कुल्लू: अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना एवं केंद्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला द्वारा दो दिवसीय राष्ट्रीय युवा इतिहासकार संगोष्ठी का कुल्लू के वैष्णों माता मंदिर परिसर में आयोजित किया गया. संगोष्ठी का विषय 'भारतीय इतिहास लेखन की प्रवृतियां एवं नवीन आयाम' रखा गया था. जिसमें दो दर्जन सत्रों में देशभर के 250 युवा इतिहासकार अपने-अपने शोधपत्र प्रस्तुत किए.
दरअसल, इस संगोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि के रुप में उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा परिषद के अध्यक्ष एवं अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ विश्वकर्मा ने शिरकत की. जबकि हिमाचल प्रदेश के केंद्रीय विश्विद्यालय धर्मशाला के कुलपति डॉ. सत प्रकाश बंसल ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की.
संगोष्ठी में शामिल हुए 250 से अधिक इतिहासकार: मुख्य वक्ता डॉ. बालमकुंद पाण्डे पांडे ने बताया यह युवा इतिहासकारों की सातवीं राष्टीय संगोष्ठी है. इसमें 250 से अधिक इतिहासकार यहां पहुंचे हैं. उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास यह है कि भारत का जो असली इतिहास है, वो सामने आए. जबकि आज तक हम संपूर्ण इतिहास नहीं पढ़ सके. इतिहास में जो त्रुटियां हैं, उन्हें ठीक करना है. अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना समिति के प्रांत अध्यक्ष डॉ सूरत ठाकुर ने बताया कि इस संगोष्ठी में करीब 200 शोध पत्र पढ़े गए.
स्थानीय संस्कृति से कराया जा रहा रूबरू: उन्होंने बताया प्रबंधन के लिए विभिन्न कमेटियों का गठन किया गया. डॉ सूरत ठाकुर ने यह भी बताया कि इस अवसर पर इतिहास संकलन समिति की जिला कुल्लू इकाई द्वारा प्रकाशित 'कुल्लू जनपद में शाक्त परम्परा' नामक पुस्तक का लोकार्पण भी किया गया था. दानवेंद्र सिंह ने बताया कि यहां पर आए सभी युवा इतिहासकारों को स्थानीय व्यजन परोसे गए और स्थानीय संस्कृति से रूबरू करवाया गया.
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