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पर्यटकों को बेचा जा रहा नकली शिलाजीत-केसर, लाहौल में बड़ी खेप जब्त, ऐसे करें असली-नकली की पहचान - fake Shilajit Saffron seized in Lahaul

हिमाचल में नकली को असली बताकर लोगों की सेहत के साथ बड़ा खिलवाड़ किया जा रहा है. दरअसल, कई पर्यटक स्थलों पर नकली शिलाजीत-केसर को असली बताकर बेचा जा रहा है. ऐसा ही एक मामला लाहौल से भी सामने आया है. जहां ग्रामीणों ने शिलाजीत-केसर की बड़ी खेप जब्त की है.

fake Shilajit Saffron seized in Lahaul
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Published : Apr 1, 2023, 4:02 PM IST

Updated : Apr 1, 2023, 5:01 PM IST

कुल्लू: हिमाचल प्रदेश में हर साल लाखों की संख्या में सैलानी यहां की प्राकृतिक सुंदरता का नजारा लेने के लिए आते हैं. प्राकृतिक सुंदरता के साथ-साथ यहां के जंगल बेशकीमती जड़ी बूटियों से भी भरे हुए हैं. ऐसे में पर्यटक हिमालय की जड़ी बूटियों की ओर खूब आकर्षित होते हैं. लेकिन कई बार सही ज्ञान न होने के चलते पर्यटक ठगी का भी शिकार हो जाते हैं. ऐसे में हिमाचल प्रदेश के विभिन्न पर्यटन स्थलों पर केसर और शिलाजीत बेचने वाले लोगों की भीड़ देखने को मिल रही है. वहीं, पर्यटकों की अज्ञानता का फायदा लेकर कुछ लोग नकली शिलाजीत व केसर भी उन्हें बेच देते हैं. जिससे पर्यटक तो ठगी का शिकार होता ही हैं, बल्कि देव भूमि की शांत छवि को भी इससे ठेस पहुंचती है.

ऐसा ही एक मामला लाहौल घाटी से भी सामने आया है, जहां ग्रामीणों ने नकली केसर और शिलाजीत की बड़ी खेप जब्त की है. लाहौल घाटी के ग्रामीण टशी ने बताया कि पर्यटन स्थल सिस्सू में प्रवासी लोग नकली दवा, केसर, शिलाजीत पर्यटकों को बेच रहे हैं. लाहौल के लोगों का कहना है कि मनाली में नकली शिलाजीत व केसर बचने का अवैध कारोबार दशकों से चल रहा है, लेकिन अटल-टनल बनने के बाद पर्यटन स्थल सिस्सू में भी यह कारोबार शुरू हो गया है. इन कारोबारियों को लोगों ने कई बार आगाह किया, लेकिन वे अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं.

पर्यटकों को खूब बेचा जा रहा नकली शिलाजीत-केसर.
पर्यटकों को खूब बेचा जा रहा नकली शिलाजीत-केसर.

ग्रामीण ने कहा कि ये प्रवासी लोग अपने को मनाली का स्थायी निवासी बताकर हिमालय की जड़ी-बूटियों के नाम से नकली दवाई बेचते हैं. वहीं, बीते दिनों ग्रामीणों ने इनकी नकली दवाइयों को आग के हवाले कर दिया और उन्हें चेतावनी देकर छोड़ दिया. ग्रामीणों ने बताया कि स्थानीय युवाओं ने पर्यटकों को ठगे जाने से बचाने की मुहिम शुरू की है. अब स्थानीय युवा ऐसे लोगों पर नजर रखते हैं और अगर कोई नकली केसर, शिलाजीत व दवाइयां बेचता पाया जाता है तो उस पर कार्रवाई की जाती है. उन्होंने बताया कि इन प्रवासी लोगों ने मनाली के आधार कार्ड भी बनाए हैं. आधार कार्ड दिखा कर ये लोग खुद को मनाली का बताते हैं और पर्यटकों को हिमालय को केसर, शिलाजीत व जड़ी बूटियों से बनी लोकल दवाएं बता कर ठग रहे हैं. वहीं, ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग उठाई है कि ऐसे लोगों पर नकेल कसी जाए, ताकि हिमाचल में नाम खराब न हो.

लाहौल में ग्रामीणों ने पकड़ी बड़ी खेप.
लाहौल में ग्रामीणों ने पकड़ी बड़ी खेप.

ऐसे करें नकली-असली की पहचान: आयुर्वेदा विभाग से सेवानिवृत्त अधिकारी डॉ. अशोक शर्मा का कहना है कि पर्यटक व स्थानीय लोग शिलाजीत की अपने स्तर पर भी पहचान कर सकते हैं. अगर असली शिलाजीत को जलते हुए कोयले के ऊपर रखे तो इससे धुंआ नहीं उठेगा और यह बहना शुरू हो जाएगा. वहीं, उसे जीभ पर रखे तो इसका स्वाद काफी कड़वा होता है तो यह समझ लें कि यह शिलाजीत असली है. इसके अलावा शिलाजीत को अगर पानी में डाल दें तो वह तार की तरह फैलते हुए पानी मे घुल जाता है. इस तरह से असली शिलाजीत की पहचान की जा सकती है.

मक्की के रेशे से बनाया जाता है नकली केसर.
मक्की के रेशे से बनाया जाता है नकली केसर.

वहीं, नकली शिलाजीत पानी में पूरी तरह से नहीं घुल पाता है. अगर उसे जलाएं तो वह तुरंत जल जाता है और जलने के बाद उसकी काली राख बन जाती है. वहीं, शुद्ध केसर की पहचान के लिए उसे पानी में डालें. अगर पानी में डालते ही वह रंग छोड़ने लगे तो समझ लीजिए केसर नकली है. वहीं, मुंह में रखने पर अगर उसका स्वाद मीठा लगता है तो भी यह नकली है. केसर के रेशे गर्म पानी या दूध में डालने पर अगर घुलते नहीं हैं तो इसका मतलब वह नकली है.

गुड को तेज आंच पर गर्म करके बनाया जाता है नकली शिलाजीत.
गुड को तेज आंच पर गर्म करके बनाया जाता है नकली शिलाजीत.

ऐसे बनता है नकली केसर और शिलाजीत: नकली केसर बनाने के लिए लोग मक्की के रेशे को इसका विकल्प बनाते हैं. मक्की के रेशे निकालकर उनमें केमिकल डाल दिए जाते हैं, जिससे वह पूरी तरह से केसर लगते हैं. असली केसर करीब 2 लाख किलो का होता है. जबकि नकली केसर को बाजार में 20 हजार से 40 हजार रुपये प्रति किलो तक बेचा जाता है. मक्की के रेशो पर रंग चढ़ा कर उस पर चीनी की परत चढ़ाई जाती है, ताकि वह असली केसर की तरह ही दिखे.

वहीं, नकली शिलाजीत तैयार करने के लिए भी लोग कई तरह के केमिकल का इस्तेमाल करते हैं. इसके लिए अधिकतर लोग गुड को तेज आंच पर गर्म करते हैं और उसमें कुछ केमिकल डाल देते हैं. तेज आंच पर गर्म होने के कारण गुड़ भी शिलाजीत की तरह काला हो जाता है. उसी को ही लोग शिलाजीत के नाम पर पर्यटकों को बेच देते हैं. वहीं, एसपी लाहौल स्पीति मानव वर्मा ने बताया कि सिस्सू में बीते दिनों ग्रामीणों के द्वारा नकली शिलाजीत और केसर जब्त किया गया था. लेकिन, इस बारे में कोई शिकायत दर्ज नहीं करवाई गई है. पुलिस भी अपने स्तर पर इन इलाकों की गश्त करती है और अगर कोई इस तरह से पर्यटकों के साथ ठगी करता पाया जाता है तो उस पर कानूनी कार्रवाई भी की जाती है.

ये भी पढ़ें: बारिश-ओलावृष्टि से खतरे में स्टोन फ्रूट, समय से पहले खिले थे फूल, अब मौसम की मार से घट सकता है उत्पादन

कुल्लू: हिमाचल प्रदेश में हर साल लाखों की संख्या में सैलानी यहां की प्राकृतिक सुंदरता का नजारा लेने के लिए आते हैं. प्राकृतिक सुंदरता के साथ-साथ यहां के जंगल बेशकीमती जड़ी बूटियों से भी भरे हुए हैं. ऐसे में पर्यटक हिमालय की जड़ी बूटियों की ओर खूब आकर्षित होते हैं. लेकिन कई बार सही ज्ञान न होने के चलते पर्यटक ठगी का भी शिकार हो जाते हैं. ऐसे में हिमाचल प्रदेश के विभिन्न पर्यटन स्थलों पर केसर और शिलाजीत बेचने वाले लोगों की भीड़ देखने को मिल रही है. वहीं, पर्यटकों की अज्ञानता का फायदा लेकर कुछ लोग नकली शिलाजीत व केसर भी उन्हें बेच देते हैं. जिससे पर्यटक तो ठगी का शिकार होता ही हैं, बल्कि देव भूमि की शांत छवि को भी इससे ठेस पहुंचती है.

ऐसा ही एक मामला लाहौल घाटी से भी सामने आया है, जहां ग्रामीणों ने नकली केसर और शिलाजीत की बड़ी खेप जब्त की है. लाहौल घाटी के ग्रामीण टशी ने बताया कि पर्यटन स्थल सिस्सू में प्रवासी लोग नकली दवा, केसर, शिलाजीत पर्यटकों को बेच रहे हैं. लाहौल के लोगों का कहना है कि मनाली में नकली शिलाजीत व केसर बचने का अवैध कारोबार दशकों से चल रहा है, लेकिन अटल-टनल बनने के बाद पर्यटन स्थल सिस्सू में भी यह कारोबार शुरू हो गया है. इन कारोबारियों को लोगों ने कई बार आगाह किया, लेकिन वे अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं.

पर्यटकों को खूब बेचा जा रहा नकली शिलाजीत-केसर.
पर्यटकों को खूब बेचा जा रहा नकली शिलाजीत-केसर.

ग्रामीण ने कहा कि ये प्रवासी लोग अपने को मनाली का स्थायी निवासी बताकर हिमालय की जड़ी-बूटियों के नाम से नकली दवाई बेचते हैं. वहीं, बीते दिनों ग्रामीणों ने इनकी नकली दवाइयों को आग के हवाले कर दिया और उन्हें चेतावनी देकर छोड़ दिया. ग्रामीणों ने बताया कि स्थानीय युवाओं ने पर्यटकों को ठगे जाने से बचाने की मुहिम शुरू की है. अब स्थानीय युवा ऐसे लोगों पर नजर रखते हैं और अगर कोई नकली केसर, शिलाजीत व दवाइयां बेचता पाया जाता है तो उस पर कार्रवाई की जाती है. उन्होंने बताया कि इन प्रवासी लोगों ने मनाली के आधार कार्ड भी बनाए हैं. आधार कार्ड दिखा कर ये लोग खुद को मनाली का बताते हैं और पर्यटकों को हिमालय को केसर, शिलाजीत व जड़ी बूटियों से बनी लोकल दवाएं बता कर ठग रहे हैं. वहीं, ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग उठाई है कि ऐसे लोगों पर नकेल कसी जाए, ताकि हिमाचल में नाम खराब न हो.

लाहौल में ग्रामीणों ने पकड़ी बड़ी खेप.
लाहौल में ग्रामीणों ने पकड़ी बड़ी खेप.

ऐसे करें नकली-असली की पहचान: आयुर्वेदा विभाग से सेवानिवृत्त अधिकारी डॉ. अशोक शर्मा का कहना है कि पर्यटक व स्थानीय लोग शिलाजीत की अपने स्तर पर भी पहचान कर सकते हैं. अगर असली शिलाजीत को जलते हुए कोयले के ऊपर रखे तो इससे धुंआ नहीं उठेगा और यह बहना शुरू हो जाएगा. वहीं, उसे जीभ पर रखे तो इसका स्वाद काफी कड़वा होता है तो यह समझ लें कि यह शिलाजीत असली है. इसके अलावा शिलाजीत को अगर पानी में डाल दें तो वह तार की तरह फैलते हुए पानी मे घुल जाता है. इस तरह से असली शिलाजीत की पहचान की जा सकती है.

मक्की के रेशे से बनाया जाता है नकली केसर.
मक्की के रेशे से बनाया जाता है नकली केसर.

वहीं, नकली शिलाजीत पानी में पूरी तरह से नहीं घुल पाता है. अगर उसे जलाएं तो वह तुरंत जल जाता है और जलने के बाद उसकी काली राख बन जाती है. वहीं, शुद्ध केसर की पहचान के लिए उसे पानी में डालें. अगर पानी में डालते ही वह रंग छोड़ने लगे तो समझ लीजिए केसर नकली है. वहीं, मुंह में रखने पर अगर उसका स्वाद मीठा लगता है तो भी यह नकली है. केसर के रेशे गर्म पानी या दूध में डालने पर अगर घुलते नहीं हैं तो इसका मतलब वह नकली है.

गुड को तेज आंच पर गर्म करके बनाया जाता है नकली शिलाजीत.
गुड को तेज आंच पर गर्म करके बनाया जाता है नकली शिलाजीत.

ऐसे बनता है नकली केसर और शिलाजीत: नकली केसर बनाने के लिए लोग मक्की के रेशे को इसका विकल्प बनाते हैं. मक्की के रेशे निकालकर उनमें केमिकल डाल दिए जाते हैं, जिससे वह पूरी तरह से केसर लगते हैं. असली केसर करीब 2 लाख किलो का होता है. जबकि नकली केसर को बाजार में 20 हजार से 40 हजार रुपये प्रति किलो तक बेचा जाता है. मक्की के रेशो पर रंग चढ़ा कर उस पर चीनी की परत चढ़ाई जाती है, ताकि वह असली केसर की तरह ही दिखे.

वहीं, नकली शिलाजीत तैयार करने के लिए भी लोग कई तरह के केमिकल का इस्तेमाल करते हैं. इसके लिए अधिकतर लोग गुड को तेज आंच पर गर्म करते हैं और उसमें कुछ केमिकल डाल देते हैं. तेज आंच पर गर्म होने के कारण गुड़ भी शिलाजीत की तरह काला हो जाता है. उसी को ही लोग शिलाजीत के नाम पर पर्यटकों को बेच देते हैं. वहीं, एसपी लाहौल स्पीति मानव वर्मा ने बताया कि सिस्सू में बीते दिनों ग्रामीणों के द्वारा नकली शिलाजीत और केसर जब्त किया गया था. लेकिन, इस बारे में कोई शिकायत दर्ज नहीं करवाई गई है. पुलिस भी अपने स्तर पर इन इलाकों की गश्त करती है और अगर कोई इस तरह से पर्यटकों के साथ ठगी करता पाया जाता है तो उस पर कानूनी कार्रवाई भी की जाती है.

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Last Updated : Apr 1, 2023, 5:01 PM IST
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