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स्वास्थ्य मंत्री के तर्क से आहत हेल्थ सोसायटी के कर्मचारी, कोर्ट जाने की दी चेतावनी - demands of Health Society employees

हेल्थ सोसाइटी के कर्मचारी अपनी मांगों के लेकर विधानसभा में 17 सितंबर को स्वास्थ्य मंत्री से मिले थे, लेकिन स्वास्थ्य मंत्री ने हेल्थ सोसाइटी के कर्मचारियों को केंद्र सरकार का हवाला दे दिया. जिससे हेल्थ सोसाइटी के कर्मचारी भड़क गए हैं और सरकार से अन्य विभागों की तरह पॉलिसी बनाने या फिर वित्तीय लाभ देने की मांग की है.

आहत सोसायटी मंडी
आहत सोसायटी मंडी
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Published : Sep 18, 2020, 8:47 PM IST

Updated : Sep 18, 2020, 9:20 PM IST

करसोग: कोरोना महामारी में लोगों की सेवा में दिन रात मोर्चे पर डटे हेल्थ सोसाइटी के सैकड़ों कर्मचारी स्वाथ्य मंत्री के तर्क से काफी आहत हैं. इन कर्मचारियों ने अब सरकार को पॉलिसी न बनाए जाने या फिर वित्तीय लाभ न मिलने पर कोर्ट में जाने का अल्टीमेटम दे दिया है.

हेल्थ सोसाइटी के कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर विधानसभा में 17 सितंबर को स्वास्थ्य मंत्री से मिले थे, लेकिन स्वास्थ्य मंत्री ने हेल्थ सोसाइटी के कर्मचारियों को केंद्र सरकार का हवाला दे दिया. जिससे हेल्थ सोसाइटी के कर्मचारी भड़क गए हैं और सरकार से अन्य विभागों की तरह पॉलिसी बनाने या फिर वित्तीय लाभ देने की मांग की है.

साथ ही कहा कि अगर अब भी मांग को सुना नहीं गया तो हेल्थ सोसाइटी के कर्मचारियों ने मजबूरन सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने का अल्टीमेटम जारी कर दिया है. हिमाचल प्रदेश में हेल्थ सोसाइटी के तहत करीब 1500 कर्मचारी कोरोना संकट के दिनों में भी जान जाखिम में डाल कर लोगों की सेवा कर रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद सरकार इन कर्मचारियों का भविष्य संवारने के लिए कोई भी पॉलिसी नहीं बना रही है, जबकि ये कर्मचारी पिछले 15 से 20 सालों से पॉलिसी बनाए जाने की लगातार मांग उठा रहे हैं.

वीडियो.

हैरानी की बात है कि कर्मचारियों की कोई भी सुनवाई नहीं हो रही है. सरकार की इस अनदेखी से हेल्थ सोसाइटी के तहत एड्स कंट्रोल सोसायटी, एनआरएचएम व आरएनटीसीपी में काम कर रहे कर्मचारियों को भविष्य की भी चिंता सताने लगी है.

करसोग में हेल्थ सोसायटी के तहत एनआरएचएम में अकाउंटेंट पद पर कार्य कर रहे महेंद्र कुमार ने बताया कि हेल्थ सोसायटी के कर्मचारी पॉलिसी या फिर रेगुलर पे स्केल देने के बारे में मंत्री से मिले थे, लेकिन स्वास्थ्य मंत्री ने हेल्थ सोसाइटी के कर्मचारियों को केंद्र सरकार के तहत होने की बात कह दी, इससे कर्मचारी आहत हैं. उन्होंने कहा कि हेल्थ सोसाइटी में जितनी भी भर्ती हुई है, वह प्रदेश सरकार ने की है. उन्होंने कहा कि सरकार हमारे लिए पॉलिसी बनाए अन्यथा हेल्थ सोसायटी के कर्मचारी कोर्ट का दरवाजा खटखाने को मजबूर होंगे.

हर महीने 30 हजार का नुकसान

हेल्थ सोसाइटी के तहत काम कर रहे कर्मचारियों को रेगुलर पे स्केल न मिलने से हर महीने करीब 30 हजार का नुकसान झेलना पड़ रहा है. इन कर्मचारियों को वर्तमान में प्रति माह करीब 20 हजार रुपये वेतन दिया जा रहा है. अगर सरकार रेगुलर पे स्केल देती है तो इन्हें हर महीने नियमित कर्मचारियों की तरह करीब 50 हजार वेतन मिलेगा.

हालांकि वर्ष 2016 में जारी अधिसूचना के आधार पर आरकेएस के तहत आईजीएमसी शिमला, मेडिकल कॉलेज नाहन व टांडा में कर्मचारियों को रेगुलर पे स्केल दिया जा रहा है, लेकिन एनआरएचएम, आरएनटीसीपी व एड्स कंट्रोल सोसाइटी कर्मचारियों को ही रेगुलर पे स्केल नहीं मिल रहा है.

बता दें कि हरियाणा और तमिलनाडु सरकार हेल्थ सोसाइटी के तहत काम कर रहे कर्मचारियों को रेगुलर पे स्केल दे रही है. इसी तर्ज पर हिमाचल में भी कर्मचारी रेगुलर पे स्केल की मांग कर रहे हैं.

पढ़ें: मंडी के 15 अस्पतालों का हुआ 'कायाकल्प', सरकार की ओर से मिला सम्मान

करसोग: कोरोना महामारी में लोगों की सेवा में दिन रात मोर्चे पर डटे हेल्थ सोसाइटी के सैकड़ों कर्मचारी स्वाथ्य मंत्री के तर्क से काफी आहत हैं. इन कर्मचारियों ने अब सरकार को पॉलिसी न बनाए जाने या फिर वित्तीय लाभ न मिलने पर कोर्ट में जाने का अल्टीमेटम दे दिया है.

हेल्थ सोसाइटी के कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर विधानसभा में 17 सितंबर को स्वास्थ्य मंत्री से मिले थे, लेकिन स्वास्थ्य मंत्री ने हेल्थ सोसाइटी के कर्मचारियों को केंद्र सरकार का हवाला दे दिया. जिससे हेल्थ सोसाइटी के कर्मचारी भड़क गए हैं और सरकार से अन्य विभागों की तरह पॉलिसी बनाने या फिर वित्तीय लाभ देने की मांग की है.

साथ ही कहा कि अगर अब भी मांग को सुना नहीं गया तो हेल्थ सोसाइटी के कर्मचारियों ने मजबूरन सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने का अल्टीमेटम जारी कर दिया है. हिमाचल प्रदेश में हेल्थ सोसाइटी के तहत करीब 1500 कर्मचारी कोरोना संकट के दिनों में भी जान जाखिम में डाल कर लोगों की सेवा कर रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद सरकार इन कर्मचारियों का भविष्य संवारने के लिए कोई भी पॉलिसी नहीं बना रही है, जबकि ये कर्मचारी पिछले 15 से 20 सालों से पॉलिसी बनाए जाने की लगातार मांग उठा रहे हैं.

वीडियो.

हैरानी की बात है कि कर्मचारियों की कोई भी सुनवाई नहीं हो रही है. सरकार की इस अनदेखी से हेल्थ सोसाइटी के तहत एड्स कंट्रोल सोसायटी, एनआरएचएम व आरएनटीसीपी में काम कर रहे कर्मचारियों को भविष्य की भी चिंता सताने लगी है.

करसोग में हेल्थ सोसायटी के तहत एनआरएचएम में अकाउंटेंट पद पर कार्य कर रहे महेंद्र कुमार ने बताया कि हेल्थ सोसायटी के कर्मचारी पॉलिसी या फिर रेगुलर पे स्केल देने के बारे में मंत्री से मिले थे, लेकिन स्वास्थ्य मंत्री ने हेल्थ सोसाइटी के कर्मचारियों को केंद्र सरकार के तहत होने की बात कह दी, इससे कर्मचारी आहत हैं. उन्होंने कहा कि हेल्थ सोसाइटी में जितनी भी भर्ती हुई है, वह प्रदेश सरकार ने की है. उन्होंने कहा कि सरकार हमारे लिए पॉलिसी बनाए अन्यथा हेल्थ सोसायटी के कर्मचारी कोर्ट का दरवाजा खटखाने को मजबूर होंगे.

हर महीने 30 हजार का नुकसान

हेल्थ सोसाइटी के तहत काम कर रहे कर्मचारियों को रेगुलर पे स्केल न मिलने से हर महीने करीब 30 हजार का नुकसान झेलना पड़ रहा है. इन कर्मचारियों को वर्तमान में प्रति माह करीब 20 हजार रुपये वेतन दिया जा रहा है. अगर सरकार रेगुलर पे स्केल देती है तो इन्हें हर महीने नियमित कर्मचारियों की तरह करीब 50 हजार वेतन मिलेगा.

हालांकि वर्ष 2016 में जारी अधिसूचना के आधार पर आरकेएस के तहत आईजीएमसी शिमला, मेडिकल कॉलेज नाहन व टांडा में कर्मचारियों को रेगुलर पे स्केल दिया जा रहा है, लेकिन एनआरएचएम, आरएनटीसीपी व एड्स कंट्रोल सोसाइटी कर्मचारियों को ही रेगुलर पे स्केल नहीं मिल रहा है.

बता दें कि हरियाणा और तमिलनाडु सरकार हेल्थ सोसाइटी के तहत काम कर रहे कर्मचारियों को रेगुलर पे स्केल दे रही है. इसी तर्ज पर हिमाचल में भी कर्मचारी रेगुलर पे स्केल की मांग कर रहे हैं.

पढ़ें: मंडी के 15 अस्पतालों का हुआ 'कायाकल्प', सरकार की ओर से मिला सम्मान

Last Updated : Sep 18, 2020, 9:20 PM IST
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