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धरोहर: अभेद्य माना जाने वाला कमलाह किला आज लड़ रहा है अपने अस्तित्व की लड़ाई - heritage forts of himahchal pradesh

अभेद्य माना जाने वाला ऐतिहासिक कमलाह किले को बनाने में 20 साल लग गए थे. 1625 में बने इस किले पर राजाओं से अंग्रेजी हुकूमत तक हुए कई आक्रमण हुए. लेकिन इस पर विजय पाने में असफल रहे. अंत में 1845 में राजा बलबीर सेन ने अंग्रेजों की मदद से कमलाह किले को मुक्त करा लिया. 1846 में एक संधि के अनुसार यह किला ब्रिटिश सरकार के अधीन मंडी रियासत का गौरव बना.

history of kamlah fort in mandi district
अभेद्य माना जाने वाला कमलाह किला आज लड़ रहा है अपने अस्तित्व की लड़ाई
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Published : Mar 17, 2020, 12:23 AM IST

मंडी: हिमाचल की धरोहर में आज हम बात कर रहे हैं ऐतिहासिक कमलाह किले की जो उस दौर की गद रियासत और आज के मंडी जिला के धर्मपुर विधानसभा क्षेत्र के तहत कमलाह गांव में स्थित है. अभेद्य माना जाने वाला ऐतिहासिक कमलाह किला आज अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है. समय रहते उचित रख रखाव न होने के कारण यह अभेद्य किला आज अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है.

कमलाह किले का इतिहास

किले के इतिहास पर नजर डालें तो कमलाह किला मंडी जिला मुख्यालय से 100 किलोमीटर दूर समुद्र तल से 4500 फीट ऊंचाई पर स्थित है. मंडी रियासत के राजा हरी सेन ने 1605 ई. में इस किले का निर्माण शुरू करवाया लेकिन अपने जीवनकाल में वह इस किले को पूरी तरह से नहीं बना सके.

वीडियो.

बाद में उनके पुत्र सूर्यसेन ने 1625 ई में अपने पिता के अधूरे काम को पूरा किया. इस किले को इसलिए सुरक्षित माना जाता था क्योंकि यहां तक पहुंच पाना किसी के लिए भी संभव नहीं था. इस किले तक पहुंचने के लिए चढ़ाई इतनी कठिन है कि आज भी यहां पहुंच पाना काफी मुश्किल होता है. यही कारण है कि दुश्मन किले तक पहुंचने से पहले ही भाग जाते थे और इसे अभेद्य किला माना गया.

heritage of himachal kamlah fort mandi
कमलाह किले की धवस्त हो चुकी दीवारें

राजाओं से लेकर अंग्रेजी हुकूमत तक किले पर हुए कई आक्रमण

17वीं शताब्दी में राजा ईश्वरी सेन के शासन काल के दौरान कांगड़ा के राजा संसार चंद ने कमलाह किले पर कब्जा करने का षडयंत्र रचा, लेकिन वह सफल नहीं हो सके. इस किले पर रियासती दौर में कई आक्रमण हुए लेकिन कोई विजयी नहीं हो पाया.

अंत में सिखों ने बड़ी कठिनाई से कमलाह किले पर विजय हासिल की. 1845 में राजा बलबीर सेन ने अंग्रेजों की मदद से कमलाह किले को मुक्त करा लिया. 1846 में एक संधि के अनुसार यह किला ब्रिटिश सरकार के अधीन मंडी रियासत का गौरव बना.

heritage of himachal kamlah fort mandi
कमलाह किले की धवस्त हो चुकी दीवारें

अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है कमलाह किला

मौजूदा समय में किले की प्राचीन दीवारें जर्जर होकर गिर रही हैं और कुछ तो पूरी तरह से धवस्त हो चुकी हैं. इतना ही राजाओं के जमाने की संपत्ति तक को संभाल कर नहीं रखा गया. रियासती दौर में दुश्मनों की रूह कंपा देने वाली तोपें भी आज उचित रखरखाव न होने के कारण जंग खा रही हैं. राजाओं के जमाने के प्राचीन जलाशय दूषित हो गए हैं.

heritage of himachal kamlah fort mandi
लड़ाई के दौरान रानी की सुराक्षा के लिए बनाई गई गुफा

आक्रमण के दौरान रानी के लिए बनाई गई थी गुफा

कहते हैं जब किल पर आक्रमण होते थे तो रानियां गुफा में छिप जाती थीं वह गुफा आज भी मौजूद है, लेकिन आज इस गुफा का हाल भी किले जैसा ही है. युवा पीढ़ी के पास अब कमलाह किले में देखने लायक कुछ खास नहीं बचा है, लेकिन किले के साथ मौजूद बाबा कमलाहिया मंदिर में लोग माथा टेकने जरूर आते हैं. इसी बहाने इस कमलाह किले का भी दीदार कर लेते हैं.

heritage of himachal kamlah fort mandi
कमलाह किले के थका देने वाला रास्ता

किले तक पहुंचने का रास्ता

वहीं, कमलाह किले तक पहुंचने की बात करें तो अब इसे चारों तरफ से सड़क सुविधा से जोड़ दिया गया है. मंडी जिला मुख्यालय से 100 किलोमीटर दूर धर्मपुर विधानसभा क्षेत्र के तहत कमलाह गांव में स्थित है.

इस किले तक पहुंचने के लिए सीढ़ीदार खड़ी चढ़ाई को तय करने के बाद का नजारा किले के सारे सफर को सफल कर देता है. इस किले से सूर्योदय या सूर्यास्त का दृश्य देखने को मिल जाएं तो वह तस्वीरें कई दिन तक दिल और दिमाग से नहीं उतरेंगी.

heritage of himachal kamlah fort mandi
कमलाह किले की जंग खा रही ही विरासत

मंडी जिला प्रशासन ने किले के जिर्णोद्धार को लेकर क्या कहा

डीसी मंडी ऋग्वेद ठाकुर बताते हैं कि कमलाह किला एक ऐतिहासिक धरोहर है और इसे संरक्षित रखने के पूरे प्रयास किए जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि किले के संरक्षण के लिए एक मास्टर प्लान बनाया जा रहा है और इसे मंजूरी के लिए सरकार को भेजा जाएगा. पैसों की स्वीकृति मिलते ही किले को एक नया स्वरूप दिया जाएगा.

अब देखना यह होगा कि प्रशासन हिमाचल की ऐतिहासिक धरोहरों के पुनरुद्धार को लेकर किए गए वादे कितना जल्दी पूरा करता या फिर यह कमलाह किला इसी तरह वक्त के साथ मिट्टी में मिल जाएगा.

मंडी: हिमाचल की धरोहर में आज हम बात कर रहे हैं ऐतिहासिक कमलाह किले की जो उस दौर की गद रियासत और आज के मंडी जिला के धर्मपुर विधानसभा क्षेत्र के तहत कमलाह गांव में स्थित है. अभेद्य माना जाने वाला ऐतिहासिक कमलाह किला आज अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है. समय रहते उचित रख रखाव न होने के कारण यह अभेद्य किला आज अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है.

कमलाह किले का इतिहास

किले के इतिहास पर नजर डालें तो कमलाह किला मंडी जिला मुख्यालय से 100 किलोमीटर दूर समुद्र तल से 4500 फीट ऊंचाई पर स्थित है. मंडी रियासत के राजा हरी सेन ने 1605 ई. में इस किले का निर्माण शुरू करवाया लेकिन अपने जीवनकाल में वह इस किले को पूरी तरह से नहीं बना सके.

वीडियो.

बाद में उनके पुत्र सूर्यसेन ने 1625 ई में अपने पिता के अधूरे काम को पूरा किया. इस किले को इसलिए सुरक्षित माना जाता था क्योंकि यहां तक पहुंच पाना किसी के लिए भी संभव नहीं था. इस किले तक पहुंचने के लिए चढ़ाई इतनी कठिन है कि आज भी यहां पहुंच पाना काफी मुश्किल होता है. यही कारण है कि दुश्मन किले तक पहुंचने से पहले ही भाग जाते थे और इसे अभेद्य किला माना गया.

heritage of himachal kamlah fort mandi
कमलाह किले की धवस्त हो चुकी दीवारें

राजाओं से लेकर अंग्रेजी हुकूमत तक किले पर हुए कई आक्रमण

17वीं शताब्दी में राजा ईश्वरी सेन के शासन काल के दौरान कांगड़ा के राजा संसार चंद ने कमलाह किले पर कब्जा करने का षडयंत्र रचा, लेकिन वह सफल नहीं हो सके. इस किले पर रियासती दौर में कई आक्रमण हुए लेकिन कोई विजयी नहीं हो पाया.

अंत में सिखों ने बड़ी कठिनाई से कमलाह किले पर विजय हासिल की. 1845 में राजा बलबीर सेन ने अंग्रेजों की मदद से कमलाह किले को मुक्त करा लिया. 1846 में एक संधि के अनुसार यह किला ब्रिटिश सरकार के अधीन मंडी रियासत का गौरव बना.

heritage of himachal kamlah fort mandi
कमलाह किले की धवस्त हो चुकी दीवारें

अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है कमलाह किला

मौजूदा समय में किले की प्राचीन दीवारें जर्जर होकर गिर रही हैं और कुछ तो पूरी तरह से धवस्त हो चुकी हैं. इतना ही राजाओं के जमाने की संपत्ति तक को संभाल कर नहीं रखा गया. रियासती दौर में दुश्मनों की रूह कंपा देने वाली तोपें भी आज उचित रखरखाव न होने के कारण जंग खा रही हैं. राजाओं के जमाने के प्राचीन जलाशय दूषित हो गए हैं.

heritage of himachal kamlah fort mandi
लड़ाई के दौरान रानी की सुराक्षा के लिए बनाई गई गुफा

आक्रमण के दौरान रानी के लिए बनाई गई थी गुफा

कहते हैं जब किल पर आक्रमण होते थे तो रानियां गुफा में छिप जाती थीं वह गुफा आज भी मौजूद है, लेकिन आज इस गुफा का हाल भी किले जैसा ही है. युवा पीढ़ी के पास अब कमलाह किले में देखने लायक कुछ खास नहीं बचा है, लेकिन किले के साथ मौजूद बाबा कमलाहिया मंदिर में लोग माथा टेकने जरूर आते हैं. इसी बहाने इस कमलाह किले का भी दीदार कर लेते हैं.

heritage of himachal kamlah fort mandi
कमलाह किले के थका देने वाला रास्ता

किले तक पहुंचने का रास्ता

वहीं, कमलाह किले तक पहुंचने की बात करें तो अब इसे चारों तरफ से सड़क सुविधा से जोड़ दिया गया है. मंडी जिला मुख्यालय से 100 किलोमीटर दूर धर्मपुर विधानसभा क्षेत्र के तहत कमलाह गांव में स्थित है.

इस किले तक पहुंचने के लिए सीढ़ीदार खड़ी चढ़ाई को तय करने के बाद का नजारा किले के सारे सफर को सफल कर देता है. इस किले से सूर्योदय या सूर्यास्त का दृश्य देखने को मिल जाएं तो वह तस्वीरें कई दिन तक दिल और दिमाग से नहीं उतरेंगी.

heritage of himachal kamlah fort mandi
कमलाह किले की जंग खा रही ही विरासत

मंडी जिला प्रशासन ने किले के जिर्णोद्धार को लेकर क्या कहा

डीसी मंडी ऋग्वेद ठाकुर बताते हैं कि कमलाह किला एक ऐतिहासिक धरोहर है और इसे संरक्षित रखने के पूरे प्रयास किए जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि किले के संरक्षण के लिए एक मास्टर प्लान बनाया जा रहा है और इसे मंजूरी के लिए सरकार को भेजा जाएगा. पैसों की स्वीकृति मिलते ही किले को एक नया स्वरूप दिया जाएगा.

अब देखना यह होगा कि प्रशासन हिमाचल की ऐतिहासिक धरोहरों के पुनरुद्धार को लेकर किए गए वादे कितना जल्दी पूरा करता या फिर यह कमलाह किला इसी तरह वक्त के साथ मिट्टी में मिल जाएगा.

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