कुल्लू: जिला कुल्लू के ढालपुर मैदान में जहां अंतरराष्ट्रीय दशहरे (Kullu Dussehra 2022) की धूम मची हुई है, तो वहीं सैकड़ों देवी देवता यहां अपने-अपने अस्थाई शिविरों में विराजमान हैं. रोजाना हजारों की संख्या में श्रद्धालु देवी देवताओं के दर्शनों के लिए यहां पहुंच रहे हैं. अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव में भाग लेने के लिए जहां एक ओर खराहल घाटी से बिजली महादेव तो वहीं मणिकर्ण घाटी से माता पार्वती यहां विराजमान हुई हैं. इसके अलावा उझि घाटी से भगवान गणपति भी अपनों के साथ यहां पहुंचे हुए हैं. (International Kullu dussehra festival).
भगवान बिजली महादेव का मंदिर खराहलघाटी में स्थित (Bijli Mahadev Temple) है. जबकि माता पार्वती मणिकर्ण घाटी के चोंग गांव में अपने मंदिर में विराजमान रहती हैं. वहीं, भगवान गणपति उझी घाटी के घुड़दौड़ गांव और कार्तिक भगवान मनाली के सिमसा गांव में विराजमान रहते हैं. इन देवताओं के दर्शनों के लिए श्रद्धालुओं को अलग-अलग इलाकों का रुख करना पड़ता है. लेकिन दशहरा उत्सव में 7 दिनों तक भगवान बिजली महादेव, माता पार्वती, भगवान गणेश एक जगह पर श्रद्धालुओं को दर्शन देते हैं.
कहते हैं कि मणिकर्ण घाटी (Manikarn Valley of Kullu) की आराध्य माता पार्वती जोड़ियां भी बनाती है, ऐसे में कई लोग अपनी मनोकामना लेकर यहां पहुंचते हैं. वहीं, जिस दंपती के बच्चे नहीं होते, वे भी अपनी इच्छा लेकर माता पार्वती के दरबार में आते हैं. मान्यता के अनुसार यहां पहले भगवान गणेश के दर्शन करने पड़ते हैं, उसके बाद ही माता पार्वती और बिजली महादेव अपकी प्रार्थन सुनते हैं. ढालपुर अस्पताल के समीप शिविर में हर दिन भजन कीर्तन व दूर-दूर से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए भोजन की व्यवस्था भी की गई है. शिव शक्ति के दर्शन करने हर दिन हजारों श्रद्धालु यहां पहुंच रहे हैं और अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए प्रार्थना कर रहे हैं. रोजाना सुबह के समय इन शिविरों में परंपरा के अनुसार पूजा अर्चना की जाती है और रात के समय आरती होती है.
देवता बिजली महादेव के पुजारी तीर्थ राम ने बताया कि खराहल घाटी में भी श्रद्धालु इनके दर्शनों को पहुंचते हैं और सावन माह में विशेष रुप से यहां पर मेले का आयोजन किया जाता है. दशहरा उत्सव में भगवान 7 दिनों तक कुल्लू के ढालपुर मैदान में विराजते हैं और श्रद्धालुओं की मनोकामना पूरी करते हैं. वहीं, देवी देवताओं के दर्शन करने आए श्रद्धालु देवेंद्र कुमार ने बताया कि साल के बाकी समय इनके दर्शनों के लिए अलग-अलग इलाकों का रुख करना पड़ता है. लेकिन अच्छी बात है कि दशहरा उत्सव में तीनों देवी देवता एक ही स्थान पर विराजते हैं. जिससे श्रद्धालुओं को भी एक जगह पर इन देवी देवताओं के दर्शन करने की सुविधा मिल पाती है.
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