मंडी: चंडीगढ़-मनाली नेशनल हाईवे पर सात मील के पास अभी भी करोड़ों की कीमत वाली दर्जनों लग्जरी गाड़ियां अभी तक मलबे में फंसी हुई हैं. जिन गाड़ियों को मलबे से निकाल लिया गया है वो अभी चलने की स्थिति में नहीं हैं, जबकि दर्जनों गाड़ियां अभी भी मलबे में दबी हुई हैं, जिसमें बसें और ट्रक सहित बड़े मालवाहक वाहन शामिल हैं.
लेह से बस में सेना का काफिला लेकर आ रहे अब्दुल हमीद ने बताया कि वे बीती 11 तारीख की रात से यहां पर फंसे हुए हैं. गाड़ी अभी भी मलबे में फंसी हुई है और खुद मिट्टी को हटाने का कार्य कर रहे हैं. गाड़ियों का बहुत ज्यादा नुकसान हो गया है और अभी गाड़ियों को पूरी तरह से बाहर निकालने और उन्हें दोबारा स्टार्ट करने में कम से कम चार से पांच दिन का समय और लग सकता है.
वोल्वो बस को लेकर जा रहे पंकज कुमार शर्मा ने बताया कि मौत का मंजर क्या होता है, उसे उन्होंने अपनी आंखो के सामने देखा है. चारों तरफ मलबे का सैलाब था जिसमें सबकुछ बहकर चला जा रहा था. गाड़ियों को मलबे में डूबते हुए अपनी आंखों के सामने देखा. इतने दिनों तक प्रशासन की कोई मदद नहीं पहुंच पाई, लेकिन विपदा की घड़ी में स्थानीय लोग मददगार बने और खुद पर विपदा आने के बाद भी फंसे हुए लोगों की पूरी मदद की और परिवार के लोगों की तरह ख्याल रखा.
स्थानीय निवासी पंकज ने बताया कि 13 अगस्त को नाले में आई बाढ़ का भयानक मंजर गांव वालों ने पहली बार देखा. जो सड़क पर वाहन थे वो मलबे में डूब गए और बहुत से वाहन ऐसे भी हैं जो मलबे के साथ बहकर ब्यास नदी में बह गए हैं और कुछ वाहन नदी के तट और अन्य स्थानों पर क्षतिग्रस्त हालत में पड़े हुए हैं. स्थानीय लोगों का बहुत ज्यादा नुकसान हुआ है, लेकिन जो बसें और ट्रक खड़े थे उसके कारण 7 मील गांव बच गया, नहीं तो बहुत ज्यादा तबाही होनी तय थी.
डीसी मंडी अरिंदम चौधरी ने बताया कि सात मील के पास फंसे अधिकतर बड़े वाहनों को सुरक्षित निकाल लिया गया है और जो कुछ वाहन फंसे हैं उन्हें भी निकालने का कार्य लगातार जारी है. प्रशासन अभी राहत एवं बचाव कार्यों में जुटा है जबकि उसके बाद नुकसान का आंकलन किया जाएगा. प्रभावितों की हरसंभव मदद करने का प्रयास किया जा रहा है.
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