मंडी: तल्याहड़ वार्ड निवासी प्रणय शर्मा ने सीएम स्टार्ट-अप के तहत एक ऐसा उपकरण बनाया है जो शराब पीकर गाड़ी चलाने वालों पर शिकंजा कसेगा. इस उपकरण के माध्यम से अगर कोई व्यक्ति ड्राइविंग सीट पर शराब पीकर बैठता है तो गाड़ी स्टार्ट ही नहीं होगी. प्रणय शर्मा के इस उपकरण को भारत सरकार की ओर से निधि प्रयास कार्यक्रम के तहत मान्यता भी मिल गई है. भारत सरकार के दूरंसचार मंत्रालय ने भी इस उपकरण के प्रति अपनी रूचि दिखाई है.
प्रणय शर्मा ने बताया कि जो उपकरण उन्होंने बनाया है उसे उन्होंने डीएनडी रोधक नाम दिया है. इस उपकरण में कैमरा और सेंसर दोनों लगे है. इस उपकरण को गाड़ी में इंस्टॉल करना होगा. जैसे ही कोई व्यक्ति शराब पीकर ड्राईविंग सीट पर बैठेगा तो यह सिस्टम गाड़ी को लॉक कर देगा और गाड़ी स्टार्ट नहीं होगी. वहीं घरवालों के मोबाइल पर भी मैसेज चला जाएगा. इससे जहां हादसों में कमी आएगी वहीं लोग भी सुरक्षित रह पाएंगे.
फोन का इस्तेमाल करने पर बजेगा अलार्म
प्रणय शर्मा ने बताया कि इस उपकरण को बनाने में उनके साथ नवेक्षा सूद, रचित जैन, पल्लवी सिन्हा, अदिति पोहेकर और राजू खरबंदा ने अपनी अहम भूमिका निभाई है. प्रणय ने इस उपकरण में दो और फीचर भी जोड़े हैं. यदि आप गाड़ी चलाते वक्त फोन का इस्तेमाल करते हैं और उबासियां लेते हैं तो फिर जोर का अलार्म बजेगा. एचआरटीसी सहित रात को चलने वाले अन्य वाहनों के लिए यह काफी मददगार साबित हो सकता है क्योंकि रात को नींद आने के कारण कई हादसे होते हैं.
भारत सरकार से निधि प्रयास कार्यक्रम के तहत मिली मान्यता
प्रणय शर्मा बताते हैं कि हादसों को देखकर उनका मन विचलित हुआ था, जिसके बाद उन्होंने यह उपकरण बनाने की ठानी थी और आज इसमें उन्हें सफलता भी मिली है. उन्होंने अब इस उपकरण को देश की बड़ी नामी वाहन निर्माता कंपनियों के समक्ष प्रेजेंटेशन देने का भी निर्णय लिया है, ताकि इसे गाड़ी फिट कर दिया जाए. 2014 में इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन करने वाले प्रणय शर्मा ने सितंबर 2019 में आईआईटी मंडी के इन्क्यूबेशन सेंटर में अपने इस प्रोजेक्ट को सबमिट करवाया. इसके बाद जनवरी 2020 में राज्य सरकार के उद्योग विभाग के पास प्रेजेंटेशन दी. उद्योग विभाग ने इस प्रोजेक्ट के प्रति खासी दिलचस्पी दिखाई और प्रणय शर्मा को फंडिंग की. डेढ़ वर्षों की कड़ी मेहनत के बाद अब प्रणय ने इस उपकरण का निर्माण कर दिया है. जनवरी 2021 में भारत सरकार के निधि प्रयास के तहत इस प्रोजेक्ट को सबमिट करवाया गया तो वहां से भी इसे चयनित कर लिया गया है.
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