मंडी: हॉट सीट मंडी पर इस बार सीएम फैक्टर ने खूब काम किया है. सीएम फैक्टर ने पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह व पूर्व केंद्रीय मंत्री पंडित सुखराम की जोड़ी को भी चारों खाने चित्त कर दिया है. देशभर में मोदी लहर से मंडी सीट भी अछूती नहीं है, लेकिन अगर बात करें तो यह सीट कांग्रेस की परंपरागत सीट रही है. इस सीट पर कांग्रेस का दबदबा रहा, लेकिन अब लगातार दूसरी बार भाजपा के रामस्वरूप शर्मा की जीत ने इस सीट को कांग्रेस के हाथों से खींच लिया है.
मंडी सीट के सभी 17 विधानसभा हल्कों में भी भाजपा ने लीड हासिल की है, जबकि हल्के सीधे तौर पर कांग्रेस के गढ़ माने जाते हैं. गत लोकसभा चुनाव की बात करें तो कई हल्कों में कांग्रेस को बढ़त मिली थी, लेकिन इस बार कांग्रेस बूथ स्तर पर भी सफल नहीं हो पाई है. कुछ बूथों पर ही कांग्रेस ने बढ़त ली है, लेकिन यह बढ़त भी कुछ खास नहीं है. मंडी संसदीय क्षेत्र में शामिल 17 में से 13 हल्कों में भाजपा विधायक हैं. जबकि एक हल्के जोगिंद्रनगर में विधायक प्रकाश राणा ने भी भाजपा को समर्थन दिया है, लेकिन बढ़त की बात करें तो कोई भी हल्का पीछे नहीं रहा है.
मंडी संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी आश्रय व भाजपा प्रत्याशी रामस्वरूप के बीच हार व जीत का रिकॉर्ड बन गया है. अब तक 1996 के लोकसभा चुनावों में आश्रय के दादा पंडित सुखराम के नाम सबसे अधिक अंतर से जीत का रिकॉर्ड दर्ज है. उन्होंने अदन सिंह को 1,53,223 मतों से हराया था. सुखराम ठाकुर को 1996 में 3,28,186 मत पड़े थे. वहीं अदन सिंह को 1,74,963 मत पड़े थे. इस बार अभी तक भाजपा के रामस्वरूप शर्मा करीब चार लाख मतों से आश्रय शर्मा को मात देकर रिकार्ड बनाया है.
सराज से इस बार सबसे अधिक 37 हजार की लीड
सीएम जयराम ठाकुर के लिए सबसे बड़ी चुनौती उनका गृह विधानसभा क्षेत्र सराज था. यहां पिछले 2014 के लोकसभा चुनावों में भाजपा 1400 मतों से पिछड़ी थी. जयराम ठाकुर अपने ही गृहक्षेत्र में सांसद रामस्वरूप को लीड दिलाने में नाकाम रहे थे, लेकिन इस बार सराज ने जनता ने बंपर वोट डाला है और सराज से रामस्वरूप को 37147 मतों से लीड मिली है. यहां बीजेपी को 49164, कांग्रेस को 12047, सीपीआईएम को 732 को वोट मिले हैं.
यहां बात करें प्रत्याशियों की जमानत की तो केवल दोनों प्रमुख दलों के प्रत्याशी ही जमानत बचा पाए हैं. जिनमें विजेता प्रत्याशी रामस्वरूप व निकटम प्रतिद्वंदी आश्रय शर्मा का नाम शामिल है, जबकि अन्य प्रत्याशी अपनी जमानत तक नहीं बचा पाए हैं.
रामपुर व किन्नौर से भी लीड
भाजपा को इस बार रामपुर व किन्नौर हल्के से भी लीड मिली है, जबकि दोनों हल्कों को कांग्रेस का गढ़ माना जाता रहा है, लेकिन इस बार भाजपा ने कांग्रेस के सभी गढ़ों को ध्वस्त कर दिया है और अपना परचम लहराया है.