कुल्लू: जिला में अंतरराष्ट्रीय दशहरा के लिए पहली बार 331 देवी-देवताओं को निमंत्रण भेजा गया है. यहां दशहरा उत्सव 368 साल से मनाया जा रहा है और देवी-देवताओं को निमंत्रण देने का क्रम साठ के दशक में शुरू हुआ लेकिन इस बार 331 देवी-देवताओं को निमंत्रण भेजने का एक नया रिकॉर्ड कायम हुआ है. दशहरा उत्सव में अगर सभी देवी-देवता आते हैं तो भगवान रघुनाथ की अध्यक्षता में मनाए जाने वाले उत्सव में देवरथों को कहां बिठाया जाएगा.
ढालपुर में पिछले तीन-चार सालों से देवी-देवताओं की बढ़ती संख्या के कारण उन्हें बिठाने का मसला हल नहीं हो पाया है. ऐसे में दशहरा उत्सव समिति के लिए यह एक बड़ी समस्या है कि 331 देवी-देवताओं को वह कहां बिठाएंगे.
बता दें कि अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव के लिए समिति पहले 292 देवी-देवताओं को बुलाती थी, जिसके बाद इसकी संख्या बढ़ाकर 305 कर दी गई थी. ऐसे में देवी-देवताओं की संख्या बढ़ने लगी और उन्हें बिठाने के लिए जगह कम पड़ने लग गई थी. जिससे अधिक देवी-देवताओं को बुलाने पर इस वर्ष देव समाज भी दो धड़ों में बंट गया है. कारदार संघ के महासचिव नारायण चौहान का कहना है कि देवी-देवताओं को निमंत्रण प्रशासन देता है तो बिठाने की जगह भी प्रशासन को ही देनी चाहिए.
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जिला देवी देवता कारदार संघ के पूर्व अध्यक्ष दोत राम ठाकुर ने कहा कि हर वर्ष दशहरा में देवी-देवताओं की संख्या बढ़ रही है और उनको बिठाने की जगह को लेकर तीन सालों से विवाद चल रहा है. उन्होंने कहा कि एक देवी देवताओं को रहने के लिए कम से कम तीन तंबुओं की जरूरत पड़ती है. जिसमें एक में देवरथ, दूसरे में बजंतरी और तीसरे में कारकून तथा देवलु शामिल रहते हैं.
उन्होंने यह भी कहा कि दशहरा उत्सव में अगर हाथी लाने हैं तो दरवाजे ऊंचे करने होंगे. हमारी प्रशासन से मांग है कि वह जल्द कारदारों की बैठक बुलाएं. दशहरा में देवताओं को बुलाना अच्छी बात है, लेकिन उनके ठहरने व रहने की व्यवस्था के लिए भी प्रशासन को सोचना होगा.