सराज: जिला मंडी में सराज के अराध्य देव चुंजवाला का हूम (जागरण) रविवार को हुआ. सोमवार यानी आज संग्राती के दिन मुंडन संस्कार के साथ समाप्त हो गया. जानकारी के मुताबिक 250 मुंडन संस्कार किए गए. इस दौरान सैंकड़ों की संख्या में श्रद्धालु देवता के हूम में शामिल हुए. सराज घाटी की सबसे ऊंची चोटियों में शुमार 10 हजार फीट ऊंची चुंजवाला धार पर देव चुंजवाला का हूम मनाया गया. इस अवसर पर चुंजवाला देवता के हूम पर सोमवार सुबह छोटे बच्चों से लेकर बड़े लोगों तक के मुंडन किए गए. मान्यता के अनुसार लोग देवता से मुराद में प्राप्त हुए अपने बेटों के यहां आकर सबसे पहला मुंडन करवाते हैं. सैंकड़ों की संख्या में यहां बच्चों के मुंडन किए जाते हैं और देवता चुंजवाला से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं.
10 हजार फीट ऊंची चुंजवाला धार पहुंचते हैं देवता: बता दें कि पुरानी पंरपरा के अनुसार एक साल देवता को शालागाड़ से लाया जाता है. वहीं, दूसरे साल कांढा से देवता को लाया जाता है. इस बार देव चुजंवाला को हूम (जाग) के लिए रविवार को कोठी कांढा से सैकड़ों देवलुओं और दर्जनों बजंत्री के साथ चुंजवाला धार के लिए लाया गया. इस दौरान देवलुओं द्वारा देवता को 10 हजार फीट ऊंची चुंजवाला घाटी पर ले जाया जाता है. जहां पहुंचने पर देवता चुंजवाला का हूम (जाग) शुरू होता है.
लोगों के भारी भीड़ से कार्यक्रम में देरी: देवता के कारदार ने बताया कि इतिहास में आज तक की सबसे ज्यादा भीड़ होने के कारण इस कार्यक्रम में देरी हुई है. देवता को अंतिम सौ मीटर दूर ले जाने के लिए जहां दस मिनट का समय लगता है, वहां से मूल स्थान तक पहुंचने में एक से डेढ़ घंटे का समय लग गया. जो काम 2 घंटे पहले ही हो जाता था. वही काम इस बार 2 से ढाई घंटे के बाद संपन्न हुआ. जिसके कारण कार्यक्रम देरी से संपन्न हुआ.
हर मनोकामना को पूरा करते हैं देव चुंजवाला: मान्यता हैं कि जो भी भक्त महादेव के हूम (जाग) में श्रद्धापूर्वक व सच्चे मन से आए तो उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. इतना ही नहीं, माना जाता है कि अगर हूम आने की मन्नत रखने वाला कोई श्रद्धालु किसी कारणवश महादेव की पावन धरा में नहीं पहुंच पाए तो इस पावन धरा को सोचने मात्र से ही देवता चुंजवाला उसकी मनोकामना पूर्ण करते हैं.
पुत्र प्राप्ति के देवता हैं देव चुजंवाला: देवता के पास मकर संक्रांति के दिन सौ के करीब मुंडन करवाए जाते हैं. मान्यता है कि श्रद्धालु देवता से पुत्र प्राप्ति की मुराद लिए देवता के पास भूखे-प्यासे आते हैं और देवता उनकी सच्ची भक्ति देखकर उन्हें पुत्र प्रदान करते हैं. ध्वास गांव के ओम प्रकाश ओमी ने बताया कि वह भी देवता के पास पुत्र प्राप्ति की अरदास लेकर आए थे. जब उन्हें पुत्र की प्राप्ति हुई तो वह अपने बेटे का मुंडन करवाने यहां आए. इसी तरह ज्येष्ठ संक्रांति के दिन इस हूम (जाग) में करीब सैकड़ों मुंडन करवाए जाते हैं.
देवता के रथ को लगाया जाता आज भी रस्सा: देवता कारदार बुद्धे राम ने बताया कि मान्यता है की देवता की कोठी से देवता के मूल स्थान तक करीब चार किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई है. देवता के देवकाढां देउरे बीच रास्ते में माता जोगणी का निवास है. जो देवता को अपनी आकर्षित कर रोकने का प्रयास करती हैं. देवता न रूके इसके लिए सदियों से चली आ रही परंपरा है कि देवता के रथ को एक रस्सी, जिसे देव निती में रैज कहा जाता है लगाई जाती है. देवता को उस जगहों जो खड़ी चढ़ाई है से आगे खीच कर चुंजवाला गढ़ तक ले जाया जाता है.