करसोग: कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर की भूमि पर टूरिज्म विलेज बनाने के प्रस्ताव पर भारतीय किसान संघ ने विरोध जताया है. इसको लेकर भारतीय किसान संघ ने राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला को ज्ञापन सौंपा है. जिसमें कृषि विश्वविद्यालय की भूमि को टूरिज्म को देने के फैसले को गलत ठहराया गया है. किसान संघ का कहना है कि विश्वविद्यालय में बाहरी राज्यों सहित प्रदेश भर के छात्र कृषि क्षेत्र में अध्ययन करते हैं. ऐसे में सरकार के इस फैसले से हजारों छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ होगा. कृषि क्षेत्र में शोध कार्य की प्रयोगशाला भूमि, खेत, जलाशय और जंगल होते हैं. यही नहीं देश भर में सबसे अधिक रोजगार, स्वरोजगार के साधन और अवसर भी कृषि क्षेत्र ही प्रदान करता है. ऐसे में कृषि और खाद्यान्न जैसे गंभीर विषय से जुड़े मामले पर सरकार को एक बार दोबारा विचार करना चाहिए.
भारतीय किसान संघ की मांग: संघ का कहना है कि पर्यटन क्षेत्र को विकसित करना सरकार की प्राथमिकता में शामिल है, लेकिन इसके लिए कहीं और भूमि दी जानी चाहिए. विश्वविद्यालय की भूमि देना न तो छात्र हित में है और न ही खाद्यान्न उत्पादन के लिहाज से यह सही रहेगा. भारतीय किसान संघ ने राज्यपाल से मामले पर गंभीरतापूर्वक विचार कर उचित कार्रवाई करने की मांग की है. किसान संघ का कहना है कि राज्य में कृषि और बागवानी के क्षेत्र में लोगों को सबसे अधिक रोजगार के अवसर मिले हैं. इस क्षेत्र में वर्षों से पढ़े लिखे और कम पढ़े लोग, सभी अपना योगदान कर खाद्यान्न उत्पादन कर रहे हैं. ऐसे में कृषि क्षेत्र में होने वाले शोध कार्य के लिए जमीन का होना आवश्यक है. अगर विश्वविद्यालय की जमीन होटल बनाने के लिए दी जाती है तो किसानों-बागवानों पर भी इसका असर पड़ेगा.
कृषि विश्वविद्यालय के वीसी तलब: राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला ने इस मामले पर उचित कार्रवाई किए जाने का भरोसा देते हुए कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर और सोलन के वाइस चांसलर को तलब किया है. इसको लेकर विस्तृत रिपोर्ट भी मांगी गई है. वहीं, भारतीय किसान संघ के प्रदेश महामंत्री सुरेश ठाकुर ने कहा है कि कृषि विश्वविद्यालय की भूमि पर टूरिज्म विलेज बनाने का निर्णय बिल्कुल गलत है. इसके विरोध में राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा गया है.
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