कुल्लू: हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव मंगलवार को धूमधाम के साथ शुरू हो गया है. दरअसल, जिले के विभिन्न इलाकों से देवी देवता भी ढालपुर मैदान पहुंच चुके हैं. देवी देवताओं के द्वारा रघुनाथपुर में जाकर भगवान रघुनाथ के मंदिर में शीश नवाजा गया और भक्तों को भी अपना आशीर्वाद दिया गया. वहीं, कुल्लू के रघुनाथपुर में सुबह से ही देवी देवताओं का आना जारी रहा और देव शक्ति से सभी देवी देवता भगवान रघुनाथ के दरबार में शीश झुकाते हुए नजर आए.
बता दें कि रघुनाथ मंदिर के बाद देवी देवता राजमहल पर भी गए. जहां पर राज परिवार के द्वारा देवी देवताओं की पूजा अर्चना की गई. अब ढालपुर का मैदान सैकड़ों देवी देवता के साथ आए हरियानो से अब देवलोक में तब्दील हो गया है. वहीं, सोने चांदी के आभूषणों से सजे हुए देव रथों को देखने के लिए भी बाहरी राज्यों के अलावा विदेशी भी ढालपुर पहुंचे हैं. भगवान रघुनाथ के मंदिर में शीश नवाजने के बाद पुरोहितों के द्वारा देवताओं को पगड़ी भी दी गई और भगवान रघुनाथ के रजिस्टर में देवी देवताओं की एंट्री भी दर्ज की गई. इसके अलावा ढालपुर से रघुनाथपुर तक जगह-जगह देवी देवताओं का भी भव्य स्वागत किया गया.
जिलेभर से देवी देवताओं के कुल्लू स्थित अपने अस्थायी स्थलों में विराजमान होने से जहां अठारह करडू की सौह (ढालपुर मैदान) सहित पूरी कुल्लू घाटी देवमयी हो गई है. वहीं, देवी देवताओं के दशहरा में शिरकत करने के बाद जिला के देवालय सूने पड़ गए हैं. अब अगले दो हफ्ते तक जिला के ग्रामीण इलाकों के देवालय में किसी तरह के देव कारज नहीं होगे. बता दें कि सोने-चांदी के सजे देवरथों से अठारह करडू की सौह ढालपुर देवलोक में तब्दील हो गई है.
कुल्लू के इतिहासकार डॉ. सूरत ठाकुर ने बताया कि दशहरा उत्सव में देव संस्कृति और देव रथ पर शोध करने के लिए हर साल देश-विदेश के दर्जनों शोधार्थी भी कुल्लू पहुंचते हैं और भगवान रघुनाथ की भव्य शोभा यात्रा से लेकर देवी देवताओं के इतिहास पर भी वे शोध करते हैं. ऐसे में जिला कुल्लू में सैकड़ों देवी देवताओं की उपस्थिति पूरे ढालपुर मैदान को देवलोक में तब्दील करती है और सुबह-शाम वाद्य यंत्रों की धुन पर देवी देवताओं की विशेष पूजा अर्चना भी की जाती है. शोधार्थी भी देवी देवताओं के संस्कृति पर शोध करने के लिए इस साल भी यहां पर पहुंचे हैं. वहीं, भगवान रघुनाथ के छड़ी बरदार महेश्वर सिंह ने बताया कि देवी देवताओं के आगमन के साथ अब अंतरराष्ट्रीय दशहरा शुरू हो गया है और भगवान रघुनाथ के सम्मान में यहां सभी देव परंपराओं का पालन किया जा रहा है.