कुल्लू: जिला कुल्लू में मनाली से लेकर मंडी तक ब्यास नदी में आई बाढ़ के चलते जहां करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ. तो वहींं सैंज घाटी में बहने वाली पिन पार्वती नदी में आई बाढ़ के कारण भी कई लोग बेघर हो गए. दरअसल, जुलाई माह में पिन पार्वती नदी में भी भारी बाढ़ थी. जिसके चलते सैंज का मुख्य बाजार बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया. यहां पर 40 दुकान और 35 घरों को नुकसान हुआ और आज दर्जनों परिवार खुले आसमान के नीचे रहने के लिए मजबूर हो गए हैं.
दरअसल, पार्वती नदी के तटीय कारण को लेकर पहले भी कई बार चर्चाएं हुई, लेकिन इसका कार्य आज तक पूरा नहीं हो पाया. अगर पिन पार्वती नदी के तटीकरण का कार्य पहले ही पूरा कर दिया गया होता. तो यहां पर नदी के दोनों किनारो पर रहने वाले लोगों को आज बेघर न होना पड़ता. पिन पार्वती नदी में बाढ़ आने के बाद जल शक्ति विभाग, लोक निर्माण विभाग के द्वारा पहले चरण का प्राक्कलन तैयार कर जिला प्रशासन को सौंप दिया गया था और सैंज घाटी में पार्वती परियोजना का संचालन कर रही एनएचपीसी के द्वारा इस कार्य के लिए 5 करोड़ 32 लाख रुपये देने की बात कही गई थी. वहीं, अब प्राक्कलन को मंजूरी की फाइल एनएचपीसी के मुरादाबाद स्थित मुख्य कार्यालय में अटक गई है.
बता दें, एनएचपीसी प्रबंधन के द्वारा 3 करोड़ रुपये की राशि मुख्यमंत्री राहत कोष में दी गई है और 2 करोड़ 68 लाख रुपये की धनराशि सैंज के बैली ब्रिज के निर्माण के लिए भी जारी की गई है. ऐसे में लोगों को बची हुई बाकी 5 करोड़ 32 लाख रुपये की राशि मिलने की संभावना भी कम लग रही है. वहीं, पिन पार्वती नदी के किनारों का तटीकरण न होने के चलते नदी में बाढ़ के कारण लोगों को जान माल के नुकसान का खतरा अभी भी बना हुआ है. इस नदी के किनारे न्यूली से लेकर लारजी तक हजारों लोगो की आबादी बसती है. ऐसे में जल्द ही अगर नदी का तटीकरण नहीं किया गया तो यह नदी आगामी समय में भी जानलेवा साबित हो सकती है.
10 जुलाई को पिन पार्वती नदी में आई भयंकर बाढ़ के चलते न्यूली से लारजी तक भारी तबाही मची और करोड़ों रुपये की संपत्ति नदी अपने साथ बहा कर ले गई. ऐसे में नदी के तटीकरण को लेकर भी मुख्यमंत्री और लोक निर्माण विभाग मंत्री के द्वारा आश्वासन दिया गया था, लेकिन अभी तक प्रशासन पार्वती नदी के तटीकरण को लेकर गंभीर नजर नहीं आ रहा है. घाटी के स्थानीय लोगों का कहना है कि अभी तक भी लोग बाढ़ से हुए नुकसान के चलते सहमे हुए हैं और लोगों का जनजीवन सामान्य नहीं हो पाया है. अब सरकार को चाहिए कि वह एनएचसी प्रबंधन से जल्द 5 करोड़ 32 लाख रुपये की राशि लेकर इस कार्य को पूरा करें.
बता दें कि बीते दिनों जल शक्ति विभाग, आईआईटी रुड़की के वरिष्ठ भू वैज्ञानिकों की टीम के द्वारा पिन पार्वती नदी का दौरा किया गया. बताया जा रहा है कि इस नदी के बदले हुए स्वभाव का भी अध्ययन किया जाएगा. वहीं, आईआईटी रुड़की के भू वैज्ञानिकों के द्वारा इसके लिए स्थाई योजना तैयार की जाएगी और उसके बाद पूरी रिपोर्ट तैयार कर सरकार को सुझाव भी दिए जाएंगे. ताकि आगामी समय में पिन पार्वती नदी के चलते किसी भी प्रकार का नुकसान ना हो सके.
एनएचपीसी के महाप्रबंधक प्रकाश चंद्र ने बताया कि प्राकलन की फाइल मुख्य कार्यालय भेजी गई है, लेकिन निदेशक मंडल से अभी तक इसे कोई मंजूरी नहीं मिल पाई है. वहीं, एडीएम कुल्लू अश्वनी कुमार ने बताया कि एनएचपीसी प्रबंधन को तटीकरण का पैसा जल्द जारी करने के आदेश जारी किए गए हैं, लेकिन अभी तक उनकी ओर से भी कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. जल्द ही इस बारे एनएचपीसी प्रबंधन से बात की जाएगी.