मंडी: गर्मी का मौसम आते ही हिमाचल प्रदेश के जंगलों आग लगने की घटनाएं भी बढ़ने लगती हैं. जंगल में आग लगने से ना केवल वन संपदा को नुक्सान होता है, बल्कि पर्यावरण पर भी बुरा असर पड़ता है. जंगलों की आग को रोकने के लिए वन विभाग के अधिकारी व कर्मचारी दिन रात मैदान में डटे हुए हैं. जोगिंदर नगर में सभी वन क्रर्मियों की छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं.
वन मंडलाधिकारी जोगिन्दर नगर राकेश कटोच का कहना है कि जंगलों की आग को रोकने में विभागीय अधिकारियों व कर्मचारियों के साथ-साथ जन सहभागिता बहुत जरूरी है. जंगल में आग लगने की सूचना लोग तुरंत अपने नजदीकी वन विभाग के कर्मी को दे सकते हैं. उन्होंने कहा कि ग्रामीण खेतों की साफ-सफाई व झाड़ियों को जलाने का काम जंगल से कम से कम 100 मीटर की दूरी पर करें, जिससे जंगल को किसी प्रकार का नुक्सान न हो.
जोगिन्दर नगर के वन मंडलाधिकारी ने बताया कि जोगिंदर नगर वन मंडल क्षेत्र में जंगलों में आग की घटनाओं को रोकने के लिए 32 फायर वॉचर भी तैनात किए गए हैं, जो लगातार निगरानी कर रहे हैं. साथ ही विभाग के सभी अधिकारियों व कर्मचारियों की छुट्टियां भी रद्द कर दी गई हैं. कर्मियों की सुविधा के लिए विभाग ने गाड़ियों भी उपलब्ध करवाई हैं, जिससे समय रहते जंगल की आग को फैलने से रोका जा सके. इसके अतिरिक्त ब्लॉक स्तर पर रैपिड एक्शन टीम भी गठित की गई है, जो संबंधित डिप्टी रेंजर की अगुवाई में काम कर रही है.
जंगल में आग जलाने पर होगी कार्रवाई:
राकेश कटोच ने बताया कि जोगिन्दर नगर का 700 वर्ग किलोमीट हिस्सा वन मंडल के अधीन क्षेत्र आता है. यहां की कुल 56 फॉरेस्ट बीट में से 40 जंगल आग की दृष्टि से अति संवेदनशील हैं, जिनमें चीड़ के अधिकत्तर जंगल पाए जाते हैं. उनका कहना है कि इस वनमंडल के निचले क्षेत्रों मसलन लडभड़ोल, धर्मपुर, कमलाह के जंगल अति संवेदनशील हैं. उन्होंने कहा कि यदि कोई व्यक्ति जंगल में आग लगाते हुए पकड़ा जाता है तो उसके खिलाफ नियमानुसार कड़ी कानूनी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी.
वन मंडलाधिकारी की लोगों से अपील:
वन मंडलाधिकारी ने लोगों से अपील भी की है कि जंगलों में आग लगाने से बचें और कहीं आग लगने पर तुरंत इसकी जानकारी विभागीय अधिकारियों के साथ साझा करें. उन्होने कहा कि जंगलों में आग की घटनाओं को रोकने में सामाजिक भागीदारी बेहद जरूरी है और सभी लोग एक जागरूक नागरिक होने के नाते अपनी जिम्मेदारी निभाएं, जिससे अमूल्य वन संपदा को नष्ट होने से रोका जा सके. उन्होने कहा कि हमारे वन सुरक्षित होने पर ही हमारा जीवन भी सुरिक्षत रह सकता है.