कुल्लू: हिमाचल प्रदेश में बरसात के बाद सेब सीजन में जहां इजाफा हुआ है. वहीं, जिला कुल्लू की विभिन्न सब्जी मंडियों में भी इन दिनों काफी तादाद में सेब आ रहा है. जिला कुल्लू की 9 सब्जी मंडियों से रोजाना 50 से ज्यादा सेब के ट्रक बाहरी राज्यों की ओर जा रहे हैं. कुल्लू में सेब सीजन के चलते अब तक 12 लाख 15 हजार 322 पेटियां अन्य राज्यों की मंडियों में भेजी जा चुकी हैं.
कुल्लू में सेब सीजन: जानकारी के अनुसार जिला कुल्लू में अब तक 75 हजार 851 मीट्रिक टन सेब का कारोबार हो चुका है. हालांकि जिला कुल्लू में अबकी बार सेब की पैदावार कम है, लेकिन मौसम साफ रहने के चलते अब बागवानों भी जल्दी से जल्दी सेब तोड़ रहे हैं. जिला कुल्लू में लोअर बेल्ट का सेब लगभग समाप्त हो चुका है और अब ऊंचाई वाले इलाकों में बागवान सेब के तुड़ान में जुट गए हैं.
कुल्लू की सब्जी मंडियों में सेब: जिला कुल्लू की 9 सब्जी मंडियों में से बंदरोल सब्जी मंडी में ही इस सीजन में 5 लाख 13 हजार 507 सेब की पेटियों का कारोबार हो चुका है. इसके अलावा आनी की खेगसु मंडी में 3 लाख 18 हजार 926 पेटियों का कारोबार हुआ है. बंजार सब्जी मंडी की बात करें तो यहां पर 16 हजार 965 सेब की पेटियों का कारोबार हुआ है. वहीं, कुल्लू में 168, भुंतर में 77 हजार 917, पतली कुहल में 2 लाख 57 हजार 465, चोरी बिहाल में 3401, शॉट में 16 हजार 140 और निरमंड में 10 हजार 833 सेब की पेटियों का कारोबार हुआ है.
सड़कें बहाल होने से बढ़ी सेब बिक्री: बंदरोल सब्जी मंडी में आए उत्तर प्रदेश के कारोबारी रफीक मोहम्मद, असलम शाद का कहना है कि कल्लू के सेब की सबसे अधिक मांग उत्तर प्रदेश, दिल्ली, गुजरात, चेन्नई में है. कुल्लू जिले से रोजाना 50 से ज्यादा सेब के ट्रक अन्य राज्यों की मंडी में भेजे जा रहे हैं. बीते माह सड़कों की हालत खराब के चलते बाहरी मंडियों में सेब नहीं पहुंच पाया था, लेकिन अब सड़कों की हालत बेहतर है और बाहरी राज्यों से भी व्यापारी यहां पर सेब की खरीद के लिए आ रहे हैं.
कच्चे फल न तोड़ें बागवान: वहीं, एपीएमसी कल्लू के अध्यक्ष राम सिंह का कहना है कि कुल्लू जिला में निचले इलाकों में सेब की फसल अब खत्म हो गई है. वहीं, ऊंचाई वाले इलाकों से अभी भी सेब की फसल आ रही है. बाहरी राज्यों में कल्लू के सेब के डिमांड अधिक है और कुल्लू का सेब लंबे समय तक भी टिकता है. उन्होंने कहा कि बागवानों से आग्रह है कि वह कच्चे फल को बिल्कुल ना तोड़े, क्योंकि इससे बागवानों को सेब के सही दाम नहीं मिल पा रहे हैं.