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पर्यटन और लोक संस्कृति का अनूठा संगम है विंटर कार्निवल, मनाली में मिनी भारत का नजारा

मनाली में राष्ट्र स्तरीय विंटर कार्निवल का गुरुवार से आगाज हो गया है. कार्निवल  पर्यटन और लोक संस्कृति का एक अनूठा संगम है. नए वर्ष के आगमन के बाद विंटर कार्निवल का आयोजन देश-विदेश के पर्यटकों और विभिन्न राज्यों के लोक कलाकारों के लिए आकर्षण का केंद्र है.

मनाली विंटर कार्निवल
Manali winter Carnival
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Published : Jan 2, 2020, 6:14 PM IST

मनाली: पर्यटन नगरी मनाली में राष्ट्र स्तरीय विंटर कार्निवल का गुरुवार से आगाज हो गया है. कार्निवल पर्यटन और लोक संस्कृति का एक अनूठा संगम है. नए वर्ष के आगमन के बाद विंटर कार्निवल का आयोजन देश-विदेश के पर्यटकों और विभिन्न राज्यों के लोक कलाकारों के लिए आकर्षण का केंद्र है.

इस महोत्सव के माध्यम से कुल्लू-मनाली में ऑफ सीजन के दौरान भी बड़ी तादाद में पर्यटक उमड़ने लगे हैं. मनाली में इस महोत्सव के इतिहास की चर्चा करें तो, 1970 के दशक में मनाली की कुछ संस्थाओं और विंटर स्पोर्टस प्रेमियों ने कार्निवल का आगाज किया था.

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राष्ट्र स्तरीय विंटर कार्निवल के आगाज में अटल बिहारी वाजपेयी पर्वतारोहण व संबंधित खेल संस्थान के तत्कालीन निदेशक श्री हरनाम सिंह की महत्वपूर्ण भूमिका थी. उस समय इसका मुख्य उद्देश्य विंटर स्पोर्ट्स को बढ़ावा देना था.

कई बार सीमित साधनों और आर्थिक तंगी के बावजूद भी विंटर कार्निवल का आयोजन होता रहा, जिसके लिए मनाली के लोग और इससे जुड़ी संस्थाएं बधाई की पात्र हैं. पिछले तीन दशकों के दौरान मनाली में पर्यटन उद्योग के विस्तार के साथ ही विंटर कार्निवल के स्वरूप में भी व्यापक विस्तार हुआ है.

अब इसमें पर्यटन और लोक संस्कृति के पहलु भी जुड़ चुके हैं. उत्सव को विस्तार देने के लिए वर्ष 1999 में तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने इसका सरकारीकरण किया और कार्निवल को राज्य स्तर का दर्जा दिया. इसके बाद विंटर कार्निवल निरंतर आगे बढ़ता गया और वर्ष 2011 में मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने इसे राष्ट्रीय स्तर का दर्जा दिया.

विंटर कार्निवल के शुभारंभ अवसर पर ढुंगरी के हिडिंबा मंदिर से निकलने वाली स्थानीय महिलाओं और देश के विभिन्न राज्यों के सांस्कृतिक दलों की झांकियों के माध्यम से मनाली के माल रोड पर मिनी भारत जैसा नजारा दिखता है.

इस उत्सव में विंटर क्वीन और वॉयस ऑफ कार्निवल जैसी स्पर्धाएं हिमाचली प्रतिभाओं को बहुत ही अच्छा मंच प्रदान करती हैं. इन प्रतियोगिताओं में भाग लेने वाली युवतियों और प्रतिभाशाली गायकों को आगे बढ़ने के लिए एक बहुत ही अच्छा मंच विंटर कार्निवल के माध्यम से मिलता है.

अब विंटर कार्निवल के माध्यम से कुल्लवी लोक संस्कृति का खूब प्रचार-प्रसार हो रहा है. कुल्लू घाटी की लोक संस्कृति और परंपराएं सचमुच पर्यटकों में कौतुहल पैदा कर देती हैं. विभिन्न राज्यों के सांस्कृतिक दलों की भागीदारी से विंटर कार्निवल में सांस्कृतिक आदान-प्रदान को भी बढ़ावा मिलता है. परंपरा के अनुसार, विंटर कार्निवल का आगाज मनाली की मुख्य अधिष्ठात्री देवी मां हिडिंबा के मंदिर में पूजा-अर्चना के बाद कार्निवल परेड व सांस्कृतिक झांकियों के साथ होता है.

गुरुवार को मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने विंटर कार्निवल के शुभारंभ अवसर पर हिडिंबा मंदिर में पूजा-अर्चना के बाद सांस्कृतिक झांकियों को माल रोड की ओर रवाना किया. रंग-बिरंगे परिधानों में सजी स्थानीय महिलाएं और अन्य राज्यों के सांस्कृतिक दलों ने माल रोड पर मिनी भारत की एक अनुपम छटा बिखेर दी.

इस बार माल रोड पर 170 महिला मण्डलों की करीब 4000 महिलाएं मैगा नाटी का प्रदर्शन करके समारोह को और भी खास बनाएंगी. स्थानीय महिलाओं और देश के अन्य राज्यों की सांस्कृतिक झांकियां सभी के लिए आकर्षण का केन्द्र रहेंगी. इसके अलावा, रस्साकशी, बास्केटबाल, बैडमिंटन और अन्य खेलों में विंटर कार्निवल को शामिल किया गया है.

लगातार विस्तार के बावजूद पिछले कुछ वर्षों के दौरान किन्हीं कारणों से विंटर कार्निवल से विंटर स्पोर्टस गायब हो गया था, लेकिन अब प्रदेश सरकार ने इस साल से कार्निवल में विंटर स्पोर्टस को फिर से शामिल करने का निर्णय लिया है. इसके लिए पर्याप्त धनराशि का प्रावधान किया गया है. कार्निवल में राष्ट्रीय स्तर की स्कीइंग प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है.

इस प्रकार मनाली का ये पांच दिवसीय राष्ट्र स्तरीय विंटर कार्निवल देश-विदेश के पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बन रहा है. नव वर्ष के आगमन के बाद मनाया जाने वाला ये महोत्सव मनाली के पर्यटन उद्योग को नए आयाम दे सकता है. इस बार दो से छह जनवरी तक मनाया जाने वाला मनाली का राष्ट्र स्तरीय शरदोत्सव नए स्वरूप में नजर आएगा. कार्निवल में पंजाब, गुजरात, उड़ीसा समेत अन्य राज्यों से कलाकार भाग लेने के लिए पहुंचे हैं.

मनाली: पर्यटन नगरी मनाली में राष्ट्र स्तरीय विंटर कार्निवल का गुरुवार से आगाज हो गया है. कार्निवल पर्यटन और लोक संस्कृति का एक अनूठा संगम है. नए वर्ष के आगमन के बाद विंटर कार्निवल का आयोजन देश-विदेश के पर्यटकों और विभिन्न राज्यों के लोक कलाकारों के लिए आकर्षण का केंद्र है.

इस महोत्सव के माध्यम से कुल्लू-मनाली में ऑफ सीजन के दौरान भी बड़ी तादाद में पर्यटक उमड़ने लगे हैं. मनाली में इस महोत्सव के इतिहास की चर्चा करें तो, 1970 के दशक में मनाली की कुछ संस्थाओं और विंटर स्पोर्टस प्रेमियों ने कार्निवल का आगाज किया था.

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राष्ट्र स्तरीय विंटर कार्निवल के आगाज में अटल बिहारी वाजपेयी पर्वतारोहण व संबंधित खेल संस्थान के तत्कालीन निदेशक श्री हरनाम सिंह की महत्वपूर्ण भूमिका थी. उस समय इसका मुख्य उद्देश्य विंटर स्पोर्ट्स को बढ़ावा देना था.

कई बार सीमित साधनों और आर्थिक तंगी के बावजूद भी विंटर कार्निवल का आयोजन होता रहा, जिसके लिए मनाली के लोग और इससे जुड़ी संस्थाएं बधाई की पात्र हैं. पिछले तीन दशकों के दौरान मनाली में पर्यटन उद्योग के विस्तार के साथ ही विंटर कार्निवल के स्वरूप में भी व्यापक विस्तार हुआ है.

अब इसमें पर्यटन और लोक संस्कृति के पहलु भी जुड़ चुके हैं. उत्सव को विस्तार देने के लिए वर्ष 1999 में तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने इसका सरकारीकरण किया और कार्निवल को राज्य स्तर का दर्जा दिया. इसके बाद विंटर कार्निवल निरंतर आगे बढ़ता गया और वर्ष 2011 में मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने इसे राष्ट्रीय स्तर का दर्जा दिया.

विंटर कार्निवल के शुभारंभ अवसर पर ढुंगरी के हिडिंबा मंदिर से निकलने वाली स्थानीय महिलाओं और देश के विभिन्न राज्यों के सांस्कृतिक दलों की झांकियों के माध्यम से मनाली के माल रोड पर मिनी भारत जैसा नजारा दिखता है.

इस उत्सव में विंटर क्वीन और वॉयस ऑफ कार्निवल जैसी स्पर्धाएं हिमाचली प्रतिभाओं को बहुत ही अच्छा मंच प्रदान करती हैं. इन प्रतियोगिताओं में भाग लेने वाली युवतियों और प्रतिभाशाली गायकों को आगे बढ़ने के लिए एक बहुत ही अच्छा मंच विंटर कार्निवल के माध्यम से मिलता है.

अब विंटर कार्निवल के माध्यम से कुल्लवी लोक संस्कृति का खूब प्रचार-प्रसार हो रहा है. कुल्लू घाटी की लोक संस्कृति और परंपराएं सचमुच पर्यटकों में कौतुहल पैदा कर देती हैं. विभिन्न राज्यों के सांस्कृतिक दलों की भागीदारी से विंटर कार्निवल में सांस्कृतिक आदान-प्रदान को भी बढ़ावा मिलता है. परंपरा के अनुसार, विंटर कार्निवल का आगाज मनाली की मुख्य अधिष्ठात्री देवी मां हिडिंबा के मंदिर में पूजा-अर्चना के बाद कार्निवल परेड व सांस्कृतिक झांकियों के साथ होता है.

गुरुवार को मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने विंटर कार्निवल के शुभारंभ अवसर पर हिडिंबा मंदिर में पूजा-अर्चना के बाद सांस्कृतिक झांकियों को माल रोड की ओर रवाना किया. रंग-बिरंगे परिधानों में सजी स्थानीय महिलाएं और अन्य राज्यों के सांस्कृतिक दलों ने माल रोड पर मिनी भारत की एक अनुपम छटा बिखेर दी.

इस बार माल रोड पर 170 महिला मण्डलों की करीब 4000 महिलाएं मैगा नाटी का प्रदर्शन करके समारोह को और भी खास बनाएंगी. स्थानीय महिलाओं और देश के अन्य राज्यों की सांस्कृतिक झांकियां सभी के लिए आकर्षण का केन्द्र रहेंगी. इसके अलावा, रस्साकशी, बास्केटबाल, बैडमिंटन और अन्य खेलों में विंटर कार्निवल को शामिल किया गया है.

लगातार विस्तार के बावजूद पिछले कुछ वर्षों के दौरान किन्हीं कारणों से विंटर कार्निवल से विंटर स्पोर्टस गायब हो गया था, लेकिन अब प्रदेश सरकार ने इस साल से कार्निवल में विंटर स्पोर्टस को फिर से शामिल करने का निर्णय लिया है. इसके लिए पर्याप्त धनराशि का प्रावधान किया गया है. कार्निवल में राष्ट्रीय स्तर की स्कीइंग प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है.

इस प्रकार मनाली का ये पांच दिवसीय राष्ट्र स्तरीय विंटर कार्निवल देश-विदेश के पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बन रहा है. नव वर्ष के आगमन के बाद मनाया जाने वाला ये महोत्सव मनाली के पर्यटन उद्योग को नए आयाम दे सकता है. इस बार दो से छह जनवरी तक मनाया जाने वाला मनाली का राष्ट्र स्तरीय शरदोत्सव नए स्वरूप में नजर आएगा. कार्निवल में पंजाब, गुजरात, उड़ीसा समेत अन्य राज्यों से कलाकार भाग लेने के लिए पहुंचे हैं.

Intro:पर्यटन और लोक संस्कृति का अनूठा संगम है विंटर कार्निवाल
देश के विभिन्न राज्यो की संस्कृति के होते है दर्शनBody:



विश्व प्रसिद्ध पर्यटन नगरी मनाली का राष्ट्र स्तरीय विंटर कार्निवाल पर्यटन और लोक संस्कृति का एक अनूठा संगम है। कुल्लू-मनाली अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए देश-विदेश में मशहूर है और विश्व पर्यटन मानचित्र में इस खूबसूरत घाटी ने अपनी एक अलग पहचान बनाई है। नैसर्गिक सौंदर्य से ओत-प्रोत मनाली की वादियां सहसा ही पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं। नगरी के चारों ओर ऊंची-ऊंची पर्वत मालाएं जो वर्ष में अधिकांश समय तक बर्फ रूपी सफेद चादर ओढे़ रहती हैं निजकेे अनुपम रोमांच का लुत्फ उठाने केे लिए हर कोई लालायित रहता है।         
हिमाच्छादित गगनचुंबी चोटियां, देवदार के हरे-भरे जंगल, कल-कल बहती ब्यास नदी और दूर-दूर तक फैली सुंदर घाटी अनायास ही देश-विदेश के पर्यटकों को अपनी ओर खींच लेती है। मैदानों की तपती गर्मी से निजात पाने और ठंडी वादियों में कुछ सुकून भरे पल बिताने के लिए प्रतिवर्ष लाखांे पर्यटक मनाली का रुख करते हैं। यही नहीं, सर्दियों में भी चांदी सी चमकती बर्फ में अठखेलियां करने के लिए सैलानी मनाली के आस-पास बड़ी संख्या में उमड़ते हैं। क्रिसमस और नये साल की पूर्व संध्या पर एकाएक मनाली पर्यटकों से पैक हो जाती है।
इसी दौरान नए वर्ष के आगमन के बाद विंटर कार्निवल का आयोजन देश-विदेश के पर्यटकों, स्थानीय व देश के विभिन्न राज्यों के लोक कलाकारों के लिए आकर्षण का केंद्र बन जाता है। इस महोत्सव के माध्यम से कुल्लू-मनाली में आॅफ सीजन के दौरान भी बड़ी तादाद में पर्यटक उमड़ने लगे हैं।
मनाली में इस महोत्सव के इतिहास की चर्चा करें तो, 1970 के दशक में मनाली की कुछ संस्थाओं और विंटर स्पोट्र्स पे्रमियों ने विंटर कार्निवल की परिकल्पना करके इसके आयोजन की शुरुआत की थी। इसमें अटल बिहारी वाजपेयी पर्वतारोहण एवं संबंधित खेल संस्थान के तत्कालीन निदेशक श्री हरनाम सिंह की महत्वपूर्ण भूमिका थी। उस समय इसका मुख्य उद्देश्य विंटर स्पोट्र्स को बढ़ावा देना था। कालांतर में कई उतार-चढ़ाव के बावजूद किसी न किसी रूप में इसके आयोजन की परंपरा बनी रही, जिसके लिए मनालीवासी और इसके आयोजन से जुड़ी संस्थाएं तथा इनके पदाधिकारी बधाई के पात्र हैं। सीमित साधनों और आर्थिक तंगी के बावजूद उन्होंने विंटर कार्निवल को जिंदा रखा।
पिछले तीन दशकों के दौरान मनाली में पर्यटन उद्योग के अदभुत विस्तार के साथ ही विंटर कार्निवल के स्वरूप में भी व्यापक विस्तार हुआ है। अब इसमें पर्यटन और लोक संस्कृति के पहलु भी जुड़ चुके हैं और अब यह एक बहुत बड़े सांस्कृतिक आयोजन के रूप में भी जाना जाता है।
उत्सव को विस्तार देने के लिए वर्ष 1999 में तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने इसका सरकारीकरण किया और इसे राज्य स्तर का दर्जा दिया। इसके बाद विंटर कार्निवल निरंतर आगे बढ़ता गया और वर्ष 2011 में मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने ही इसे राष्ट्रीय स्तर का दर्जा प्रदान किया।
कुल्लू जिला की बहुत ही समृद्ध लोक संस्कृति से संबंधित गतिविधियों को शामिल करके आयोजन समिति ने विंटर कार्निवल को व्यापक सांस्कृतिक स्वरूप प्रदान किया है। विंटर कार्निवल के शुभारंभ अवसर पर ढुंगरी के हिडिंबा मंदिर से निकलने वाली स्थानीय महिलाओं और देश के विभिन्न राज्यों के सांस्कृतिक दलों की झांकियों के माध्यम से मनाली के माल रोड पर मिनी भारत जैसा नजारा दिखता है।
इस उत्सव में विंटर क्वीन और ‘वाॅयस आफ कार्निवल’ जैसी स्पर्धाएं हिमाचली प्रतिभाओं को बहुत ही अच्छा मंच प्रदान करती हैं। इन प्रतियोगिताओं में भाग लेने वाली युवतियों और प्रतिभाशाली गायकों को आगे बढ़ने के लिए एक बहुत ही अच्छा मंच विंटर कार्निवल के माध्यम से मिलता है।
कुल्लू-मनाली को कुदरत ने जितनी खूबसूरती बख्शी है, उतनी ही समृद्ध और अदभुत है यहां की लोक संस्कृति। अब विंटर कार्निवल के माध्यम से कुल्लवी लोक संस्कृति का खूब प्रचार-प्रसार हो रहा है। कुल्लू घाटी की लोक संस्कृति और परंपराएं सचमुच पर्यटकों में कौतुहल पैदा कर देती हैं। विभिन्न राज्यों के सांस्कृतिक दलों की भागीदारी से विंटर कार्निवल में सांस्कृतिक आदान-प्रदान को भी बढ़ावा मिलता है।
स्थापित परंपरा के अनुसार विंटर कार्निवल का आगाज मनाली क्षेत्र की मुख्य अधिष्ठात्री देवी मां हिडिंबा के मंदिर में पूजा-अर्चना के बाद कार्निवल परेड एवं सांस्कृतिक झांकियों के साथ होता है।
इस वर्ष भी 2 जनवरी को मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने विंटर कार्निवल के शुभारंभ अवसर पर हिडिंबा मंदिर में पूजा-अर्चना के बाद कार्निवल परेड यानि सांस्कृतिक झांकियों को माल रोड की ओर रवाना किया। रंग-बिरंगी परिधानों में सजी स्थानीय महिलाएं और अन्य राज्यों के सांस्कृतिक दलों ने माल रोड पर मिनी भारत की एक अनुपम छटा बिखेर दी। इस बार माल रोड पर 170 महिला मण्डलों की लगभग 4000 महिलाएं मैगा नाटी का प्रदर्शन करके समारोह को और भी खास बनाएंगी। स्थानीय महिलाओं और देश के अन्य राज्यों की सांस्कृतिक झांकियां सभी के लिए आकर्षण का केन्द्र रहेंगी। इसके अलावा, रस्सकशी, बास्केटबाल, बैडमिंटन और अन्य खेलों को भी इस दफा विंटर कार्निवल में शामिल किया गया है।
लगातार विस्तार के बावजूद पिछले कुछ वर्षों के दौरान किन्हीं कारणों से विंटर कार्निवल से विंटर स्पोट्र्स गायब हो गईं थीं। अब प्रदेश सरकार ने इस वर्ष से विंटर कार्निवल में विंटर स्पोट्र्स से संबंधित गतिविधियों और स्पर्धाओं को पुनः शामिल करने का निर्णय लिया है। इसके लिए पर्याप्त धनराशि का प्रावधान भी किया गया है। कार्निवाल की कड़ी में ही राष्ट्रीय स्तर की स्कीईग प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है।
इस प्रकार मनाली का यह पांच दिवसीय राष्ट्र स्तरीय विंटर कार्निवल देश-विदेश के पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बन रहा है। नववर्ष के आगमन के बाद मनाया जाने वाला यह महोत्सव मनाली के पर्यटन उद्योग को नए आयाम दे सकता है।
इस बार विंटर कार्निवल में विंटर स्पोट्र्स और अन्य गतिविधियांे का समावेश करके वन, परिवहन, युवा सेवाएं तथा खेल मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने इस उत्सव को नए मुकाम तक ले जाने का सराहनीय प्रयास किया जा है। उन्हांेने विशेष रूप से विंटर स्पोट्र्स प्रतियोगिता के लिए खेल विभाग के माध्यम से अच्छी धनराशि का प्रावधान करवा कर इन खेलों को प्रोत्साहित करने की दिशा में सराहनीय पहल की है।
इस बार 2 से 6 जनवरी तक मनाया जाने वाला मनाली का राष्ट्र स्तरीय शरदोत्सव नए स्वरूप में नजर आएगा। इसमें सांस्कृतिक, पर्यटन और विंटर स्पोट्र्स से संबंधित गतिविधियों के अलावा आम लोगों व पर्यटकों को स्वच्छता, पर्यावरण संरक्षण तथा मोटर वाहन अधिनियम के प्रति जागरुक करने पर भी विशेष बल दिया जाएगा। प्रत्येक दिन को एक थीम दिया जाएगा जो लोगों को नशे से दूर रहने, स्वच्छता बनाए रखने, बेटी बचाने तथा पर्यावरण सरंक्षण जैसे महत्वपूर्ण विषयों के बारे में जागरूकता उत्पन्न करेगा। इस बार कार्निवाल के दौरान पांच हजार पौधे लगाने की भी तैयारी वन विभाग ने की है।
शरदोत्सव के दौरान स्वच्छता पर विशेष फोकस किया जाएगा तथा उत्सव को पूरी तरह प्लास्टिक मुक्त बनाने पर जोर दिया जाएगा।
Conclusion:


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पंजाब से विंटर कार्निवाल में भाग लेने आए दिलप्रीत ने बताया कि वे कार्निवाल के दौरान पंजाब में मनाये जाने वाले जागो कार्यक्रम की प्रस्तुति पेश करेंगे। वही, पंजाब के नृत्य का भी प्रदर्शन किया जाएगा।
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गुजरात से आए कलाकार राकेश कुमार ने बताया कि वे विंटर कार्निवाल में गरबा नृत्य की प्रस्तुति देंगे। वे गुजरात के खान पान व वहां की संस्कृति को भी यहां दर्शाएंगे और यहां की संस्कृति को भी वे गुजरात मे लोगो को जानकारी देंगे।
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उड़ीसा से आए कलाकारों का कहना है कि वे देश के विभिन्न राज्यो में उड़ीसा के नृत्य व वहां की संस्कृति की जानकारी दे रहे है और 5 दिन मनाली में भी लोगो को उड़ीसा के लोकनृत्य से अवगत करवाया जाएगा।
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