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करसोग में सड़क का हाल बेहाल, सवारियों ने पत्थरों से भरे गड्ढे, तब जाकर गुजरी HRTC की बस, वीडियो वायरल

पूर्व सीएम जयराम ठाकुर के गृह जिला मंडी की एक वीडियो वायरल हो रहा है. जिसमें यात्रियों को सड़कों में पड़े गड्ढों में पत्थर भरकर सफर करना पड़ रहा हैं. यहां के लोग रोजाना जान हथेली पर सफर करने को मजबूर हैं.

Mahunag-Sartyola Road Viral Video
पूर्व सीएम जयराम ठाकुर के गृह जिले मंडी का वीडियो वायरल
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Published : Jun 7, 2023, 5:11 PM IST

करसोग में सड़क का हाल बेहाल

करसोग/मंडी: प्रदेश सरकार भले ही विकास के नाम पर 40 हजार किलोमीटर सड़कों का जाल बिछाने का दावा कर अपनी पीठ थपथपा रही हो, लेकिन जमीनी स्तर पर सच्चाई कुछ और है. दरअसल, जिला मंडी के अंतर्गत प्रसिद्ध धार्मिक पर्यटन स्थल माहुंनाग-सरत्योला ऐसी सड़क है, जहां यात्रियों को बस से नीचे उतरकर सड़कों में पड़े गड्ढों को पत्थर से भर कर सफर करना पड़ रहा हैं. बता दें, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत करीब 3 करोड़ की लागत से निर्मित 7 किलोमीटर कच्ची संकरी सड़क में ना क्रेश बेरियर है और ना ही एक भी पैरापिट लगा है. पूर्व सीएम जयराम ठाकुर के गृह जिला मंडी की एक सड़क का दिलचस्प वीडियो वायरल हो रहा है.

सड़कों में पड़े गड्डों को खुद भरती हैं सवारियां: प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत माहुंनाग-सरत्योला सड़क में स्थानीय जनता रोजाना जान जोखिम में डाल कर सफर कर रही है. यहां सफर करते समय सवारियों को खुद बस से नीचे उतर कर गड्डे भरने पड़ रहे हैं. तभी लोग गंतव्य स्थल तक पहुंचते हैं. स्थानीय जनता कई बार उच्चाधिकारियों को शिकायत कर चुकी है. इसके अतिरिक्त सीएम हेल्पलाइन के 1100 नंबर पर भी शिकायत की जा चुकी है, लेकिन लोगों की किसी भी स्तर पर सुनवाई नहीं हुई है. ऐसे में जनता में सरकार के खिलाफ भारी रोष है.

जान हथेली पर रखकर सफर करते हैं लोग: माहुंनाग-सरत्योला सड़क में को लेकर PWD की कार्यप्रणाली पर शुरू से ही सवाल उठ रहे हैं. इस सड़क का निर्माण कार्य 23 मार्च 2018 को आरंभ हुआ था, जिसे 23 सितंबर 2019 तक पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था, लेकिन पीडब्ल्यूडी की लापरवाही से सड़क निर्माण कार्य अभी भी अधूरा है. हालांकि परिवहन निगम ने इस मार्ग पर बस सेवा आरंभ कर दी है, लेकिन जमीनी हकीकत ये है लोगों की सुरक्षा को लेकर कोई इंतजाम नहीं हैं. 7 किलोमीटर लंबी सड़क में ना तो क्रेश बैरियर हैं और ना ही कहीं पर एक भी पैरापिट लगा है. ऐसे में रोजाना लोग जान हथेली पर सफर करने को मजबूर हैं. यही नहीं सड़क कटिंग के दौरान सड़क मार्ग में जगह जगह पर बिखरे रोड़ों की वजह से बस के स्किड होने के भी अंदेशा बना हुआ है.

कई गांवों की जनता करती है सफर: आजादी के सात दशक बाद भले ही सरत्योला पंचायत सड़क सुविधा से जुड़ गई हो, लेकिन कच्ची और खस्ताहाल सड़क पर लोगों का सफर जरा सा भी आरामदायक और सुरक्षित नहीं है. ग्राम पंचायत के तहत पड़ने वाले बालु कुफरी, शील सरत्यौला चलाऔणी, सराहल, चिमटी व कुटल आदि गांव के लोगों की सफर करते वक्त गहरी खाई देखर रूह कांपती है.लेकिन पीडब्ल्यूडी को लोगों की जान को कोई चिंता ही नहीं है.

बालू कुफरी सनराइज युवक मंडल के सह मीडिया प्रभारी मोती राम का कहना है कि माहुंनाग-सरत्योला सड़क पर लोगों को खुद ही बस से उतर के गड्डों को भरना पड़ रहा है. उनका कहना है कि सड़क में क्रैश बैरियर और पैरापिट भी नहीं लगाए गए हैं. इसलिए सरकार से आग्रह है कि सड़क को जल्द पक्का किया जाए. चीफ इंजीनियर मंडी जोन एनपीएस चौहान का कहना है मामला ध्यान में आया है. इस बारे में संबंधित अधिकारियों को तुरंत प्रभाव से सड़क रिपेयर करने के आदेश दिए जा रहे हैं.

ये भी पढ़ें: पंचकूला में बोले पूर्व सीएम जयराम ठाकुर, हिमाचल में हार का कारण रही OPS

करसोग में सड़क का हाल बेहाल

करसोग/मंडी: प्रदेश सरकार भले ही विकास के नाम पर 40 हजार किलोमीटर सड़कों का जाल बिछाने का दावा कर अपनी पीठ थपथपा रही हो, लेकिन जमीनी स्तर पर सच्चाई कुछ और है. दरअसल, जिला मंडी के अंतर्गत प्रसिद्ध धार्मिक पर्यटन स्थल माहुंनाग-सरत्योला ऐसी सड़क है, जहां यात्रियों को बस से नीचे उतरकर सड़कों में पड़े गड्ढों को पत्थर से भर कर सफर करना पड़ रहा हैं. बता दें, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत करीब 3 करोड़ की लागत से निर्मित 7 किलोमीटर कच्ची संकरी सड़क में ना क्रेश बेरियर है और ना ही एक भी पैरापिट लगा है. पूर्व सीएम जयराम ठाकुर के गृह जिला मंडी की एक सड़क का दिलचस्प वीडियो वायरल हो रहा है.

सड़कों में पड़े गड्डों को खुद भरती हैं सवारियां: प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत माहुंनाग-सरत्योला सड़क में स्थानीय जनता रोजाना जान जोखिम में डाल कर सफर कर रही है. यहां सफर करते समय सवारियों को खुद बस से नीचे उतर कर गड्डे भरने पड़ रहे हैं. तभी लोग गंतव्य स्थल तक पहुंचते हैं. स्थानीय जनता कई बार उच्चाधिकारियों को शिकायत कर चुकी है. इसके अतिरिक्त सीएम हेल्पलाइन के 1100 नंबर पर भी शिकायत की जा चुकी है, लेकिन लोगों की किसी भी स्तर पर सुनवाई नहीं हुई है. ऐसे में जनता में सरकार के खिलाफ भारी रोष है.

जान हथेली पर रखकर सफर करते हैं लोग: माहुंनाग-सरत्योला सड़क में को लेकर PWD की कार्यप्रणाली पर शुरू से ही सवाल उठ रहे हैं. इस सड़क का निर्माण कार्य 23 मार्च 2018 को आरंभ हुआ था, जिसे 23 सितंबर 2019 तक पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था, लेकिन पीडब्ल्यूडी की लापरवाही से सड़क निर्माण कार्य अभी भी अधूरा है. हालांकि परिवहन निगम ने इस मार्ग पर बस सेवा आरंभ कर दी है, लेकिन जमीनी हकीकत ये है लोगों की सुरक्षा को लेकर कोई इंतजाम नहीं हैं. 7 किलोमीटर लंबी सड़क में ना तो क्रेश बैरियर हैं और ना ही कहीं पर एक भी पैरापिट लगा है. ऐसे में रोजाना लोग जान हथेली पर सफर करने को मजबूर हैं. यही नहीं सड़क कटिंग के दौरान सड़क मार्ग में जगह जगह पर बिखरे रोड़ों की वजह से बस के स्किड होने के भी अंदेशा बना हुआ है.

कई गांवों की जनता करती है सफर: आजादी के सात दशक बाद भले ही सरत्योला पंचायत सड़क सुविधा से जुड़ गई हो, लेकिन कच्ची और खस्ताहाल सड़क पर लोगों का सफर जरा सा भी आरामदायक और सुरक्षित नहीं है. ग्राम पंचायत के तहत पड़ने वाले बालु कुफरी, शील सरत्यौला चलाऔणी, सराहल, चिमटी व कुटल आदि गांव के लोगों की सफर करते वक्त गहरी खाई देखर रूह कांपती है.लेकिन पीडब्ल्यूडी को लोगों की जान को कोई चिंता ही नहीं है.

बालू कुफरी सनराइज युवक मंडल के सह मीडिया प्रभारी मोती राम का कहना है कि माहुंनाग-सरत्योला सड़क पर लोगों को खुद ही बस से उतर के गड्डों को भरना पड़ रहा है. उनका कहना है कि सड़क में क्रैश बैरियर और पैरापिट भी नहीं लगाए गए हैं. इसलिए सरकार से आग्रह है कि सड़क को जल्द पक्का किया जाए. चीफ इंजीनियर मंडी जोन एनपीएस चौहान का कहना है मामला ध्यान में आया है. इस बारे में संबंधित अधिकारियों को तुरंत प्रभाव से सड़क रिपेयर करने के आदेश दिए जा रहे हैं.

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