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अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा में पहली बार 331 देवी-देवताओं को निमंत्रण, महोत्सव से पहले प्रशासन और कारदार संघ में विवाद - अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव

अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा में इस वर्ष 331 देवी-देवताओं को निमंत्रण भेजा गया है. कारदार संघ के महासचिव का कहना है कि देवी-देवताओं को निमंत्रण प्रशासन ने भेजा है, तो उनको बिठाने की जगह की व्यवस्था भी प्रशासन को ही करनी चाहिए.

331 देवी-देवताओं को अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा में निमंत्रण
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Published : Sep 16, 2019, 12:59 PM IST

कुल्लू: जिला में अंतरराष्ट्रीय दशहरा के लिए पहली बार 331 देवी-देवताओं को निमंत्रण भेजा गया है. यहां दशहरा उत्सव 368 साल से मनाया जा रहा है और देवी-देवताओं को निमंत्रण देने का क्रम साठ के दशक में शुरू हुआ लेकिन इस बार 331 देवी-देवताओं को निमंत्रण भेजने का एक नया रिकॉर्ड कायम हुआ है. दशहरा उत्सव में अगर सभी देवी-देवता आते हैं तो भगवान रघुनाथ की अध्यक्षता में मनाए जाने वाले उत्सव में देवरथों को कहां बिठाया जाएगा.
ढालपुर में पिछले तीन-चार सालों से देवी-देवताओं की बढ़ती संख्या के कारण उन्हें बिठाने का मसला हल नहीं हो पाया है. ऐसे में दशहरा उत्सव समिति के लिए यह एक बड़ी समस्या है कि 331 देवी-देवताओं को वह कहां बिठाएंगे.

बता दें कि अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव के लिए समिति पहले 292 देवी-देवताओं को बुलाती थी, जिसके बाद इसकी संख्या बढ़ाकर 305 कर दी गई थी. ऐसे में देवी-देवताओं की संख्या बढ़ने लगी और उन्हें बिठाने के लिए जगह कम पड़ने लग गई थी. जिससे अधिक देवी-देवताओं को बुलाने पर इस वर्ष देव समाज भी दो धड़ों में बंट गया है. कारदार संघ के महासचिव नारायण चौहान का कहना है कि देवी-देवताओं को निमंत्रण प्रशासन देता है तो बिठाने की जगह भी प्रशासन को ही देनी चाहिए.

ये भी पढे़ं:काईस और भुंतर चोरी मामले में कांगड़ा से दो और चोर धरे, तीसरे आरोपी की तलाश में जुटी पुलिस

जिला देवी देवता कारदार संघ के पूर्व अध्यक्ष दोत राम ठाकुर ने कहा कि हर वर्ष दशहरा में देवी-देवताओं की संख्या बढ़ रही है और उनको बिठाने की जगह को लेकर तीन सालों से विवाद चल रहा है. उन्होंने कहा कि एक देवी देवताओं को रहने के लिए कम से कम तीन तंबुओं की जरूरत पड़ती है. जिसमें एक में देवरथ, दूसरे में बजंतरी और तीसरे में कारकून तथा देवलु शामिल रहते हैं.
उन्होंने यह भी कहा कि दशहरा उत्सव में अगर हाथी लाने हैं तो दरवाजे ऊंचे करने होंगे. हमारी प्रशासन से मांग है कि वह जल्द कारदारों की बैठक बुलाएं. दशहरा में देवताओं को बुलाना अच्छी बात है, लेकिन उनके ठहरने व रहने की व्यवस्था के लिए भी प्रशासन को सोचना होगा.

कुल्लू: जिला में अंतरराष्ट्रीय दशहरा के लिए पहली बार 331 देवी-देवताओं को निमंत्रण भेजा गया है. यहां दशहरा उत्सव 368 साल से मनाया जा रहा है और देवी-देवताओं को निमंत्रण देने का क्रम साठ के दशक में शुरू हुआ लेकिन इस बार 331 देवी-देवताओं को निमंत्रण भेजने का एक नया रिकॉर्ड कायम हुआ है. दशहरा उत्सव में अगर सभी देवी-देवता आते हैं तो भगवान रघुनाथ की अध्यक्षता में मनाए जाने वाले उत्सव में देवरथों को कहां बिठाया जाएगा.
ढालपुर में पिछले तीन-चार सालों से देवी-देवताओं की बढ़ती संख्या के कारण उन्हें बिठाने का मसला हल नहीं हो पाया है. ऐसे में दशहरा उत्सव समिति के लिए यह एक बड़ी समस्या है कि 331 देवी-देवताओं को वह कहां बिठाएंगे.

बता दें कि अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव के लिए समिति पहले 292 देवी-देवताओं को बुलाती थी, जिसके बाद इसकी संख्या बढ़ाकर 305 कर दी गई थी. ऐसे में देवी-देवताओं की संख्या बढ़ने लगी और उन्हें बिठाने के लिए जगह कम पड़ने लग गई थी. जिससे अधिक देवी-देवताओं को बुलाने पर इस वर्ष देव समाज भी दो धड़ों में बंट गया है. कारदार संघ के महासचिव नारायण चौहान का कहना है कि देवी-देवताओं को निमंत्रण प्रशासन देता है तो बिठाने की जगह भी प्रशासन को ही देनी चाहिए.

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जिला देवी देवता कारदार संघ के पूर्व अध्यक्ष दोत राम ठाकुर ने कहा कि हर वर्ष दशहरा में देवी-देवताओं की संख्या बढ़ रही है और उनको बिठाने की जगह को लेकर तीन सालों से विवाद चल रहा है. उन्होंने कहा कि एक देवी देवताओं को रहने के लिए कम से कम तीन तंबुओं की जरूरत पड़ती है. जिसमें एक में देवरथ, दूसरे में बजंतरी और तीसरे में कारकून तथा देवलु शामिल रहते हैं.
उन्होंने यह भी कहा कि दशहरा उत्सव में अगर हाथी लाने हैं तो दरवाजे ऊंचे करने होंगे. हमारी प्रशासन से मांग है कि वह जल्द कारदारों की बैठक बुलाएं. दशहरा में देवताओं को बुलाना अच्छी बात है, लेकिन उनके ठहरने व रहने की व्यवस्था के लिए भी प्रशासन को सोचना होगा.

Intro:अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा में पहली बार 331 देवी-देवताओं को निमंत्रणBody:


अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा के लिए पहली बार 331 देवी-देवताओं को निमंत्रण भेजा गया है। दशहरा उत्सव मनाते 368 साल हो गए हैं। देवी-देवताओं को निमंत्रण देने का क्रम साठ के दशक से शुरू हुआ है, लेकिन इस बार 331 देवी-देवताओं को निमंत्रण भेजने का यह एक रिकॉर्ड है। अगर सभी देवी-देवता दशहरा में आते हैं तो भगवान रघुनाथ की अध्यक्षता में मनाए जाने वाले उत्सव में देवरथों को कहा बिठाया जाएगा। ढालपुर में पहले ही तीन-चार साल से देवी-देवताओं की बढ़ती संख्या के कारण उन्हें बिठाने का मसला हल नहीं हो पाया है। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि 331 देवी-देवताओं को दशहरा उत्सव समिति कहां बिठाएगी। समिति पहले 292 देवी-देवताओं को बुलाती रही है। फिर इनकी संख्या बढ़ाकर 305 कर दी है। तब से देवी-देवताओं की संख्या बढ़ने लगी है। उन्हें बिठाने के लिए जगह कम पड़ने लगी है। इस साल अधिक देवी-देवताओं को बुलाने पर देव समाज भी दो धड़ों में बंट गया है। कारदार संघ के महासचिव नारायण चौहान ने कहा कि निमंत्रण प्रशासन देता है। बिठाने की जगह भी प्रशासन ही देगा। जिला देवी देवता कारदार संघ के पूर्व अध्यक्ष दोत राम ठाकुर ने कहा कि दशहरा में देवी-देवताओं की संख्या बढ़ रही है। पहले से जगह नहीं है और तीन सालों से देवताओं के बिठाने को लेकर विवाद चल रहा है। दशहरा में आने वाले एक देवी देवताओं को रहने के लिए कम से कम तीन तंबुओं की जरूरत पड़ती है। एक में देवरथ रहता है, दूसरे में बजंतरी और तीसरे में कारकून तथा देवलु शामिल होते हैं।
Conclusion:बॉक्स
हाथी लाना है तो दरवाजे ऊंचे करने होंगे। प्रशासन से मांग है कि वह जल्द कारदारों की बैठक बुलाएं। दशहरा में देवताओं को बुलाना अच्छी बात है। उनके ठहरने व रहने की व्यवस्था को लेकर प्रशासन को सोचना होगा।
महेश्वर सिंह, मुख्य छड़ीबरदार भगवान रघुनाथ
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