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कोरोना ने किया मनाली में चेरी व स्ट्रॉबेरी का रंग फीका, लॉकडाउन से मुश्किल में बागवान - पर्यटन नगरी मनाली

कोरोना के असर ने इस बार चेरी और स्ट्रॉबेरी का रंग फीका कर दिया. महज इस साल बागवानों को 15-से 20 रुपए किलो दाम मिल रहे हैं. पहले 80 रुपए तक घर पर ही बिक जाती थी.

Effect of Corona on Strawberry and Cherry in Manali
कोरोना ने किया मनाली में चेरी और स्ट्रॉबेरी का रंग फीका
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Published : May 23, 2020, 1:04 PM IST

मनाली: कोरोना का असर अब चेरी और स्ट्रॉबेरी पर भी पड़ा. जहां पहले इसकी कीमत मई-जून में 70 से 80 रुपए किलो होती थी.अब 15 से 20 रुपए मिल रही है. घाटी में इन दिनों चेरी और स्ट्रॉबेरी की फसल तैयार है,लेकिन उचित दाम नहीं मिलने के कारण बागवानों में मायूसी छाई है. जिस स्ट्रॉबेरी के बागवानों को हर साल से 80 रुपये किलो तक के दाम आसानी से मिल जाते थे. इस साल वह महज 20 रुपए तक आकर रह गए हैं. इन महीनों में बड़ी संख्या में घाटी का दीदार करने पर्यटक पहुंचते थे, लेकिन कोरोना संकट के कारण ऐसा नहीं हो पाया. इसका असर चेरी और स्ट्रॉबेरी पर पड़ा.

रिश्तेदारों को बांट रहे स्ट्रॉबेरी व चेरी

बागवानों का कहना है कि इस बार रिश्तेदारों को ही बांटने का काम चल रहा है. कीमत काफी कम मिल रही है. वहीं, महिलाओं का कहना है कि सालभर का हमारा खर्चा सीजन में निकल जाता था, लेकिन इस बार तो लेबर का ही खर्चा निकालना मुश्किल हो रहा है. चन्द्रा देवी ने बताया नाते-रिश्तेदारों को बांटकर ही काम चलाना पड़ रहा है. इस बार तो हमारा खर्चा भी नहीं निकलेगा.

वीडियो

घर नहीं आ रहे खरीदार

बागवानों का कहना है कि घाटी के अधिकतर लोग पर्यटन कारोबार पर ही निर्भर हैं. ऐसे में इस बार कोरोना वायरस के कारण उनका पर्यटन कारोबार पूरी तरह से प्रभावित हो गया. जिसका सीधा असर उनकी चेरी और स्ट्रॉबेरी पर पड़ा. बागवानों का कहना है कि मनाली में गर्मियों के सीजन में उनको बाहर बेचने नहीं जाना पड़ता था. घर पर ही इसके खरीदार और पर्यटक पहुंच जाते थे, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हो रहा. फसल या तो खेतों में ही सड़ रही है या फिर कम दामों पर निकालकर काम चला रहे हैं.

ये भी पढ़ें: मां की हिम्मत से चल रही बेटे की सांसें, कोरोना संकट में जिंदगी बचाने के लिए लगाई मदद की गुहार

मनाली: कोरोना का असर अब चेरी और स्ट्रॉबेरी पर भी पड़ा. जहां पहले इसकी कीमत मई-जून में 70 से 80 रुपए किलो होती थी.अब 15 से 20 रुपए मिल रही है. घाटी में इन दिनों चेरी और स्ट्रॉबेरी की फसल तैयार है,लेकिन उचित दाम नहीं मिलने के कारण बागवानों में मायूसी छाई है. जिस स्ट्रॉबेरी के बागवानों को हर साल से 80 रुपये किलो तक के दाम आसानी से मिल जाते थे. इस साल वह महज 20 रुपए तक आकर रह गए हैं. इन महीनों में बड़ी संख्या में घाटी का दीदार करने पर्यटक पहुंचते थे, लेकिन कोरोना संकट के कारण ऐसा नहीं हो पाया. इसका असर चेरी और स्ट्रॉबेरी पर पड़ा.

रिश्तेदारों को बांट रहे स्ट्रॉबेरी व चेरी

बागवानों का कहना है कि इस बार रिश्तेदारों को ही बांटने का काम चल रहा है. कीमत काफी कम मिल रही है. वहीं, महिलाओं का कहना है कि सालभर का हमारा खर्चा सीजन में निकल जाता था, लेकिन इस बार तो लेबर का ही खर्चा निकालना मुश्किल हो रहा है. चन्द्रा देवी ने बताया नाते-रिश्तेदारों को बांटकर ही काम चलाना पड़ रहा है. इस बार तो हमारा खर्चा भी नहीं निकलेगा.

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घर नहीं आ रहे खरीदार

बागवानों का कहना है कि घाटी के अधिकतर लोग पर्यटन कारोबार पर ही निर्भर हैं. ऐसे में इस बार कोरोना वायरस के कारण उनका पर्यटन कारोबार पूरी तरह से प्रभावित हो गया. जिसका सीधा असर उनकी चेरी और स्ट्रॉबेरी पर पड़ा. बागवानों का कहना है कि मनाली में गर्मियों के सीजन में उनको बाहर बेचने नहीं जाना पड़ता था. घर पर ही इसके खरीदार और पर्यटक पहुंच जाते थे, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हो रहा. फसल या तो खेतों में ही सड़ रही है या फिर कम दामों पर निकालकर काम चला रहे हैं.

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