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छोटी काशी में पहली बार सवा लाख पार्थिव शिवलिंग निर्माण, ब्यास नदी में होगा विर्सजन

पार्थिव शिवलिंग की पूजा का धार्मिक व वैज्ञानिक महत्व माना गया है. पार्थिव शिवलिंग का अभिषेक कर विर्सजन करने से कुंडली से काल सर्पयोग से छुटकारा मिलता है और विजय आरोग्य सुख शांति प्राप्त होती है.

छोटी काशी में पहली बार सवा लाख पार्थिव शिव लिंग निर्माण
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Published : Jul 31, 2019, 12:25 PM IST

मंडी: काशी की तर्ज पर छोटी काशी मंडी में पहली बार सवा लाख पार्थिव शिवलिंग निर्माण कर पूजन व रुद्राभिषेक किया जाएगा. ह्रदयवासिनी माता मंदिर पड्डल मंडी में कार्यक्रम का आयोजन होगा.

सावन मास को शिव भगवान का मास माना जाता है और सावन मास में शिवलिंग का रुद्राभिषेक करने से पुण्य की प्राप्ति होती है. शिव पुराण में पार्थिव शिवलिंग की पूजा का महत्व कलयुग में विशेष बताया गया है. पार्थिव पूजन करने से धन-धान्य आरोग्य व पुत्र की प्राप्ति होती है.

वीडियो

शिव पुराण के अनुसार जो प्रतिदिन पार्थिव शिवलिंग की पूजा करता है उसकी भगवान भोलेनाथ सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं. महंत राजेश्वरानंद सरस्वती ने बताया कि वीरवार से प्रतिदिन पच्चीस हजार पार्थिव शिवलिंग का रुद्राभिषेक किया जाएगा और शाम को ब्यास नदी में इन्हें प्रवाहित किया जाएगा.

इस दौरान सुंदर कांड का पाठ भी किया जाएगा. महंत ने कहा कि इस दौरान प्रति दिन पच्चीस हजार दीप बायस नदी में प्रवाहित किए जाएंगे. इसके साथ ही 6 अगस्त को विशाल भंडारे का आयोजन भी किया जाएगा.

बता दें कि पार्थिव शिवलिंग की पूजा का धार्मिक व वैज्ञानिक महत्व माना गया है. पार्थिव शिवलिंग का अभिषेक कर विर्सजन करने से कुंडली से काल सर्पयोग से छुटकारा मिलता है और विजय आरोग्य सुख शांति प्राप्त होती है.

ये भी पढ़े: CM जयराम ने धवाला की नाराजगी से किया इनकार, कहा- बिना बात के बनाया जा रहा मुद्दा

मंडी: काशी की तर्ज पर छोटी काशी मंडी में पहली बार सवा लाख पार्थिव शिवलिंग निर्माण कर पूजन व रुद्राभिषेक किया जाएगा. ह्रदयवासिनी माता मंदिर पड्डल मंडी में कार्यक्रम का आयोजन होगा.

सावन मास को शिव भगवान का मास माना जाता है और सावन मास में शिवलिंग का रुद्राभिषेक करने से पुण्य की प्राप्ति होती है. शिव पुराण में पार्थिव शिवलिंग की पूजा का महत्व कलयुग में विशेष बताया गया है. पार्थिव पूजन करने से धन-धान्य आरोग्य व पुत्र की प्राप्ति होती है.

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शिव पुराण के अनुसार जो प्रतिदिन पार्थिव शिवलिंग की पूजा करता है उसकी भगवान भोलेनाथ सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं. महंत राजेश्वरानंद सरस्वती ने बताया कि वीरवार से प्रतिदिन पच्चीस हजार पार्थिव शिवलिंग का रुद्राभिषेक किया जाएगा और शाम को ब्यास नदी में इन्हें प्रवाहित किया जाएगा.

इस दौरान सुंदर कांड का पाठ भी किया जाएगा. महंत ने कहा कि इस दौरान प्रति दिन पच्चीस हजार दीप बायस नदी में प्रवाहित किए जाएंगे. इसके साथ ही 6 अगस्त को विशाल भंडारे का आयोजन भी किया जाएगा.

बता दें कि पार्थिव शिवलिंग की पूजा का धार्मिक व वैज्ञानिक महत्व माना गया है. पार्थिव शिवलिंग का अभिषेक कर विर्सजन करने से कुंडली से काल सर्पयोग से छुटकारा मिलता है और विजय आरोग्य सुख शांति प्राप्त होती है.

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Intro:मंडी। काशी की तर्ज पर छोटी काशी मंडी में पहली बार सवा लाख पार्थिव शिवलिंग निर्माण, पूजन व रुद्राभिषेक किया जाएगा। ह्रदयवासिनी माता मंदिर पड्डल मंडी में यह कार्यक्रम आयोजित होगा।Body:सावन मास को शिव भगवान का मास माना जाता हैऔर सावन मास में शिवलिंग का रुद्राभिषेक करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। शिव पुराण में पार्थिव शिवलिंग की पूजा का महत्व कलयुग में विशेष बताया गया है। पार्थिव पूजन करने से धन-धान्य आरोग्य व पुत्र की प्राप्ति होती है। शिव पुराण के अनुसार जो प्रतिदिन पार्थिव शिवलिंग की पूजा करता है उसकी भगवान भोलेनाथ सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। महन्त राजेश्वरानंद सरस्वती ने बताया कि वीरवार से प्रतिदिन पच्चीस हजार पार्थिव शिवलिंगों का रुद्राभिषेक किया जाएगा और शाम को ब्यास नदी में प्रवाहित किया जाएगा। इस दौरान सुन्दर कांड का पाठ भी किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस दौरान प्रति दिन पच्चीस हजार दीप व्यास नदी में प्रवाहित किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि सावन मास में शिवलिंग का रुद्राभिषेक करने से भोलेनाथ मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। उन्होंने कहा कि 6 तारीख को विशाल भंडारे का आयोजन किया जाएगा। जिसमें सब लोग सादर आमंत्रित हैं।

बाइट---- महंत राजेश्वरानंद सरस्वती मंडी

Conclusion:बता दें पार्थिव शिवलिंग की पूजा का धार्मिक व वैज्ञानिक महत्व माना गया है। पार्थिव शिवलिंग का निर्माण कर अभिषेक कर विर्सजन करने से कुंडली से काल सर्पयोग से छुटकारा मिलता है और विजय आरोग्य सुख शांति प्राप्त होती है। जबकि वैज्ञानिक महत्व यह है कि इस पद्धति से मिट्टी का ट्रीटमेंट हो जाता है। पंचगव्य के मिट्टी में मिलकर बरसात के जल में मिलकर भूमि उर्वरकता शक्ति बढ़ती है।
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