकात होती रहती थी. राजा अशोक पाल सेन राजा जोगेंद्र सेन के पुत्र थे.

Raja Ashok Pal Sen and Ajay Kanwar
राजा अशोक पाल सेन और अजय कंवर
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Published : Feb 17, 2021, 6:21 PM IST

नाहन: मंगलवार को मंडी रियासत के राजा अशोक पाल सेन का निधन हो गया और बुधवार को उनका अंतिम संस्कार पूरे विधि विधान के साथ हुआ. राजा अशोक सेन 90 साल के थे और लंबे वक्त से बीमार चल रहे थे. राजा के निधन पर सिरमौर के शाही परिवार के सदस्य कंवर अजय बहादुर सिंह ने भी गहरा शोक व्यक्त किया है.

'राजा अशोक पाल सेन से होती थी मुलाकात'

कंवर अजय बहादुर सिंह ने बताया कि दिवंगत राजा अशोक पाल सेन के साथ उनकी मुलाकात होती रहती थी. राजा अशोक पाल सेन राजा जोगेंद्र सेन के पुत्र थे. राजा अशोक पाल के पिता जोगिंद्र सेन का 1986 में निधन हो गया था. पिता के निधन के बाद दिवंगत राजा अशोक पाल सेन गद्दी पर बैठे. रियासतों का विलय होने के बाद लोगों में आज भी प्रथा है कि वह राज परिवारों के प्रति अपनी श्रद्धा रखते हैं. उसी प्रकार मंडी के लोगों का भी दिवंगत राजा अशोक के प्रति अपार स्नेह था और दिवंगत राजा को भी मंडी के लोगों से बेहद प्यार था.

वीडियो.

'शालीन व्यक्तित्व के धनी के राजा अशोक सेन'

हिमाचल की विभिन्न रियासतों के राजा महाराजाओं को लेकर इंग्लैंड के एक लेखक मार्क बेरेंटल ने अपनी पुस्तक द प्रिंसली एंड नोबल फॅमिल्ज ऑफ इंडियन एम्पायर में भी मंडी रियासत का विस्तार से जिक्र किया है. इस पुस्तक में दिवंगत राजा अशोक पाल सेन व उनके पिता जोगेंद्र सेन बहादुर के बारे में भी पूरा उल्लेख किया गया है.

कंवर अजय बहादुर सिंह ने बताया कि उनकी भी अक्सर दिवंगत राजा अशोक सिंह से मुलाकात हुआ करती थी और वह बेहद ही शरीफ थे. साथ ही किसी भी प्रकार का घमंड नहीं था. यही नहीं मंडी में जो उनका होटल था, राजा अशोक पाल सेन उसकी खुद ही देखभाल किया करते थे

मंडी की रियासत का इतिहास

कंवर अजय बहादुर सिंह ने मंडी रियासत के इतिहास के बारे में भी विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि मंडी रियासत एक बहुत बड़ी रियासत रही. क्षेत्रफल की दृष्टि से मंडी रियासत सिरमौर रियासत से बड़ी थी लेकिन महाराजा का टाइटल केवल सिरमौर के पास था. महाराजा का टाइटल हिमाचल में किसी भी रियासत के पास नहीं था. मंडी को 11 तोपों की सलामी थी और राजा का खिताब था.

उन्होंने बताया कि मंडी रियासत जिसे आज सुंदरनगर के नाम से जाना जाता है, सुकेत रियासत का हिस्सा हुआ करती थी. लगभग 16वीं शताब्दी में दो भाई अलग हुए. एक ने मंडी में अपनी राजधानी बनाई. जबकि दूसरे भाई सुकेत में ही रहा करते थे. थोड़े समय के बाद मंडी रियासत का प्रभुत्व बढ़ने लगा और कुल्लू के साथ लगते इलाके को मंडी रियासत में मिलाने पर मंडी बड़ी रियासत बनती गई.

मंडी रियासत के राजा जोगिंद्र सेन अपने इलाके में काफी पॉपुलर राजा रहे. कंवर अजय बहादुर सिंह ने उम्मीद जताते हुए कहा कि दिवंगत राजा अशोक पाल सेन के पुत्र अब अपने पिता की गद्दी संभालेंगे और उन्हें विश्वास है कि वह भी अपने पिता के नक्शे कदम पर चल कर लोगों की सेवा करेंगे.

पढ़ें: देवता ने सुनी गूर की फरियाद, बूंदाबांदी होते ही खूब लगे देव कमरूनाग के जयकारे

नाहन: मंगलवार को मंडी रियासत के राजा अशोक पाल सेन का निधन हो गया और बुधवार को उनका अंतिम संस्कार पूरे विधि विधान के साथ हुआ. राजा अशोक सेन 90 साल के थे और लंबे वक्त से बीमार चल रहे थे. राजा के निधन पर सिरमौर के शाही परिवार के सदस्य कंवर अजय बहादुर सिंह ने भी गहरा शोक व्यक्त किया है.

'राजा अशोक पाल सेन से होती थी मुलाकात'

कंवर अजय बहादुर सिंह ने बताया कि दिवंगत राजा अशोक पाल सेन के साथ उनकी मुलाकात होती रहती थी. राजा अशोक पाल सेन राजा जोगेंद्र सेन के पुत्र थे. राजा अशोक पाल के पिता जोगिंद्र सेन का 1986 में निधन हो गया था. पिता के निधन के बाद दिवंगत राजा अशोक पाल सेन गद्दी पर बैठे. रियासतों का विलय होने के बाद लोगों में आज भी प्रथा है कि वह राज परिवारों के प्रति अपनी श्रद्धा रखते हैं. उसी प्रकार मंडी के लोगों का भी दिवंगत राजा अशोक के प्रति अपार स्नेह था और दिवंगत राजा को भी मंडी के लोगों से बेहद प्यार था.

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'शालीन व्यक्तित्व के धनी के राजा अशोक सेन'

हिमाचल की विभिन्न रियासतों के राजा महाराजाओं को लेकर इंग्लैंड के एक लेखक मार्क बेरेंटल ने अपनी पुस्तक द प्रिंसली एंड नोबल फॅमिल्ज ऑफ इंडियन एम्पायर में भी मंडी रियासत का विस्तार से जिक्र किया है. इस पुस्तक में दिवंगत राजा अशोक पाल सेन व उनके पिता जोगेंद्र सेन बहादुर के बारे में भी पूरा उल्लेख किया गया है.

कंवर अजय बहादुर सिंह ने बताया कि उनकी भी अक्सर दिवंगत राजा अशोक सिंह से मुलाकात हुआ करती थी और वह बेहद ही शरीफ थे. साथ ही किसी भी प्रकार का घमंड नहीं था. यही नहीं मंडी में जो उनका होटल था, राजा अशोक पाल सेन उसकी खुद ही देखभाल किया करते थे

मंडी की रियासत का इतिहास

कंवर अजय बहादुर सिंह ने मंडी रियासत के इतिहास के बारे में भी विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि मंडी रियासत एक बहुत बड़ी रियासत रही. क्षेत्रफल की दृष्टि से मंडी रियासत सिरमौर रियासत से बड़ी थी लेकिन महाराजा का टाइटल केवल सिरमौर के पास था. महाराजा का टाइटल हिमाचल में किसी भी रियासत के पास नहीं था. मंडी को 11 तोपों की सलामी थी और राजा का खिताब था.

उन्होंने बताया कि मंडी रियासत जिसे आज सुंदरनगर के नाम से जाना जाता है, सुकेत रियासत का हिस्सा हुआ करती थी. लगभग 16वीं शताब्दी में दो भाई अलग हुए. एक ने मंडी में अपनी राजधानी बनाई. जबकि दूसरे भाई सुकेत में ही रहा करते थे. थोड़े समय के बाद मंडी रियासत का प्रभुत्व बढ़ने लगा और कुल्लू के साथ लगते इलाके को मंडी रियासत में मिलाने पर मंडी बड़ी रियासत बनती गई.

मंडी रियासत के राजा जोगिंद्र सेन अपने इलाके में काफी पॉपुलर राजा रहे. कंवर अजय बहादुर सिंह ने उम्मीद जताते हुए कहा कि दिवंगत राजा अशोक पाल सेन के पुत्र अब अपने पिता की गद्दी संभालेंगे और उन्हें विश्वास है कि वह भी अपने पिता के नक्शे कदम पर चल कर लोगों की सेवा करेंगे.

पढ़ें: देवता ने सुनी गूर की फरियाद, बूंदाबांदी होते ही खूब लगे देव कमरूनाग के जयकारे

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