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दो महीने से सुंदरनगर में फंसा बंगाल का परिवार, सुंदरनगर के इस शख्स ने दी घर में दी शरण

सुंदरनगर में पिछले 2 महीने से पश्चिम बंगाल का एक परिवार फंसा हुआ है और अपने घर जाने की आस लगाए बैठा है. यह लोग 16 मार्च को कालका से रेल के जरिए शिमला पहुंचे थे और 18 मार्च को मनाली रवाना हुए. 21 मार्च को टैक्सी करके यह लोग वापस जाने के लिए निकले, लेकिन 22 मार्च को जनता क‌र्फ्यू के बाद लॉकडाउन देश व प्रदेश में लागू हो गया. परिवार ने हिमाचल और बंगाल सरकार से घर जाने की व्यवस्था करने का आग्रह किया.

Family of Bengal
सुंदरनगर में फंसा बंगाल का परिवार
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Published : May 20, 2020, 6:07 PM IST

सुंदरनगर: विश्वभर के साथ-साथ देश में कोरोना के लगातार बढ़ते मामले चिंता का विषय बनते जा रहे हैं. इसे देखते हुए देश में कर्फ्यू व लॉकडाउन घोषित किया गया है. लॉकडाउन के दौरान लाखों लोगों को एक राज्य से दूसरे राज्य में जाने के लिए परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

हिमाचल प्रदेश के मंडी जिला के सुंदरनगर में पिछले 2 महीने से पश्चिम बंगाल का एक परिवार फंसा हुआ है और अपने घर जाने की आस लगाए बैठा है. पश्चिम बंगाल के कोलकाता का 4 सदस्यीय परिवार 21 मार्च से सुंदरनगर में फंसा हुआ है और अपनी घर वापसी का इंतजार कर रहा है. यह परिवार 45 हजार रुपये का टूर पैकेज लेकर हिमाचल प्रदेश घूमने के लिए आया था, लेकिन टूर पैकेज वालों ने भी परिवार को सुंदरनगर छोड़ कर अपना पल्ला झाड़ लिया. सुंदरनगर के पुंघ के साथ लगते होटल के एक कमरे में कोलकाता के परिवार के 4 सदस्य रह रहे हैं. उनके पास पैसे भी खत्म हो रहे हैं.

Family of Bengal
सुंदरनगर में फंसे बंगाल परिवार के सदस्य.

कोलकाता निवासी स्वजल मंडल, पत्नी रुपाली मंडल, बेटी फेंटासी मंडल और बेटा आबिर मंडल 16 मार्च को कालका से रेल के जरिए शिमला पहुंचे थे. वहां से यह लोग 18 मार्च को मनाली रवाना हुए और इस दौरान देश में कोरोना वायरस का कहर छा गया था. ये लोग 21 मार्च को टैक्सी करके वापस जाने के लिए निकले. टैक्सी चालक ने उन्हें सुंदरनगर छोड़ दिया. 21 मार्च के बाद अगले दिन 22 मार्च को सुबह होते ही यह लोग वापस जाने के लिए निकलने वाले थे, लेकिन 22 मार्च को जनता क‌र्फ्यू के बाद लॉकडाउन देश व प्रदेश में लागू हो गया. इन लोगों ने कोलकोता में अपने पड़ोसियों से फोन करके कुछ पैसे मंगवाए, जो खाने-पीने और होटल के कमरे के किराया में खत्म हो रहे हैं.

वीडियो.

2 बार रद्द हुआ रेल व हवाई टिकट

इसके साथ ही होटल के कमरे का किराया 500 रुपये प्रतिदिन है. होटल मालिक ने परिवार की मजबूरी को देखते हुए उन्हें बिना किराये के एक और कमरा दे दिया है. इन लोगों की रेल और हवाई टिकट दो बार रद्द हो चुकी है. परिवार को लॉकडाउन की अवधि और लंबी होने के कारण अपनी चिंता सताने लगी है. दिन में यह लोग एक समय खाना खाते हैं, जिस पर 500 रुपये खर्च होते हैं. स्वजल मंडल ने कहा कि कोलकाता में जिन लोगों को पैसा मंगवाने के लिए फोन कर रहे हैं, उनमें से कइयों के फोन बंद हैं और कई फोन सुन नहीं रहे हैं. वहीं सुंदरनगर के स्थानीय निवासी केएल बंसल और बेटे प्रकाश चंद बंसल को इस परिवार के सुंदरनगर में फंसे होने की सूचना मिली तो उन्होंने बंगाल के इस परिवार को अपने घर में रख लिया और इन्हें खाने-पीने की हर चीज भी उपलब्ध करवा रहे हैं.

हिमाचल व बंगाल सरकार से घर भेजने का आग्रह

वहीं, स्वजल और रुपाली मंडल की बेटी फेंटासी मंडल का कहना है कि देश में लॉकडाउन के शुरू होने के दिन से वह सुंदरनगर में फंसे हुए हैं और बंसल परिवार ने उन्हें अपने घर में शरण दे रखी है. उनका कहना है कि वह जीते-जी बंसल परिवार का कर्ज नहीं भूल सकते. उन्होंने कहा कि हिमाचल और बंगाल सरकार से उनके घर जाने की व्यवस्था करने का आग्रह किया.

सौभाग्य से मिला सेवा का अवसर

वहीं, सुंदरनगर निवासी केएल बंसल ने बताया कि यह परिवार पिछले 2 महीने से यहीं पर रुका हुआ है और इन्हें हर प्रकार की सुविधा उपलब्ध करवाई जा रही है. उन्होंने कहा कि इस आपदा की घड़ी में वह इस परिवार के साथ खड़े हैं. उन्होंने कहा कि यह उनका सौभाग्य है कि उन्हें इस परिवार की सहायता करने का मौका मिला है.

सुंदरनगर: विश्वभर के साथ-साथ देश में कोरोना के लगातार बढ़ते मामले चिंता का विषय बनते जा रहे हैं. इसे देखते हुए देश में कर्फ्यू व लॉकडाउन घोषित किया गया है. लॉकडाउन के दौरान लाखों लोगों को एक राज्य से दूसरे राज्य में जाने के लिए परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

हिमाचल प्रदेश के मंडी जिला के सुंदरनगर में पिछले 2 महीने से पश्चिम बंगाल का एक परिवार फंसा हुआ है और अपने घर जाने की आस लगाए बैठा है. पश्चिम बंगाल के कोलकाता का 4 सदस्यीय परिवार 21 मार्च से सुंदरनगर में फंसा हुआ है और अपनी घर वापसी का इंतजार कर रहा है. यह परिवार 45 हजार रुपये का टूर पैकेज लेकर हिमाचल प्रदेश घूमने के लिए आया था, लेकिन टूर पैकेज वालों ने भी परिवार को सुंदरनगर छोड़ कर अपना पल्ला झाड़ लिया. सुंदरनगर के पुंघ के साथ लगते होटल के एक कमरे में कोलकाता के परिवार के 4 सदस्य रह रहे हैं. उनके पास पैसे भी खत्म हो रहे हैं.

Family of Bengal
सुंदरनगर में फंसे बंगाल परिवार के सदस्य.

कोलकाता निवासी स्वजल मंडल, पत्नी रुपाली मंडल, बेटी फेंटासी मंडल और बेटा आबिर मंडल 16 मार्च को कालका से रेल के जरिए शिमला पहुंचे थे. वहां से यह लोग 18 मार्च को मनाली रवाना हुए और इस दौरान देश में कोरोना वायरस का कहर छा गया था. ये लोग 21 मार्च को टैक्सी करके वापस जाने के लिए निकले. टैक्सी चालक ने उन्हें सुंदरनगर छोड़ दिया. 21 मार्च के बाद अगले दिन 22 मार्च को सुबह होते ही यह लोग वापस जाने के लिए निकलने वाले थे, लेकिन 22 मार्च को जनता क‌र्फ्यू के बाद लॉकडाउन देश व प्रदेश में लागू हो गया. इन लोगों ने कोलकोता में अपने पड़ोसियों से फोन करके कुछ पैसे मंगवाए, जो खाने-पीने और होटल के कमरे के किराया में खत्म हो रहे हैं.

वीडियो.

2 बार रद्द हुआ रेल व हवाई टिकट

इसके साथ ही होटल के कमरे का किराया 500 रुपये प्रतिदिन है. होटल मालिक ने परिवार की मजबूरी को देखते हुए उन्हें बिना किराये के एक और कमरा दे दिया है. इन लोगों की रेल और हवाई टिकट दो बार रद्द हो चुकी है. परिवार को लॉकडाउन की अवधि और लंबी होने के कारण अपनी चिंता सताने लगी है. दिन में यह लोग एक समय खाना खाते हैं, जिस पर 500 रुपये खर्च होते हैं. स्वजल मंडल ने कहा कि कोलकाता में जिन लोगों को पैसा मंगवाने के लिए फोन कर रहे हैं, उनमें से कइयों के फोन बंद हैं और कई फोन सुन नहीं रहे हैं. वहीं सुंदरनगर के स्थानीय निवासी केएल बंसल और बेटे प्रकाश चंद बंसल को इस परिवार के सुंदरनगर में फंसे होने की सूचना मिली तो उन्होंने बंगाल के इस परिवार को अपने घर में रख लिया और इन्हें खाने-पीने की हर चीज भी उपलब्ध करवा रहे हैं.

हिमाचल व बंगाल सरकार से घर भेजने का आग्रह

वहीं, स्वजल और रुपाली मंडल की बेटी फेंटासी मंडल का कहना है कि देश में लॉकडाउन के शुरू होने के दिन से वह सुंदरनगर में फंसे हुए हैं और बंसल परिवार ने उन्हें अपने घर में शरण दे रखी है. उनका कहना है कि वह जीते-जी बंसल परिवार का कर्ज नहीं भूल सकते. उन्होंने कहा कि हिमाचल और बंगाल सरकार से उनके घर जाने की व्यवस्था करने का आग्रह किया.

सौभाग्य से मिला सेवा का अवसर

वहीं, सुंदरनगर निवासी केएल बंसल ने बताया कि यह परिवार पिछले 2 महीने से यहीं पर रुका हुआ है और इन्हें हर प्रकार की सुविधा उपलब्ध करवाई जा रही है. उन्होंने कहा कि इस आपदा की घड़ी में वह इस परिवार के साथ खड़े हैं. उन्होंने कहा कि यह उनका सौभाग्य है कि उन्हें इस परिवार की सहायता करने का मौका मिला है.

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