कुल्लू: हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार ने राजस्व बढ़ाने की दृष्टि से फ्रूट वाइन की भी 150 गुना फीस बढ़ा दी है. पहले जहां सालाना फीस 20 हजार रुपये लगती थी अब इसे 50 हजार रुपए कर दिया गया है. जिससे अब फ्रूट वाइन लेकर एसोसिएशन के सदस्यों ने भी चिंता व्यक्त की है. वहीं, उन्होंने प्रदेश सरकार से मांग रखी है कि सरकार अगर फीस बढ़ाना चाहती है तो वे प्रदेश में फ्रूट वाइन के काउंटर भी बढ़ाए, ताकि फ्रूट वाइन से जुड़े लोगों को भी इसका Benefit मिल सके.
फ्रूट वाइन मेकर एसोसिएशन के सदस्य कर्मवीर पठानिया ने कहा है कि फ्रूट वाइन से राजस्व बढ़ाने के लिए सरकार को फीस नहीं बल्कि काउंटर बढ़ाने चाहिए. वर्तमान में सरकार ने फ्रूट वाइन के काउंटर की फीस 20 हजार से बढ़ाकर 50 हजार कर दी है. इससे सरकार का राजस्व नहीं बढ़ेगा बल्कि घट जाएगा, क्योंकि वर्तमान में 550 के करीब काउंटर प्रदेश के विभिन्न कोनो में हैं, जबकि फीस बढ़ने से यह संख्या आधी से भी कम हो जाएगी. जिससे सरकार, उत्पादक व व्यापारी सबको इसका नुकसान है.
उन्होंने कहा कि आबकारी नीति 2023-24 में फलों से उत्पादित शराब के उत्पादन और बिक्री संबंधी नीति में वांछित सुधार होना चाहिए. सरकार को अधिक वित्तीय साधन जुटाने हेतु एस-वन डबल ए के वार्षिक शुल्क को पचास हजार से घटा कर पांच हजार करना चाहिए. उन्होंने कहा कि हिमाचल अपने सेब के लिए फेमस है, लेकिन एप्पल व अन्य फलों से बनने वाले उत्पादों को प्रोत्साहित करने हेतु कोई नीति नियम नहीं है. होना तो यह चाहिए था की हिमाचल में फलों से बनने वाली शराब को ड्यूटी फ्री किया जाता, लेकिन प्रदेश की कमजोर आर्थिक स्थिति के मद्देनजर शराब निर्माता और विक्रेता का भी योगदान होना अनिवार्य है.
Fruit Wine Maker Association के सदस्य कर्मवीर पठानिया ने कहा है कि हैरानी तो तब होती है जब एक असीमित संभावनाओं वाले उद्यम को प्रदेश के नीति नियंता ही डूबोने को आतुर हों. आज प्रदेश की साइडर और वैनिरिज कुल मिलाकर 60 करोड़ कर के रूप में सरकार के खाते में डाल रही हैं. अब आने वाले 5 सालों में 60 करोड़ को 600 करोड़ कैसे बनाया जाए. चिंतन इस बात पर होना चाहिए. उनका कहना है कि देसी व अंग्रेजी शराब से आप 5 साल में 2500 करोड़ से 10000 करोड़ कर की उम्मीद नहीं कर सकते, लेकिन प्रदेश के जितने भी फल आधारित शराब बनाने वाले उद्यमी आपको 600 करोड़ का लक्ष्य 5 साल के भीतर पूरा करके दिखा सकते हैं. सरकार की सहभागिता और विश्वास इन उद्यमियों पर होना चाहिए. प्रादेशिक स्तर पर अथाह रोजगार के साधन इसी उद्यम के माध्यम से सृजित किए जा सकते हैं.
वहीं, व्यापारी रूपक शर्मा का कहना है कि हिमाचल प्रदेश में कई तरह के फल होते हैं, लेकिन सीजन में कई बार बागवानों को उसके अच्छे दाम नहीं मिल पाते हैं और फल बगीचों में ही खराब हो जाते हैं. ऐसे में अगर सरकार फ्रूट वाइन सेक्टर को बढ़ावा दें तो इससे बागवानों को भी अच्छे पैसे मिलेंगे और सरकार को भी फ्रूट वाइन से अच्छा राजस्व हासिल होगा.
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