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8 राज्यों में अव्वल रहा हिमाचल, TB अभियान में बेहतरीन सहभागिता के लिए मिला सम्मान - ऋषिकेश

टीबी अभियान के तहत हिमाचल ने हासिल किया नया मुकाम मेडिकल कॉलेजिस की संशोधित राष्ट्रीय तपेदिक नियंत्रण कार्यक्रम में दी बेहतरीन सहभागिता उत्तरी भारत के आठ राज्यों में किया टॉप

TB अभियान में बेहतरीन सहभागिता के लिए हिमाचल को मिला पुरस्कार
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Published : Mar 29, 2019, 4:43 PM IST

मंडी: टीबी अभियान के तहत हिमाचल ने एक नया मुकाम हासिल कर लिया है. प्रदेश को भारत के आठ उत्तरी राज्यों में मेडिकल कॉलेजिस की संशोधित राष्ट्रीय तपेदिक नियंत्रण कार्यक्रम में बेहतरीन सहभागिता के लिए पहला स्थान मिला है.

इन राज्‍यों में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली, हरियाणा, चंडीगढ़, पंजाब और जम्मू-कश्मीर शामिल हैं. टीबी पर टास्क फोर्स की वार्षिक बैठक एम्स ऋषिकेश में 28 से 29 मार्च तक आयोजित की गई. इस बैठक में पुरस्कार की पुष्टि की गई.

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TB अभियान में बेहतरीन सहभागिता के लिए हिमाचल को मिला पुरस्कार

टीबी पर टास्क फोर्स की वार्षिक बैठक मुख्य रूप से संशोधित राष्ट्रीय तपेदिक नियंत्रण कार्यक्रम में मेडिकल कॉलेजिज की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए होती है. इस बैठक में आरडी धीमान, अतिरिक्त मुख्य सचिव स्वास्थ्य हिमाचल सरकार वडॉ. आरके बारिया, राज्य टीबी अधिकारी उपस्थित रहे.
अतिरिक्त मुख्य सचिव आरडी धीमान ने तपेदिक को नियंत्रित करने में मेडिकल कॉलेजिस की भूमिका पर कहा कि हिमाचल प्रदेश सार्वजनिक स्वास्थ्य के मुद्दों के लिए प्रतिबद्ध है. हिमाचल क्षय रोग योजना शुरू करने वाला पहला राज्य है. राज्य के बजट से दो करोड़ रुपये तपेदिक से लड़ने के लिए रखे गए हैं. जोनल टास्क फोर्स के अध्यक्षअशोक भारद्वाज ने कहा कि आठ राज्यों में सरकार के साथ निजी क्षेत्र में 98 चिकित्सा कॉलेज हैं, जो तकनीकी और साथ-साथ क्षय रोग से लड़ने के लिए नए-नए तरीके प्रदान कर रहे हैं.

भारत सरकार के अतिरिक्त स्वास्थ्य सचिव संजीव कुमार ने कहा कि तपेदिक से लड़ने के लिए बहुत कुछ करना अभी बाकि है और हमें भारत से तपेदिक को जड़ से खत्म करने के लिए हर क्षेत्र से साथ की जरूरत है. डॉ. के सचदेवा ने बताया कि पूरे भारत में तपेदिक के कारण हर दो मिनट में तीन लोगों की मौत हो रही है.

राज्य तपेदिक अधिकारी डॉ. बारिया ने कहा कि हिमाचल में अनुमानित 16500 तपेदिक रोगियों को 2018 में ठीक किया गया था और इन लोगों में से 46 प्रतिशत का निदान मेडिकल कॉलेज में किया गया था. मरीजों में 673 बच्चे थे, जबकि 4777 लोगों के फेफड़े क्षयरोग से ग्रसित थे. 1 अप्रैल 2018 से अभी तक 32788750 रुपये टीके और रोगियों को निक्षय पोषण अभियान के तहत वितरित किए जा चुके हैं. प्रत्येक टीबी रोगी को उपचार पूरा होने तक न्यूट्रल सपोर्ट के लिए 500 रुपये मासिक मिलते हैं. स्टेट टास्क फोर्स कोऑर्डिनेटर डॉ. अक्षय मिन्हास ने कहा कि उन आबादी वाले इलाकों तक पहुंचने की कोशिश की जा रही है, जिन्हें अभी भी सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं.

मंडी: टीबी अभियान के तहत हिमाचल ने एक नया मुकाम हासिल कर लिया है. प्रदेश को भारत के आठ उत्तरी राज्यों में मेडिकल कॉलेजिस की संशोधित राष्ट्रीय तपेदिक नियंत्रण कार्यक्रम में बेहतरीन सहभागिता के लिए पहला स्थान मिला है.

इन राज्‍यों में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली, हरियाणा, चंडीगढ़, पंजाब और जम्मू-कश्मीर शामिल हैं. टीबी पर टास्क फोर्स की वार्षिक बैठक एम्स ऋषिकेश में 28 से 29 मार्च तक आयोजित की गई. इस बैठक में पुरस्कार की पुष्टि की गई.

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TB अभियान में बेहतरीन सहभागिता के लिए हिमाचल को मिला पुरस्कार

टीबी पर टास्क फोर्स की वार्षिक बैठक मुख्य रूप से संशोधित राष्ट्रीय तपेदिक नियंत्रण कार्यक्रम में मेडिकल कॉलेजिज की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए होती है. इस बैठक में आरडी धीमान, अतिरिक्त मुख्य सचिव स्वास्थ्य हिमाचल सरकार वडॉ. आरके बारिया, राज्य टीबी अधिकारी उपस्थित रहे.
अतिरिक्त मुख्य सचिव आरडी धीमान ने तपेदिक को नियंत्रित करने में मेडिकल कॉलेजिस की भूमिका पर कहा कि हिमाचल प्रदेश सार्वजनिक स्वास्थ्य के मुद्दों के लिए प्रतिबद्ध है. हिमाचल क्षय रोग योजना शुरू करने वाला पहला राज्य है. राज्य के बजट से दो करोड़ रुपये तपेदिक से लड़ने के लिए रखे गए हैं. जोनल टास्क फोर्स के अध्यक्षअशोक भारद्वाज ने कहा कि आठ राज्यों में सरकार के साथ निजी क्षेत्र में 98 चिकित्सा कॉलेज हैं, जो तकनीकी और साथ-साथ क्षय रोग से लड़ने के लिए नए-नए तरीके प्रदान कर रहे हैं.

भारत सरकार के अतिरिक्त स्वास्थ्य सचिव संजीव कुमार ने कहा कि तपेदिक से लड़ने के लिए बहुत कुछ करना अभी बाकि है और हमें भारत से तपेदिक को जड़ से खत्म करने के लिए हर क्षेत्र से साथ की जरूरत है. डॉ. के सचदेवा ने बताया कि पूरे भारत में तपेदिक के कारण हर दो मिनट में तीन लोगों की मौत हो रही है.

राज्य तपेदिक अधिकारी डॉ. बारिया ने कहा कि हिमाचल में अनुमानित 16500 तपेदिक रोगियों को 2018 में ठीक किया गया था और इन लोगों में से 46 प्रतिशत का निदान मेडिकल कॉलेज में किया गया था. मरीजों में 673 बच्चे थे, जबकि 4777 लोगों के फेफड़े क्षयरोग से ग्रसित थे. 1 अप्रैल 2018 से अभी तक 32788750 रुपये टीके और रोगियों को निक्षय पोषण अभियान के तहत वितरित किए जा चुके हैं. प्रत्येक टीबी रोगी को उपचार पूरा होने तक न्यूट्रल सपोर्ट के लिए 500 रुपये मासिक मिलते हैं. स्टेट टास्क फोर्स कोऑर्डिनेटर डॉ. अक्षय मिन्हास ने कहा कि उन आबादी वाले इलाकों तक पहुंचने की कोशिश की जा रही है, जिन्हें अभी भी सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं.

टीबी अभियान में मेडिकल कॉलेजों की बेहतरीन सहभागिता के लिए उतरी क्षेत्र में हिमाचल अव्‍वल
आठ राज्‍याें में मिला पहला स्‍थान, एम्‍स ऋषिकेश में हुई टीबी पर टास्‍क फोर्स की वार्षिक बैठक

मंडी। टीबी अभियान के तहत हिमाचल ने एक नया मुकाम हासिल किया है। हिमाचल प्रदेश भारत के उत्तर क्षेत्र के 8 राज्यों में पहला स्‍थान हासिल किया है। इन राज्‍यों में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली, हरियाणा, चंडीगढ़, पंजाब और जम्मू-कश्मीर शामिल हैं। यह पुरस्‍कार मेडिकल कॉलेजों की संशोधित राष्ट्रीय तपेदिक नियंत्रण कार्यक्रम में बेहतरीन सहभागिता के लिए हिमाचल को मिला है।
टीबी पर टास्क फोर्स की वार्षिक बैठक एम्स ऋषिकेश में 28 से 29 मार्च तक आयोजित की गई। जिसमें इस पुरस्कार की पुष्टि की गई। टीबी पर टास्क फोर्स की वार्षिक बैठक मुख्य रूप से संशोधित राष्ट्रीय तपेदिक नियंत्रण कार्यक्रम में मेडिकल कॉलेजों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए होती है। इस बैठक में आरडी धीमान, अतिरिक्त मुख्य सचिव स्वास्थ्य हिमाचल सरकार व डॉ आरके बारिया, राज्य टीबी अधिकारी उपस्थित रहे। अतिरिक्त मुख्य सचिव आरडी धीमान ने तपेदिक को नियंत्रित करने में मेडिकल कॉलेजों की भूमिका पर प्रकाश डाला और कहा कि हिमाचल प्रदेश सार्वजनिक स्वास्थ्य के मुद्दों के लिए प्रतिबद्ध है और यह ध्यान में रखते हुए कि हिमाचल मुख्मंत्री क्षय रोग योजना शुरू करने वाला पहला राज्य है। जिसमें राज्य के बजट से दो करोड़ रुपये अकेले तपेदिक से लड़ने के लिए रखे गए हैं। जोनल टास्क फोर्स के अध्यक्ष  अशोक भारद्वाज ने कहा कि आठ राज्यों में सरकार के साथ निजी क्षेत्र में 98 चिकित्सा कॉलेज हैं जो तकनीकी और साथ ही साथ घातक रोग क्षय रोग से लड़ने के लिए नए नए तरीके प्रदान कर रहे हैं। भारत सरकार के अतिरिक्त सचिव स्वास्थ्य संजीव कुमार ने कहा कि तपेदिक से लड़ने के लिए बहुत कुछ करना है और हमें भारत से तपेदिक को जड़ से खत्म करने के लिए हर क्षेत्र से हाथ की जरूरत है। वहीं, डॉ के सचदेवा ने कहा कि हर दो मिनट में हम पूरे भारत में तपेदिक के कारण तीन लोगों को खो रहे है। राज्य तपेदिक अधिकारी डा बारिया ने कहा कि हिमाचल में अनुमानित 16500 तपेदिक का निदान 2018 में किया गया था और इसमें से 46% का निदान मेडिकल कालेज में किया गया था। इसमें 673 बच्चे थे। जबकि 4777 फेफड़े का क्षयरोग से ग्रसित थे। बताया कि 1 अप्रैल 2018 से आज तक 32788750 रुपये टीके रोगियों को निक्षय पोषण अभियान के तहत वितरित किए जा चुके हैं। जिसमें प्रत्येक टीबी रोगी को उपचार पूरा होने तक न्यूट्रल सपोर्ट के लिए 500 रुपये मासिक मिलते हैं। स्टेट टास्क फोर्स कोऑर्डिनेटर डा अक्षय मिन्हास ने कहा कि उन आबादी वाले इलाकों तक पहुंचने की कोशिश की जा रही है, जिन्हें अभी भी सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं।

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