मनाली: जिला लाहौल को कुल्लू से जोड़ने वाला रोहतांग दर्रा अब किसी भी मजबूर राहगीर की जान नहीं ले पाएगा. सर्दियों के मौसम में भारी बर्फबारी होने से रोहतांग दर्रा बर्फ का समुद्र बन जाता था. जगह-जगह हिमखंड गिरे होते थे जिससे राहगीरों की राहें मुश्किल हो जाती थीं, लेकिन बर्फ का पहाड़ लांघते हुए अब किसी की सांसें ठंडी नहीं होंगी. अटल टनल के बन जाने से सबसे ज्यादा राहत रोहतांग दर्रे के राहगीरों को ही मिलेगी.
अक्टूबर शुरू होते ही लाहौल के लोगों को यह रोहतांग दर्रा परेशान करना शुरू कर देता था. आसमान छाते ही लाहौलवासी दशहरा उत्सव की खुशियां बीच में छोड़कर घर भागने को मजबूर हो जाते थे. हालांकि पैदल राहगीरों की सुरक्षा के लिए लाहौल स्पीति प्रशासन हर साल 15 मार्च और 15 नवंबर को रेस्क्यू पोस्ट भी स्थापित करता है, लेकिन अचानक होने वाली बर्फबारी और बर्फीला तूफान हर साल किसी न किसी राहगीर की जान ले ही लेता था. कई बार अचानक हुई बर्फबारी पर्यटकों पर भी भारी पड़ती थी, लेकिन रोहतांग दर्रे को राहगीर हर बार जान जोखिम में डालकर पार करते रहे.
लाहौलवासियों के लिए सबसे बड़ी मुश्किल स्वास्थ्य और ट्रांसपोर्ट सुविधा न मिल पाना थी. लेकिन टनल के बन जाने से अब वो दिक्कत दूर हो जाएगी. अटल टनल लाहौल के लोगों के लिए वरदान बनकर सामने आएगी. इससे पहले भी सरकार के द्वारा लाहौल के विकास के लिए प्रयास किए जाते रहे, लेकिन हर बार उस विकास में रोहतांग दर्रा बाधा बनकर सामने खड़ा हो जाता था.
अटल टनल के बनने से लाहौल घाटी सहित जिला चंबा की किलाड़ घाटी को भी राहत मिली है. इन क्षेत्रों की हजारों की आबादी को अटल टनल ने बर्फ की कैद से मुक्ति दिलाई है. अटल टनल के बनने से मनाली केलंग की दूरी 46 किमी कम हुई है, साथ ही अब मनाली से केलंग का सफर भी ढाई घंटे का रह गया है. राहगीरों को भी राहत मिली है. केलंग और लेह जाने वाले पर्यटकों को भी सुहाना सफर मिलने जा रहा है.
रोहतांग टनल के खुलने से एक तरफ जहां लाहौल वासियों की मुश्किलें हल होंगी वहीं दूसरी ओर टूरिज्म को भी बढ़ावा मिलेगा. हालांकि पर्यटन के हिसाब से लाहौल को विकसित होने में काफी लंबा समय लगेगा, लेकिन धार्मिक पर्यटन के बढ़ने से लोगों की आर्थिकी मजबूत होगी.
रोहतांग दर्रे पर हुए बड़े हादसे
क्या आप जानते हैं कि रोहतांग दर्रे पर बहुत से हादसे भी हुए हैं. 20 नवंबर 2009 को रोहतांग दर्रे में अचानक आए तूफान से बीआरओ के 16 मजदूर मारे गए थे. 30 मई 2012 को ट्रैकिंग करते हुए लुधियाना के पर्यटक की मौत हुई थी. 23 मई 2014 को रोहतांग में अचानक बर्फबारी से 194 पर्यटक फंस गए थे. इसके बाद 13 दिसंबर 2014 को अचानक हुई भारी बर्फबारी से रोहतांग दर्रे में 2500 पर्यटक फंस गए थे और 4 नवंबर 2015 को बर्फबारी से 200 पर्यटक फंस गए थे.
बता दें सर्दी के मौसम में रोहतांग दर्रे पर बर्फ पड़ जाने के बाद लाहौल का कुल्लू से भी पूरी तरह से संपर्क कट जाता था, लेकिन अब अटल रोहतांग सुरंग के बन जाने से लोग 12 महीने देश दुनिया से जुड़े रहेंगे. यूं कहें कि अब लाहौल स्पीति अच्छे दिन आने वाले हैं.