करसोग: करसोग में दलित शोषण मुक्ति मंच ने बिमला देवी के परिवार को अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत राहत राशि न मिलने के विरोध में गुरुवार को एसडीएम कार्यालय के बाहर धरना प्रदर्शन कर जमकर नारेबाजी की.
इसके बाद एसडीएम के माध्यम से मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को एक मांग पत्र भी सौंपा गया. धरना प्रदर्शन के दौरान दलित शोषण मुक्ति मंच ने सरकार पर दलितों को वोट बैंक के तौर पर प्रयोग करने आरोप लगाया. दलित मोर्चा के पदाधिकारियों ने आरोप लगाया कि 22 जून को चुराग पंचायत के सनोटी गांव में बिमला देवी जोकि बीपीएल परिवार से संबंधित थी कि निर्मम हत्या की गई थी.
इसके बाद 30 जून को इस केस में अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम की धारा भी जोड़ी गई थी और तुरंत प्रभाव से राहत प्रदान करने को पुलिस ने मामले को जिला कल्याण अधिकारी को भेजा था, लेकिन ढाई महीने बीतने के बाद भी आश्रितों को राहत राशि नहीं मिली है. ये भी आरोप लगाया कि 10 जुलाई को इसी मामले पर बिमला देवी के बेटे राजेंद्र कुमार सहित दलित शोषण मुक्ति मंच ने सामाजिक कल्याण एवं अधिकारिता विभाग से भी पत्राचार के माध्यम से मामले को उठाया.
यही नहीं इसके बाद विभाग से लगातार पत्राचार किया जा रहा है, लेकिन आश्रितों को कोई भी फौरी राहत प्रदान नहीं कि गई है. ऐसे में सरकार दलितों का शोषण कर रही है. जिसे किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. दलित शोषण मुक्ति मंच करसोग इकाई ने मुख्यमंत्री से इस मामले पर हस्तक्षेप करने की मांग की है.
16 सितंबर को होगा विधानसभा घेराव
दलित शोषण मुक्ति मंच ने सरकार को सचेत किया है कि अगर अब भी आश्रितों को राहत राशि प्रदान नहीं की गई तो 16 सितंबर को विधानसभा घेराव किया जाएगा. इसके बाद भी अगर आश्रितों की अनदेखी की जाती है तो 30 सितंबर और 1 अक्तूबर को अनिश्चित कालीन धरना प्रदर्शन किया जाएगा.
दलित शोषण मुक्ति मंच ने मुख्यमंत्री को अवगत करवाया की बिमला देवी का परिवार राहत राशि न मिलने के बहुत की कठिन जीवन जीने को मजबूर है. अनुसूचित जाति एवम जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के बाद भी आश्रितों को राहत राशि प्रदान नहीं की जा रही है. मुख्यमंत्री ने इस बारे में तुरन्त प्रभाव से राहत राशि जारी करने की मांग की गई है.
बगशाड़ वार्ड के पूर्व जिला परिषद सदस्य रामलाल ने कहा कि बिमला देवी की निर्मम हत्या के ढाई महीने बाद भी आश्रितों को राहत नहीं मिली है. इसके विरोध में दलित शोषण मुक्ति मंच करसोग इकाई ने धरना प्रदर्शन किया.
उन्होंने कहा कि हैरानी की बात है कि एट्रोसिटी एक्ट लगने के बाद तुरन्त आश्रितों को राहत राशि मिलनी चाहिए थी. उन्होंने कहा कि इस मामले में हुई देरी के विरोध में 16 सितंबर को विधानसभा के बाहर धरना प्रदर्शन किया जाएगा. इसके बाद भी कोई उचित कार्रवाई नहीं होती है तो 30 सितंबर और 1 अक्तूबर को अनिश्चितकालीन धरना दिया जाएगा.