कुल्लू: हिमाचल प्रदेश में जहां दिसबंर माह में अब पहाड़ों पर कड़ाके की ठंड पड़नी शुरू हो गई है. वहीं, ठंड से बचने के लिए लोग भी गर्म कपड़ों का सहारा लेने में जुटे हैं. प्रदेश के कुल्लू जिला की अगर बात की जाए तो यहां अक्टूबर माह से लेकर मार्च माह तक ठंड का प्रकोप अधिक रहता है और गर्म कपड़े ही यहां ठंड से लड़ने में लोगों की मदद करते हैं.
गर्म कपड़ों के कारोबार में फिलहाल कोई गर्मी नहीं
नबंवर माह में भी जिला कुल्लू व लाहौल स्पीति के पहाड़ों में जमकर बारिश व बर्फबारी हुई है. ऐसे में जाहिर सी बात है कि ग्रामीण इलाकों में भी ठंड बढ़ गई है. लोग ठंड से बचने के लिए गर्म कपड़ों व तंदूर सहित अन्य चीजों का सहारा ले रहे हैं, ताकि शरीर को गर्म रखा जा सके, लेकिन गर्म कपड़ों के कारोबार में फिलहाल कोई गर्मी नहीं देखी जा रही है.
जो मांग रहती थी वो इस साल बहुत कम है
हालांकि ऊनी कपड़ों का कारोबार करने वाले व्यापारियों ने इसके लिए पूरी तैयारियां की हैं, लेकिन ग्राहक न होने के चलते कारोबार भी पहाड़ों की तरह ठंडा पड़ा हुआ है. जिला कुल्लू के बाजार भी इन दिनों ऊनी कपड़ों से सज चुके हैं. हर साल की तरह बाजारों में गर्म शॉल, टोपी, जुराब की जो मांग रहती थी वो इस साल बहुत कम है.
वहीं, गर्म कपड़ों के व्यापारियों ने भी अपनी दुकानों में वूल, टेरीकॉट सहित अन्य किस्मों के उत्पाद सजाए हुए हैं, लेकिन ग्राहक न होने के चलते कारोबारी भी खासे परेशान हैं. वहीं, बाजार में गर्माहट न आने का एक कारण व्यापारी कोरोना को भी मान रहे हैं.
कोरोना के डर के कारण बाजारों के रुख नहीं कर पा रहे हैं
व्यापारियों के अनुसार पिछले साल के मुकाबले इस साल 40 फीसदी कारोबार ही हो पाया है. ग्रामीण इलाकों से लोग कोरोना के डर के कारण बाजारों के रुख नहीं कर पा रहे हैं.
उम्मीद थी कि कारोबार भी बेहतर होगा
व्यापारियों का कहना है कि उन्होंने बाहरी राज्यों से ऊनी कपड़ों सहित ठंड से बचने के लिए कई उत्पाद अपनी दुकानों में सजाएं हैं. वहीं, इस साल नबंवर माह में ही जिला में ठंड का प्रकोप बढ़ गया है और उन्हें उम्मीद थी कि कारोबार भी बेहतर होगा, लेकिन उनके कारोबार में भी फिलहाल ठंड का प्रकोप देखने को मिल रहा है.