मंडी: बुधवार को चांद पर चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के बाद इस मिशन में काम करने वाले बहुत से चेहरे सुर्खियों में हैं. देश और दुनिया के अलग-अलग हिस्सों से इसरो और चंद्रयान-3 मिशन में जुटी टीम को बधाइयां मिल रही हैं. चंद्रयान-3 को सफलता पूर्वक चांद के दक्षिणी हिस्से पर लैंड कराने में कई साइंटिस्ट की भूमिका है. जिन्होंने इस मिशन को सफल बनाने में अपनी अहम भूमिका निभाई है. ऐसा ही महत्वपूर्ण योगदान मंडी जिले के साइंटिस्ट प्रषुम्न ने भी दिया है. दरअसल, प्रषुम्न चंद्रयान-3 के क्रोयोजेनिक इंजन बनाने वाली टीम का हिस्सा थे.
होनहार प्रषुम्न का परिवार मंडी जिले के द्रंग विधानसभा क्षेत्र के तहत आने वाले गवारडू गांव में रहता है. उनकी शुरुआती पढ़ाई हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में ITBP पब्लिक स्कूल, रिकॉन्गपिओ से हुई थी. इसके बाद प्रषुम्न ने दसवीं की पढ़ाई मंडी के डीएवी और 12वीं जीनियस इंटरनेशनल पब्लिक स्कूल, नेरचौक (मंडी जिला) से की है. इसके बाद प्रषुम्न ने JEE की परीक्षा में अच्छे अंक हासिल करके IIT कानपुर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की. अपनी मेहनत से उन्होंने बी.टेक और एम.टेक की ड्यूल डिग्री पूरी की और फिर इसरो से बतौर जूनियर साइंटिस्ट जुड़े.
![अपने माता-पिता के साथ प्रषुम्न](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/25-08-2023/19355522_photos.jpg)
प्रषुम्न पिछले करीब 4 साल से ISRO में काम कर रहे हैं. वो चंद्रयान-3 प्रोजेक्ट में क्रायोजेनिक इंजन टीम में थे. चंद्रयान-3 को जिस रॉकेट की मदद से पृथ्वी की कक्षा के बाहर पहुंचाया गया उसका नाम मार्क-3 था. इस रॉकेट में क्रायोजेनिक इंजन लगे थे. 25 साल के प्रषुम्न क्रायोजेनिक इंजन बनाने वाली टीम में थे और इस टीम ने चांद पर पहुंचने के मिशन में अहम भूमिका निभाई.
'अगर इंजन नहीं होता तो चंद्रयान-3 कैसे आगे बढ़ता': प्रषुम्न के पिता घनश्याम बताते हैं कि 23 अगस्त का दिन देश के लिए ऐतिहासिक था. जैसे ही चंद्रयान-3 की चांद पर सफल लैंडिंग हुई तो वे बिस्तर पर जोर से उछल गए और तालियां बजाने लगे. यह कुछ ऐसे क्षण थे जिन्हें वे शब्दों में बयां नहीं कर सकते. उन्होंने कहा कि चंद्रयान-3 की कामयाबी की खुशी और साथ में बेटे की उसमें भागीदारी ने हमें दोहरी खुशी दी है. प्रषुम्न की माता ऋतु सुमन ने बताया कि सफल लैंडिंग के बाद उन्होंने अपने बेटे से वीडियो कॉल पर बात की थी. बेटा खुश था, लेकिन इस मिशन में अपनी भागीदारी से ज्यादा दूसरे वैज्ञानिकों को श्रेय दे रहा था. मां कहती हैं कि "मैंने प्रषुम्न को समझाया कि जो इंजन उसकी टीम ने बनाया है, अगर वो नहीं होता तो फिर चंद्रयान-3 कैसे आगे बढ़ता". उन्होंने अपने बेटे को बधाई दी और लगातार आगे बढ़ने का आशीर्वाद दिया.
IIT कानपुर से की है मैकेनिकल इंजीनियरिंग: बता दें, प्रषुम्न ने इसरो में बतौर साइंटिस्ट 2019 में ही अपना कार्यभार संभालकर सेवाएं देना शुरू कर दिया था. प्रषुम्न ने IIT कानपुर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की है. यहीं से उन्हें साल 2018 में कैंपस प्लेसमेंट में उनका चयन ISRO के लिए हुआ था. प्रषुम्न देश के पूर्व राष्ट्रपति और साइंटिस्ट एपीजे अब्दुल कलाम को अपना आदर्श मानते हैं. आज बेटे की कामयाबी पर प्रषुम्न के परिवार को गर्व है, उनके माता-पिता कहते हैं कि बेटे ने परिवार और प्रदेश ही नहीं बल्कि देश का नाम रोशन किया है.
![बेटे प्रषुम्न की उपलब्धि पर माता-पिता को गर्व](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/25-08-2023/19355522_photo.jpg)
'बचपन से ही था मैकेनिकी का शौक': 25 वर्षीय प्रषुम्न द्रंग विधानसभा क्षेत्र के गवारडू गांव का रहने वाला है. उसे बचपन से मैकेनिकी का शौक था. पिता घनश्याम बताते हैं कि प्रषुम्न घर में रखी हर चीज को खोलकर रख देता था, घर पर शायद ही ऐसी कोई चीज बची हो जिसपर प्रषुम्न ने अपना हुनर ना आजमाया हो. पिता कहते हैं कि बचपन का उसका शौक और फिर उसकी लगन ने उसे इस मुकाम तक पहुंचाया है कि वो इसरो जैसी संस्था के लिए बतौर साइंटिस्ट काम कर रहा है. प्रषुम्न के पिता घनश्याम एलआईसी अधिकारी हैं, जबकि माता ऋतु सुमन टीचर हैं.