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करसोग के चुराग में किसानों ने दिया धरना, कृषि कानून के विरोध में जलाईं प्रतियां

शनिवार को हिमाचल किसान सभा के बैनर तले चुराग इकाई ने तीन कृषि कानूनों की प्रतियां भी फूंकी. इस दौरान किसानों ने केंद्र सरकार पर तीखे प्रहार किए. किसान सभा ने कहा कि देश का किसान कृषि कानूनों के विरोध में करीब एक साल से सड़कों में आंदोलन कर रहा है, लेकिन हैरानी की बात है कि केंद्र सरकार को किसानों की आवाज सुनाई नहीं दे रही है.

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Published : Jun 5, 2021, 3:24 PM IST

करसोग: जिला मंडी के करसोग के तहत चुराग में तीन कृषि कानून के विरोध में किसानों ने धरना प्रदर्शन किया. यहां शनिवार को हिमाचल किसान सभा के बैनर तले चुराग इकाई ने तीन कृषि कानूनों की प्रतियां भी फूंकी.

इस दौरान किसानों ने केंद्र सरकार पर तीखे प्रहार किए. किसान सभा ने कहा कि देश का किसान तीन काले कृषि कानूनों के विरोध में करीब एक साल से सड़कों में आंदोलन कर रहा है, लेकिन हैरानी की बात है कि केंद्र सरकार को किसानों की आवाज सुनाई नहीं दे रही है.

किसानों के हित में नहीं है कृषि कानून

केंद्र सरकार ने किसानों की इच्छा के विरुद्ध जो तीन कृषि कानून लाए हैं. ये किसानों के हितों में नहीं है. जिसका विरोध उपमंडल स्तर में भी जगह जगह पर धरना प्रदर्शन करके हो रहा है. किसान नेताओं का कहना है कि देशभर में किसान आंदोलन कर रहे हैं.

इसका मकसद तीन कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए सरकार पर दवाब बनाना है. ताकि किसानों को उनका हक मिल सके. किसान सभा ने करसोग में मौसम की वजह से तबाह हुई फसलों को लेकर भी प्रदेश सरकार पर निशाना साधा. किसान नेताओं ने कहा कि सर्दियों के मौसम सामान्य से कम हुई बारिश की वजह से किसानों की मटर की फसल सूखे की भेंट चढ़ गई.

स्टोन फ्रूट सहित सेब की फसल बर्बाद

यही नहीं प्री मानसून सीजन में हुई भारी ओलावृष्टि से भी स्टोन फ्रूट सहित सेब की फसल बर्बाद हो गई है, लेकिन हैरानी की बात है कि सरकार फसलों को हुए नुकसान का मुआवजा नहीं दे रही है. जिससे किसानों के सामने रोजी का संकट पैदा हो गया है.

स्थिति ये है कि फसलों को हुए नुकसान की वजह से किसानों को बीज पर खर्च किया गया पैसा निकलना भी मुश्किल हो गया है. इसलिए सरकार को किसानों की चिंता करते हुए तुरंत प्रभाव से फसलों को हुए नुकसान की भरपाई करनी चाहिए.

हिमाचल किसान सभा चुराग इकाई के अध्यक्ष चेतन शर्मा ने बताया कि चुराग में तीन कृषि कानूनों के विरोध में धरना दिया गया. इस दौरान कानूनों की प्रतियां भी जलाई गई. उन्होंने कहा कि इसका मुख्य उद्देश्य सरकार तक किसानों की आवाज पहुंचना था.

करीब एक साल से किसान कृषि कानून के विरोध में आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन सरकार का इस तरफ कोई ध्यान नहीं है. उन्होंने मौसम की वजह से करसोग में मटर सहित स्टोन फ्रूट व सेब को हुए नुकसान की भरपाई किए जाने की भी मांग की है.

ये भी पढ़ें- हिमाचल में पहली बार देखा गया दुनिया का सबसे लंबा जहरीला सांप 'किंग कोबरा'!

करसोग: जिला मंडी के करसोग के तहत चुराग में तीन कृषि कानून के विरोध में किसानों ने धरना प्रदर्शन किया. यहां शनिवार को हिमाचल किसान सभा के बैनर तले चुराग इकाई ने तीन कृषि कानूनों की प्रतियां भी फूंकी.

इस दौरान किसानों ने केंद्र सरकार पर तीखे प्रहार किए. किसान सभा ने कहा कि देश का किसान तीन काले कृषि कानूनों के विरोध में करीब एक साल से सड़कों में आंदोलन कर रहा है, लेकिन हैरानी की बात है कि केंद्र सरकार को किसानों की आवाज सुनाई नहीं दे रही है.

किसानों के हित में नहीं है कृषि कानून

केंद्र सरकार ने किसानों की इच्छा के विरुद्ध जो तीन कृषि कानून लाए हैं. ये किसानों के हितों में नहीं है. जिसका विरोध उपमंडल स्तर में भी जगह जगह पर धरना प्रदर्शन करके हो रहा है. किसान नेताओं का कहना है कि देशभर में किसान आंदोलन कर रहे हैं.

इसका मकसद तीन कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए सरकार पर दवाब बनाना है. ताकि किसानों को उनका हक मिल सके. किसान सभा ने करसोग में मौसम की वजह से तबाह हुई फसलों को लेकर भी प्रदेश सरकार पर निशाना साधा. किसान नेताओं ने कहा कि सर्दियों के मौसम सामान्य से कम हुई बारिश की वजह से किसानों की मटर की फसल सूखे की भेंट चढ़ गई.

स्टोन फ्रूट सहित सेब की फसल बर्बाद

यही नहीं प्री मानसून सीजन में हुई भारी ओलावृष्टि से भी स्टोन फ्रूट सहित सेब की फसल बर्बाद हो गई है, लेकिन हैरानी की बात है कि सरकार फसलों को हुए नुकसान का मुआवजा नहीं दे रही है. जिससे किसानों के सामने रोजी का संकट पैदा हो गया है.

स्थिति ये है कि फसलों को हुए नुकसान की वजह से किसानों को बीज पर खर्च किया गया पैसा निकलना भी मुश्किल हो गया है. इसलिए सरकार को किसानों की चिंता करते हुए तुरंत प्रभाव से फसलों को हुए नुकसान की भरपाई करनी चाहिए.

हिमाचल किसान सभा चुराग इकाई के अध्यक्ष चेतन शर्मा ने बताया कि चुराग में तीन कृषि कानूनों के विरोध में धरना दिया गया. इस दौरान कानूनों की प्रतियां भी जलाई गई. उन्होंने कहा कि इसका मुख्य उद्देश्य सरकार तक किसानों की आवाज पहुंचना था.

करीब एक साल से किसान कृषि कानून के विरोध में आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन सरकार का इस तरफ कोई ध्यान नहीं है. उन्होंने मौसम की वजह से करसोग में मटर सहित स्टोन फ्रूट व सेब को हुए नुकसान की भरपाई किए जाने की भी मांग की है.

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