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हेल्थ सोसाइटी के कर्मचारियों से 4 साल पहले हुआ था रेगुलर पे-स्केल का वादा, अब तक नहीं बनी पॉलिसी - Health Society employees of Himachal Pradesh

हेल्थ सोसाइटी के तहत काम कर रहे कर्मचारियों को पूर्व कांग्रेस सरकार ने रेगुलर पे स्केल की अधिसूचना जारी की थी, लेकिन चार साल से अधिक का समय बीतने पर भी इन कर्मचारियों को रेगुलर पे स्केल नहीं दिया गया. कर्मचारियों ने सरकार से रेगुलर पे स्केल देने की मांग की है.

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Published : Jul 10, 2020, 7:55 PM IST

करसोग/मंडी: कोरोना महामारी में फ्रंट लाइन पर दिन और रात सेवाएं दे रहे हेल्थ सोसाइटी के सैकड़ों कर्मचारियों के भविष्य की सरकार को कोई चिंता ही नहीं है.

हेल्थ सोसाइटी के तहत काम कर रहे करीब 1500 कर्मचारी कोरोना संकट में इन दिनों जान जाखिम में डाल कर लोगों की सेवा कर रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद सरकार इन कर्मचारियों का भविष्य संवारने के लिए कोई भी पॉलिसी नहीं बना रही है, जबकि ये कर्मचारी पिछले 15 से 20 सालों से पॉलिसी बनाए जाने की लगातार मांग उठा रहे हैं.

हालांकि प्रदेश की पूर्व कांग्रेस सरकार ने फरवरी 2016 में हेल्थ सोसायटी तहत काम कर रहे करीब 1500 कर्मचारियों को रेगुलर पे स्केल देने की अधिसूचना जारी की थी, लेकिन चार साल से अधिक का समय बीतने पर भी इन कर्मचारियों को रेगुलर पे स्केल नहीं दिया गया.

वीडियो.

वहीं, इसी बीच भाजपा की जयराम सरकार को सत्ता में आए हुए ढाई साल से अधिक का समय हो गया है. हेल्थ सोसायटी के कर्मचारियों दोनों ही सरकारों से रेगुलर पे स्केल की अधिसूचना को लागू करने की लगातार मांग कर रहे हैं, लेकिन हैरानी की बात है कि दोनों ही सरकारों में कर्मचारियों की कोई सुनवाई नहीं हुई.

सरकार की इस अनदेखी से इस साल हेल्थ सोसायटी के तहत एड्स कंट्रोल सोसायटी, एनआरएचएम व आरएनटीसीपी में बहुत से कर्मचारी अब रेगुलर पे स्केल के इंतजार में ही रिटायर हो जाएंगे.

हर महीने 18 हजार का नुकसान

हेल्थ सोसायटी के तहत काम कर रहे कर्मचारियों को रेगुलर पे स्केल न मिलने से हर महीने करीब 18 हजार का नुकसान झेलना पड़ रहा है. इन कर्मचारियों को वर्तमान में प्रति माह 18 हजार रुपये वेतन दिया जा रहा है. अगर सरकार रेगुलर पे स्केल देती है, तो इन्हें हर महीने नियमित कर्मचारियों की तरह 36 हजार वेतन मिलेगा.

हालांकि वर्ष 2016 में जारी अधिसूचना के आधार पर आरकेएस आईजीएमसी शिमला, मेडिकल कॉलेज नाहन व टांडा में कर्मचारियों को रेगुलर पे स्केल दिया जा रहा है, लेकिन एनआरएचएम, आरएनटीसीपी व एड्स कंट्रोल सोसाइटी कर्मचारियों को ही रेगुलर पे स्केल नहीं मिल रहा है.

हरियाणा और तमिलनाडु सरकार दे रही है रेगुलर पे स्केल

बता दें कि हरियाणा और तमिलनाडु सरकार हेल्थ सोसायटी के तहत काम कर रहे कर्मचारियों को रेगुलर पे स्केल दे रही है. इसी तर्ज पर हिमाचल में भी कर्मचारी रेगुलर पे स्केल की मांग कर रहे हैं.

ये कर्मचारी 15 से 20 सालों से सोसायटी में अपनी सेवाएं दे रहे हैं, लेकिन मंहगाई के इस दौर में इन्हें सिर्फ 18 हजार रुपये वेतन दिया जा रहा है. ये कर्मचारी घर से सैकड़ों किलोमीटर दूर किराए के मकानों में रह रहे हैं. ऐसे में इन कर्मचारियों को इतने वेतन में अपना और घर का खर्च चलना मुश्किल हो रहा है.

हेल्थ सोसाइटी के सैकड़ों कर्मचारियों के लिए बनाई जाए पॉलिसी

करसोग अस्पताल में हेल्थ सोसायटी के तहत एनआरएचएम में अकाउंटेंट पद पर कार्य कर रहे महेंद्र कुमार का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग में हेल्थ सोसाइटी के तहत सैकड़ों कर्मचारी 15 से 20 सालों से अपनी सेवाएं दे रहे हैं, लेकिन सरकार ने अभी तक कोई पॉलिसी नहीं बनाई है और न ही कर्मचारियों को रेगुलर पे स्केल दिया जा रहा है.

कोरोना महामारी में भी सोसाइटी के तहत कार्य कर रहे कर्मचारी रात दिन अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इसलिए सरकार से आग्रह है कि अन्य विभागों की तर्ज पर हमारे लिए भी पॉलिसी बनाई जाए.

पढ़ें: तिब्बतियन यूथ कांग्रेस ने जलाया शी जिनपिंग का पुलता, चीनी सामान के बहिष्कार का आह्वान

करसोग/मंडी: कोरोना महामारी में फ्रंट लाइन पर दिन और रात सेवाएं दे रहे हेल्थ सोसाइटी के सैकड़ों कर्मचारियों के भविष्य की सरकार को कोई चिंता ही नहीं है.

हेल्थ सोसाइटी के तहत काम कर रहे करीब 1500 कर्मचारी कोरोना संकट में इन दिनों जान जाखिम में डाल कर लोगों की सेवा कर रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद सरकार इन कर्मचारियों का भविष्य संवारने के लिए कोई भी पॉलिसी नहीं बना रही है, जबकि ये कर्मचारी पिछले 15 से 20 सालों से पॉलिसी बनाए जाने की लगातार मांग उठा रहे हैं.

हालांकि प्रदेश की पूर्व कांग्रेस सरकार ने फरवरी 2016 में हेल्थ सोसायटी तहत काम कर रहे करीब 1500 कर्मचारियों को रेगुलर पे स्केल देने की अधिसूचना जारी की थी, लेकिन चार साल से अधिक का समय बीतने पर भी इन कर्मचारियों को रेगुलर पे स्केल नहीं दिया गया.

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वहीं, इसी बीच भाजपा की जयराम सरकार को सत्ता में आए हुए ढाई साल से अधिक का समय हो गया है. हेल्थ सोसायटी के कर्मचारियों दोनों ही सरकारों से रेगुलर पे स्केल की अधिसूचना को लागू करने की लगातार मांग कर रहे हैं, लेकिन हैरानी की बात है कि दोनों ही सरकारों में कर्मचारियों की कोई सुनवाई नहीं हुई.

सरकार की इस अनदेखी से इस साल हेल्थ सोसायटी के तहत एड्स कंट्रोल सोसायटी, एनआरएचएम व आरएनटीसीपी में बहुत से कर्मचारी अब रेगुलर पे स्केल के इंतजार में ही रिटायर हो जाएंगे.

हर महीने 18 हजार का नुकसान

हेल्थ सोसायटी के तहत काम कर रहे कर्मचारियों को रेगुलर पे स्केल न मिलने से हर महीने करीब 18 हजार का नुकसान झेलना पड़ रहा है. इन कर्मचारियों को वर्तमान में प्रति माह 18 हजार रुपये वेतन दिया जा रहा है. अगर सरकार रेगुलर पे स्केल देती है, तो इन्हें हर महीने नियमित कर्मचारियों की तरह 36 हजार वेतन मिलेगा.

हालांकि वर्ष 2016 में जारी अधिसूचना के आधार पर आरकेएस आईजीएमसी शिमला, मेडिकल कॉलेज नाहन व टांडा में कर्मचारियों को रेगुलर पे स्केल दिया जा रहा है, लेकिन एनआरएचएम, आरएनटीसीपी व एड्स कंट्रोल सोसाइटी कर्मचारियों को ही रेगुलर पे स्केल नहीं मिल रहा है.

हरियाणा और तमिलनाडु सरकार दे रही है रेगुलर पे स्केल

बता दें कि हरियाणा और तमिलनाडु सरकार हेल्थ सोसायटी के तहत काम कर रहे कर्मचारियों को रेगुलर पे स्केल दे रही है. इसी तर्ज पर हिमाचल में भी कर्मचारी रेगुलर पे स्केल की मांग कर रहे हैं.

ये कर्मचारी 15 से 20 सालों से सोसायटी में अपनी सेवाएं दे रहे हैं, लेकिन मंहगाई के इस दौर में इन्हें सिर्फ 18 हजार रुपये वेतन दिया जा रहा है. ये कर्मचारी घर से सैकड़ों किलोमीटर दूर किराए के मकानों में रह रहे हैं. ऐसे में इन कर्मचारियों को इतने वेतन में अपना और घर का खर्च चलना मुश्किल हो रहा है.

हेल्थ सोसाइटी के सैकड़ों कर्मचारियों के लिए बनाई जाए पॉलिसी

करसोग अस्पताल में हेल्थ सोसायटी के तहत एनआरएचएम में अकाउंटेंट पद पर कार्य कर रहे महेंद्र कुमार का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग में हेल्थ सोसाइटी के तहत सैकड़ों कर्मचारी 15 से 20 सालों से अपनी सेवाएं दे रहे हैं, लेकिन सरकार ने अभी तक कोई पॉलिसी नहीं बनाई है और न ही कर्मचारियों को रेगुलर पे स्केल दिया जा रहा है.

कोरोना महामारी में भी सोसाइटी के तहत कार्य कर रहे कर्मचारी रात दिन अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इसलिए सरकार से आग्रह है कि अन्य विभागों की तर्ज पर हमारे लिए भी पॉलिसी बनाई जाए.

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