मंडी: हिमाचल के जंगलों में बुरांश, काफल जैसे कई फल-फूल मिलते हैं. ये हमें स्वाद के साथ-साथ औषधीय गुणों से भी भरपूर होते हैं. ये फल-फूल मौसमी होते हैं. जंगलों में मई-जून के महीने में एक ऐसा फल पककर तैयार होता है, जिसका नाम काफल है.
काफल मधुमेह, हृदयचाप व पेट की कई बीमारियों को दूर करने में लाभकारी होता है. काफल नाम का ये जंगली फल मई महीने के बीच मंडी शहर में पहुंचना शुरू हो गया है, लेकिन इस साल भी इसके खरीददार फल विक्रेताओं को नहीं मिल रहे हैं. मंडी शहर में काफल बेच रहे नीरज कुमार और टिंकूसाल ने कहा केवल 2 महीने ही काफल जंगलों में मिलता है, लेकिन इस बार काफल के खरीदादर नहीं मिल रहे हैं. खरीददारों के ना मिलने का सबसे बड़ा कारण कोरोना महामारी है. पिछले साल लॉकडाउन और इस साल कोरोना कर्फ्यू के चलते लोग खरीददारी के लिए बाजार नहीं आ रहे हैं.
नहीं मिल रहे खरीददार
काफल विक्रेताओं का कहना है कि इस बार काफल 200 रुपये प्रति किलो बिक रहा है. इस बार जंगलों में पेड़ काफल से लदे पड़े हैं, लेकिन खरीददार ना मिलने से उन्हें निराश होना पड़ रहा है. मई जून के महीने में काफल उनकी आय का जरिया था, लेकिन कोरोना कर्फ्यू के चलते इस बार भी उनकी जेब खाली है.
मंडी के कई क्षेत्रों में मिलता है काफल
आपको बता दें कि मंडी जिला के कटौला, गोहर, मोवीसेरी, तुंगलघाटी, चौहारघाटी व अन्य पहाड़ी क्षेत्रों के जंगलों में काफल की पैदावार होती है. मंडी जिला के शहरों में हर साल काफल की खेप पहुंचती है, लेकिन कोरोना महामारी के चलते काफल विक्रेताओं को इस बार भी ना खरीददार मिल रहे हैं और ना ही काफल का सही दाम मिल रहा है.
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