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Kullu Dussehra Festival 2023: देवी देवताओं के आगमन से शुरू हुआ अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव, भगवान रघुनाथ के दरबार पहुंचे सैकड़ों देवी देवता - Kullu International Dussehra Festival

हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में विश्व प्रसिद्ध दशहरा उत्सव में शुरू हो चुका है. बता दें कि अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव के लिए जिलेभर से सैंकड़ों देवी-देवता ढालपुर में अपने अस्थायी शिविर में पहुंच गए हैं. देवी-देवताओं के आगमन से भगवान रघुनाथ की नगरी ढालपुर मैदान सहित पूरी कुल्लू घाटी देवमयी हो गई है. पढ़ें पूरी खबर.. (Kullu Dussehra Festival 2023 ) (Kullu International Dussehra Festival)

INTERNATIONAL KULLU DUSSEHRA FESTIVAL 2023
देवी देवताओं के आगमन से शुरू हुआ अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Oct 24, 2023, 3:59 PM IST

Updated : Oct 24, 2023, 9:34 PM IST

अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव

कुल्लू: हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव मंगलवार को धूमधाम के साथ शुरू हो गया है. दरअसल, जिले के विभिन्न इलाकों से देवी देवता भी ढालपुर मैदान पहुंच चुके हैं. देवी देवताओं के द्वारा रघुनाथपुर में जाकर भगवान रघुनाथ के मंदिर में शीश नवाजा गया और भक्तों को भी अपना आशीर्वाद दिया गया. वहीं, कुल्लू के रघुनाथपुर में सुबह से ही देवी देवताओं का आना जारी रहा और देव शक्ति से सभी देवी देवता भगवान रघुनाथ के दरबार में शीश झुकाते हुए नजर आए.

बता दें कि रघुनाथ मंदिर के बाद देवी देवता राजमहल पर भी गए. जहां पर राज परिवार के द्वारा देवी देवताओं की पूजा अर्चना की गई. अब ढालपुर का मैदान सैकड़ों देवी देवता के साथ आए हरियानो से अब देवलोक में तब्दील हो गया है. वहीं, सोने चांदी के आभूषणों से सजे हुए देव रथों को देखने के लिए भी बाहरी राज्यों के अलावा विदेशी भी ढालपुर पहुंचे हैं. भगवान रघुनाथ के मंदिर में शीश नवाजने के बाद पुरोहितों के द्वारा देवताओं को पगड़ी भी दी गई और भगवान रघुनाथ के रजिस्टर में देवी देवताओं की एंट्री भी दर्ज की गई. इसके अलावा ढालपुर से रघुनाथपुर तक जगह-जगह देवी देवताओं का भी भव्य स्वागत किया गया.

जिलेभर से देवी देवताओं के कुल्लू स्थित अपने अस्थायी स्थलों में विराजमान होने से जहां अठारह करडू की सौह (ढालपुर मैदान) सहित पूरी कुल्लू घाटी देवमयी हो गई है. वहीं, देवी देवताओं के दशहरा में शिरकत करने के बाद जिला के देवालय सूने पड़ गए हैं. अब अगले दो हफ्ते तक जिला के ग्रामीण इलाकों के देवालय में किसी तरह के देव कारज नहीं होगे. बता दें कि सोने-चांदी के सजे देवरथों से अठारह करडू की सौह ढालपुर देवलोक में तब्दील हो गई है.

कुल्लू के इतिहासकार डॉ. सूरत ठाकुर ने बताया कि दशहरा उत्सव में देव संस्कृति और देव रथ पर शोध करने के लिए हर साल देश-विदेश के दर्जनों शोधार्थी भी कुल्लू पहुंचते हैं और भगवान रघुनाथ की भव्य शोभा यात्रा से लेकर देवी देवताओं के इतिहास पर भी वे शोध करते हैं. ऐसे में जिला कुल्लू में सैकड़ों देवी देवताओं की उपस्थिति पूरे ढालपुर मैदान को देवलोक में तब्दील करती है और सुबह-शाम वाद्य यंत्रों की धुन पर देवी देवताओं की विशेष पूजा अर्चना भी की जाती है. शोधार्थी भी देवी देवताओं के संस्कृति पर शोध करने के लिए इस साल भी यहां पर पहुंचे हैं. वहीं, भगवान रघुनाथ के छड़ी बरदार महेश्वर सिंह ने बताया कि देवी देवताओं के आगमन के साथ अब अंतरराष्ट्रीय दशहरा शुरू हो गया है और भगवान रघुनाथ के सम्मान में यहां सभी देव परंपराओं का पालन किया जा रहा है.

ये भी पढ़ें:Kullu Dussehra Festival 2023: माता हिडिंबा के बिना नहीं की जा सकती कुल्लू दशहरे उत्सव की कल्पना, जानें क्या है इतिहास?

अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव

कुल्लू: हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव मंगलवार को धूमधाम के साथ शुरू हो गया है. दरअसल, जिले के विभिन्न इलाकों से देवी देवता भी ढालपुर मैदान पहुंच चुके हैं. देवी देवताओं के द्वारा रघुनाथपुर में जाकर भगवान रघुनाथ के मंदिर में शीश नवाजा गया और भक्तों को भी अपना आशीर्वाद दिया गया. वहीं, कुल्लू के रघुनाथपुर में सुबह से ही देवी देवताओं का आना जारी रहा और देव शक्ति से सभी देवी देवता भगवान रघुनाथ के दरबार में शीश झुकाते हुए नजर आए.

बता दें कि रघुनाथ मंदिर के बाद देवी देवता राजमहल पर भी गए. जहां पर राज परिवार के द्वारा देवी देवताओं की पूजा अर्चना की गई. अब ढालपुर का मैदान सैकड़ों देवी देवता के साथ आए हरियानो से अब देवलोक में तब्दील हो गया है. वहीं, सोने चांदी के आभूषणों से सजे हुए देव रथों को देखने के लिए भी बाहरी राज्यों के अलावा विदेशी भी ढालपुर पहुंचे हैं. भगवान रघुनाथ के मंदिर में शीश नवाजने के बाद पुरोहितों के द्वारा देवताओं को पगड़ी भी दी गई और भगवान रघुनाथ के रजिस्टर में देवी देवताओं की एंट्री भी दर्ज की गई. इसके अलावा ढालपुर से रघुनाथपुर तक जगह-जगह देवी देवताओं का भी भव्य स्वागत किया गया.

जिलेभर से देवी देवताओं के कुल्लू स्थित अपने अस्थायी स्थलों में विराजमान होने से जहां अठारह करडू की सौह (ढालपुर मैदान) सहित पूरी कुल्लू घाटी देवमयी हो गई है. वहीं, देवी देवताओं के दशहरा में शिरकत करने के बाद जिला के देवालय सूने पड़ गए हैं. अब अगले दो हफ्ते तक जिला के ग्रामीण इलाकों के देवालय में किसी तरह के देव कारज नहीं होगे. बता दें कि सोने-चांदी के सजे देवरथों से अठारह करडू की सौह ढालपुर देवलोक में तब्दील हो गई है.

कुल्लू के इतिहासकार डॉ. सूरत ठाकुर ने बताया कि दशहरा उत्सव में देव संस्कृति और देव रथ पर शोध करने के लिए हर साल देश-विदेश के दर्जनों शोधार्थी भी कुल्लू पहुंचते हैं और भगवान रघुनाथ की भव्य शोभा यात्रा से लेकर देवी देवताओं के इतिहास पर भी वे शोध करते हैं. ऐसे में जिला कुल्लू में सैकड़ों देवी देवताओं की उपस्थिति पूरे ढालपुर मैदान को देवलोक में तब्दील करती है और सुबह-शाम वाद्य यंत्रों की धुन पर देवी देवताओं की विशेष पूजा अर्चना भी की जाती है. शोधार्थी भी देवी देवताओं के संस्कृति पर शोध करने के लिए इस साल भी यहां पर पहुंचे हैं. वहीं, भगवान रघुनाथ के छड़ी बरदार महेश्वर सिंह ने बताया कि देवी देवताओं के आगमन के साथ अब अंतरराष्ट्रीय दशहरा शुरू हो गया है और भगवान रघुनाथ के सम्मान में यहां सभी देव परंपराओं का पालन किया जा रहा है.

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Last Updated : Oct 24, 2023, 9:34 PM IST
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