कुल्लू: पार्वती जल विद्युत परियोजना के तृतीय चरण में परियोजना प्रबंधन की खामी सामने आई है. परियोजना की सियुंड से लारजी तक की पहाड़ियों के भीतर बनी आठ किमी लंबी हेडरेस टनल में बिहाली गांव के पास रिसाव हो रहा है.
बिहाली गांव के स्थानीय लोगों का कहना है कि परियोजना प्रबंधन की लापरवाही के चलते कई गांव खतरे की जद में हैं. उन्होंने कहा कि पहाड़ी से पानी के साथ पत्थर भी गिर रहे हैं. ऐसे में टनल से हो रहे रिसाव से खतरे का अंदेशा बना हुआ है. परियोजना का संचालन केंद्र सरकार की इकाई एनएचपीसी कर रही है. टनल से बुधवार को भारी मात्रा में पानी रिसाव होने से लोगों में दहशत का माहौल है.
लारजी-न्यूली सड़क पर बिहाली में पानी का झरना बह रहा है. इस भूमिगत टनल में चार वर्षों से बार-बार पानी का रिसाव हो रहा है, लेकिन बुधवार को रिसाव की मात्रा बढ़ने से निर्माण कार्य पर फिर सवाल खड़े हो रहे हैं. टनल के भीतर सैंज नदी के पानी का बहाव सियुंड से लारजी तक डायवर्ट किया गया है.
इस वर्ष परियोजना प्रबंधन ने बिजली उत्पादन बंद कर टनल की मरम्मत करवाई थी. तीन माह उत्पादन बंद कर टनल की मरम्मत के लिए करीब पांच करोड़ रुपये खर्च किए गए थे. टनल की मरम्मत के बाद भी रिसाव नहीं रुक पाया था. सियुंड से लारजी तक की पहाड़ियों के भीतर बिहाली गांव के पास रिसाव होने से कंपनी को अब तक करोड़ों रुपये का नुकसान हो चुका है. उत्पादन बंद कर कुल मिलाकर तीन बार टनल की मरम्मत करवाई जा चुकी है.
परियोजना के महाप्रबंधक सीबी सिंह ने कहा कि पिछली बार पानी के रिसाव की जांच करवाई गई थी. भू वैज्ञानिकों से मूल कारणों का पता लगाने के बाद बिजली उत्पादन बंद कर टनल की मरम्मत करवाई थी, लेकिन रिसाव नहीं रुक पाया था.