मंडी. कर्फ्यू के बीच मिली विभागों को कार्य करने की अनुमति के बीच वन और लोक निर्माण विभाग के बीच एक विवाद खड़ा हो गया है. मामला पधर उपमंडल के तहत आने वाले उरला गांव का है. यहां लोक निर्माण विभाग पर बिना अनुमति के कार्य करने का आरोप लगा है.
इसके चलते वन विभाग की टीम ने मौके पर पहुंचकर कार्य को रूकवा दिया है. वहीं, ये भी कहा जा रहा है कि लोक निर्माण विभाग द्वारा भेजे गए मजूदरों ने न तो सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया और न ही उनके पास मास्क और सेनिटाइजर थे.
क्या है पूरा मामला
लोक निर्माण विभाग के पधर उपमंडल के करीब 30 मजदूर उरला से बधाला के लिए बनने वाली सड़क की अलाइनमेंट के लिए वन विभाग की भूमि पर काम करने पहुंचे थे. यह मजदूर अलाइनमेंट से पहले यहां झाड़ियां आदि काटने के लिए अधिकारियों के निर्देशों पर आए थे.
वन विभाग को इसकी सूचना मिलने पर वन उपराजिक रमेश चंद, वन रक्षक जगदीश चंद, भानु राणा और कमल शर्मा मौके पर पहुंचे. इन्होंने पाया कि लोक निर्माण विभाग बिना अनुमति के कार्य करवा रहा है. ऐसे में इन्होंने तुरंत प्रभाव से कार्य को बंद करवा दिया. साथ ही मौके पर आए सभी मजदूरों की सूची तैयार कर उसे उच्चाधिकारियों को भेज दिया है.
बताया जा रहा है कि इससे पहले भी सबंधित एसडीओ द्वारा यही मजदूर 16 अप्रैल से 20 अप्रैल तक उरला-नौशा मार्ग में नौशा से आगे सड़क की अलाइनमेंट के लिए भेजे गए थे. इस दौरान पूर्ण रूप से कर्फ्यू था और सभी तरह के कार्यों पर रोक थी.
वहीं, इस बारे में डीएफओ जोगिंद्रनगर राकेश कटोच ने बताया कि वन विभाग के कर्मचारियों ने मौके पर जाकर कार्य को रूकवा दिया है. यह कार्य बिना अनुमति के किया जा रहा था. उन्होंने कहा कि अनुमति के साथ कार्य करने पर कोई रोक नहीं है.
लोक निर्माण विभाग उपमंडल पधर के एसडीओ चमन चंदेल ने बताया कि अलाइनमेंट का कार्य सही ढंग से हो सके इसलिए मजदूरों को झाड़ियां काटने के लिए भेजा गया था. मजदूर सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा ध्यान रखकर कार्य कर रहे थे. सभी के पास मास्क और सेनिटाइजर थे.
चमन चंदेल ने कहा कि इस तरह के आरोप निराधार हैं. उन्होंने कहा कि जो फोटो दिखाया जा रहा है, उसमें सभी मजदूरों को जबरन एक साथ खड़ा करवाया गया है, जबकि काम करते वक्त मजदूर सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा ध्यान रखकर काम कर रहे थे.
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