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कुल्लू दशहरा में इस बार नहीं दिखेगा देव महाकुंभ, रघुनाथ रथयात्रा में महज 7 देवी-देवता होंगे शामिल

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Published : Oct 23, 2020, 8:58 AM IST

देवभूमि हिमाचल का प्रसिद्ध अतर्राष्ट्रीय कुल्लू दशहरा इस साल सीमित रूप में मनाया जाएगा. कोरोना महामारी के कारण इस बार दशहरा का स्वरूप काफी बदला होगा. देव महाकुंभ में सैकड़ों की तादाद में आने वाले देवी-देवता भगवान रघुनाथ के समक्ष हाजिरी नहीं भर सकेंगे.

Rath Yatra of Kullu Dussehra
कुल्लू दशहरा की रघुनाथ रथ यात्रा.

कुल्लू: इस साल कुल्लू दशहरा में लगने वाले देव महाकुंभ में देवी-देवताओं का जमावड़ा नहीं लगेगा. देवी-देवताओं के रथों को थिरकते हुए श्रद्धालु और भक्त नहीं देख पाएंगे और न ही सैकड़ों देवी-देवताओं का भव्य मिलन देखने को अठारह करडू के सौह कहे जाने वाले ढालपुर में देखने को मिलेगा.

दशहरा उत्सव कमेटी ने दशहरा उत्सव में सात देवी-देवताओं के आने को अनुमति प्रदान की है. उत्सव की शोभा बढ़ाने वाले रथ दशहरे के दौरान अपने देवालय में विराजमान होंगे. भगवान रघुनाथ की रथयात्रा में माता हिडिंबा, नग्गर की माता त्रिपुरा सुंदरी, खोखन के देवता ब्रह्मा, रैला के देवता लक्ष्मी नारायण, खराहल घाटी के बिजली महादेव, पीज के जम्दग्नि और ढालपुर के देवता वीरनाथ 50 लोगों के साथ दशहरे में शामिल होंगे.

गौर रहे कि वर्ष 1962 में भी दशहरा सूक्ष्म रूप से मनाया गया था. इसी की तर्ज पर इस साल दशहरा मनाया जा रहा है, जिसमें हजारों लोगों की भीड़ देखने को नहीं मिलेगी. वहीं, उत्सव में दुकानें भी नहीं सजेंगी. सैकड़ों देवताओं के अस्थायी शिविरों में सुबह व शाम को होने वाली पूजा-अर्चना का नजारा भी श्रद्धालु नहीं देख पाएंगे. दशहरा उत्सव कमेटी के अध्यक्ष गोविंद सिंह ठाकुर ने कहा कि वैश्विक महामारी कोरोना के कारण भगवान रघुनाथ की रथयात्रा में महज सात देवी-देवता ही हिस्सा लेंगे.

कुल्लू: इस साल कुल्लू दशहरा में लगने वाले देव महाकुंभ में देवी-देवताओं का जमावड़ा नहीं लगेगा. देवी-देवताओं के रथों को थिरकते हुए श्रद्धालु और भक्त नहीं देख पाएंगे और न ही सैकड़ों देवी-देवताओं का भव्य मिलन देखने को अठारह करडू के सौह कहे जाने वाले ढालपुर में देखने को मिलेगा.

दशहरा उत्सव कमेटी ने दशहरा उत्सव में सात देवी-देवताओं के आने को अनुमति प्रदान की है. उत्सव की शोभा बढ़ाने वाले रथ दशहरे के दौरान अपने देवालय में विराजमान होंगे. भगवान रघुनाथ की रथयात्रा में माता हिडिंबा, नग्गर की माता त्रिपुरा सुंदरी, खोखन के देवता ब्रह्मा, रैला के देवता लक्ष्मी नारायण, खराहल घाटी के बिजली महादेव, पीज के जम्दग्नि और ढालपुर के देवता वीरनाथ 50 लोगों के साथ दशहरे में शामिल होंगे.

गौर रहे कि वर्ष 1962 में भी दशहरा सूक्ष्म रूप से मनाया गया था. इसी की तर्ज पर इस साल दशहरा मनाया जा रहा है, जिसमें हजारों लोगों की भीड़ देखने को नहीं मिलेगी. वहीं, उत्सव में दुकानें भी नहीं सजेंगी. सैकड़ों देवताओं के अस्थायी शिविरों में सुबह व शाम को होने वाली पूजा-अर्चना का नजारा भी श्रद्धालु नहीं देख पाएंगे. दशहरा उत्सव कमेटी के अध्यक्ष गोविंद सिंह ठाकुर ने कहा कि वैश्विक महामारी कोरोना के कारण भगवान रघुनाथ की रथयात्रा में महज सात देवी-देवता ही हिस्सा लेंगे.

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