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चीन से बढ़ते तनाव के बीच BRO के हवाले की गई समदो-ग्रांफू सड़क, जल्द शुरू होगा काम - समदो ग्रांफू सड़क डीपीआर

चीन से बढ़ते विवाद के बीच समदो-ग्रांफू मार्ग भारत सरकार ने एक बार फिर बीआरओ के हवाले कर दिया है. 205 किलोमीटर लंबा समदो-ग्रांफू मार्ग देश के दो महत्वपूर्ण मार्गों मनाली-लेह व हिन्दोस्तान-तिब्बत मार्ग को आपस में जोड़ता है.

समदो-ग्रांफू
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Published : Jun 25, 2020, 3:18 PM IST

कुल्लू: प्रदेश के सीमावर्ती जनजातीय क्षेत्र स्पीति का सामर‍िक दृष्‍ट‍ि से महत्‍वपूर्ण समदो-ग्रांफू मार्ग भारत सरकार ने एक बार फिर बीआरओ के हवाले कर दिया है. चीन के साथ विवाद के बीच सरकार ने यह फैसला लिया है. हाल ही में सरकार ने यह मार्ग बीआरओ से राष्‍ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के हवाले कर दिया था, लेकिन फ‍िलहाल लोक निर्माण विभाग ही इसका काम देख रहा था.

लद्दाख में चीन के साथ चल रहे सीमा विवाद के बाद भारत सरकार हर एक कदम फूंक फूंक कर रख रही है. सरकार ने अप्रैल में यह मार्ग बीआरओ से लेकर नेशनल हाईवे के हवाले कर दिया था और इसके निर्माण के लिए 200 करोड़ भी जारी कर दिए थे, लेकिन चीन के साथ चल रहे विवाद के बाद सरकार ने फिर से इस मार्ग की महत्व को समझा और इसे बीआरओ के हवाले कर दिया.

बीआरओ ने पिछले साल ही इसकी डीपीआर तैयार कर इसे डबल लेन बनाने की सारी औपचारिकताएं पूरी कर ली थी. सभी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद सड़क नेशनल हाईवे को दे देने से बीआरओ भी असमंजस में पड़ गया था, लेकिन अब फिर से बीआरओ मोर्चा संभालने जा रहा है.

क्यों महत्वपूर्ण है समदो-ग्रांफू मार्ग

205 किलोमीटर लंबा समदो-ग्रांफू मार्ग देश के दो महत्वपूर्ण मार्गों मनाली-लेह व हिन्दोस्तान-तिब्बत मार्ग को आपस में जोड़ता है. यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि समदो चीन सीमा से लगता है. यह मार्ग सीमावर्ती क्षेत्र के प्रहरी कहे जाने वाले समदो से सटे स्पीति के लोगों के लिए भी महत्वपूर्ण है.

स्पीति क्षेत्र का अधिकतर क्षेत्र चीन सीमा से लगता है. 1962 में चीन के साथ युद्ध के बाद भारत ने सीमावर्ती क्षेत्रों तक सड़क पहुंचाने की मुहिम शुरू की. यह सड़क भी 1965 के बाद बनना शुरू हुई. उस समय से 2013 तक यह सड़क पीडब्ल्यूडी के पास ही रही है.

2013 में सामरिक महत्व को देखते हुए केंद्र सरकार ने इसे बीआरओ के हवाले कर दिया. हालांकि पांच साल बाद भी हालात खास रही, लेकिन 2019 में बीआरओ ने दावा किया कि समदो ग्रांफू सड़क को डबललेन करने के लिए बजट स्वीकृत हो गया है. सभी औपचारिकता पूरी हो गई हैं.

बीआरओ के साथ स्पीति घाटी के 600 से अधिक परिवार बीआरओ के इस मार्ग पर काम करते हैं. सड़क राष्‍ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को चले जाने से सभी बेरोजगार हो गए और सड़क पर उतर आए. स्पीति सहित लाहौल वासियों ने राष्ट्रपति सहित प्रधानमंत्री को ज्ञापन भेजकर सड़क के महत्व का हवाला देते हुए इसे बीआरओ के ही अधीन रखने का आग्रह किया. अब सड़क बीआरओ के अधीन हो जाने से सभी ने राहत की सांस ली है.

सभी औपचारिकता पूरी, जल्द शुरू करेंगे काम : बीआरओ

बीआरओ के चीफ इंजीनियर एमएस बाघी ने कहा कि सड़क के महत्व को देखते हुए इसे डबललेन बनाने का निर्णय लिया था. छोटा दड़ा नाले में हर समय सड़क खराब रहती थी. गत वर्ष यहां भी बीआरओ ने पुल का निर्माण कर लिया था. सड़क की डीपीआर तैयार कर सभी औपचारिकताएं पूरी कर ली गई हैं.

बीआरओ हाईकमान के निर्देशानुसार समदो ग्रांफू मार्ग पर भी काम किया जाएगा. सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण इस सड़क को जल्द से जल्द डबललेन बनाया जाएगा.

कुल्लू: प्रदेश के सीमावर्ती जनजातीय क्षेत्र स्पीति का सामर‍िक दृष्‍ट‍ि से महत्‍वपूर्ण समदो-ग्रांफू मार्ग भारत सरकार ने एक बार फिर बीआरओ के हवाले कर दिया है. चीन के साथ विवाद के बीच सरकार ने यह फैसला लिया है. हाल ही में सरकार ने यह मार्ग बीआरओ से राष्‍ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के हवाले कर दिया था, लेकिन फ‍िलहाल लोक निर्माण विभाग ही इसका काम देख रहा था.

लद्दाख में चीन के साथ चल रहे सीमा विवाद के बाद भारत सरकार हर एक कदम फूंक फूंक कर रख रही है. सरकार ने अप्रैल में यह मार्ग बीआरओ से लेकर नेशनल हाईवे के हवाले कर दिया था और इसके निर्माण के लिए 200 करोड़ भी जारी कर दिए थे, लेकिन चीन के साथ चल रहे विवाद के बाद सरकार ने फिर से इस मार्ग की महत्व को समझा और इसे बीआरओ के हवाले कर दिया.

बीआरओ ने पिछले साल ही इसकी डीपीआर तैयार कर इसे डबल लेन बनाने की सारी औपचारिकताएं पूरी कर ली थी. सभी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद सड़क नेशनल हाईवे को दे देने से बीआरओ भी असमंजस में पड़ गया था, लेकिन अब फिर से बीआरओ मोर्चा संभालने जा रहा है.

क्यों महत्वपूर्ण है समदो-ग्रांफू मार्ग

205 किलोमीटर लंबा समदो-ग्रांफू मार्ग देश के दो महत्वपूर्ण मार्गों मनाली-लेह व हिन्दोस्तान-तिब्बत मार्ग को आपस में जोड़ता है. यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि समदो चीन सीमा से लगता है. यह मार्ग सीमावर्ती क्षेत्र के प्रहरी कहे जाने वाले समदो से सटे स्पीति के लोगों के लिए भी महत्वपूर्ण है.

स्पीति क्षेत्र का अधिकतर क्षेत्र चीन सीमा से लगता है. 1962 में चीन के साथ युद्ध के बाद भारत ने सीमावर्ती क्षेत्रों तक सड़क पहुंचाने की मुहिम शुरू की. यह सड़क भी 1965 के बाद बनना शुरू हुई. उस समय से 2013 तक यह सड़क पीडब्ल्यूडी के पास ही रही है.

2013 में सामरिक महत्व को देखते हुए केंद्र सरकार ने इसे बीआरओ के हवाले कर दिया. हालांकि पांच साल बाद भी हालात खास रही, लेकिन 2019 में बीआरओ ने दावा किया कि समदो ग्रांफू सड़क को डबललेन करने के लिए बजट स्वीकृत हो गया है. सभी औपचारिकता पूरी हो गई हैं.

बीआरओ के साथ स्पीति घाटी के 600 से अधिक परिवार बीआरओ के इस मार्ग पर काम करते हैं. सड़क राष्‍ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को चले जाने से सभी बेरोजगार हो गए और सड़क पर उतर आए. स्पीति सहित लाहौल वासियों ने राष्ट्रपति सहित प्रधानमंत्री को ज्ञापन भेजकर सड़क के महत्व का हवाला देते हुए इसे बीआरओ के ही अधीन रखने का आग्रह किया. अब सड़क बीआरओ के अधीन हो जाने से सभी ने राहत की सांस ली है.

सभी औपचारिकता पूरी, जल्द शुरू करेंगे काम : बीआरओ

बीआरओ के चीफ इंजीनियर एमएस बाघी ने कहा कि सड़क के महत्व को देखते हुए इसे डबललेन बनाने का निर्णय लिया था. छोटा दड़ा नाले में हर समय सड़क खराब रहती थी. गत वर्ष यहां भी बीआरओ ने पुल का निर्माण कर लिया था. सड़क की डीपीआर तैयार कर सभी औपचारिकताएं पूरी कर ली गई हैं.

बीआरओ हाईकमान के निर्देशानुसार समदो ग्रांफू मार्ग पर भी काम किया जाएगा. सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण इस सड़क को जल्द से जल्द डबललेन बनाया जाएगा.

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