कुल्लू: देश भर में होली का त्योहार जहां 8 मार्च को मनाया जाएगा. वहीं , इसके ठीक 8 दिन पहले ही होलाष्टक शुरू हो जाएगा. होलाष्टक शुरू होने पर धार्मिक कार्यों पर ब्रेक लग जाएगा. अब की बार यह होलाष्टक 27 फरवरी से शुरू होगा और इसी दिन से 8 मार्च तक शुभ कार्यों पर ब्रेक लग जाएगा.
रात 1 बजकर 1 मिनट पर शुरू होगा होलाष्टक : हिंदू शास्त्रों के अनुसार होलाष्टक के दिनों में शुभ कार्य करना वर्जित माना गया है. होलाष्टक फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से शुरू होकर पूर्णिमा तक होता है और होलिका दहन के साथ ही होलाष्टक का भी समापन हो जाता है. इस साल 27 फरवरी सोमवार रात 1 बजकर 1 मिनट से होलाष्टक शुरू हो जाएंगे और 7 मार्च को होलिका दहन के साथ ही होलाष्टक समाप्त हो जाएंगे.
सभी ग्रह अस्त हो जाते: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा के पहले 8 दिन जो होलाष्टक होते हैं, उसमें सभी ग्रह अस्त हो जाते हैं और इन दिनों यह ग्रह अस्त होकर व्यक्ति को अशुभ फल प्रदान करते हैं. इसी कारण से होलाष्टक के दिनों में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता. अगर कोई व्यक्ति शुभ कार्य करता है तो उसका फल उसे शुभ नहीं मिल पाता. वहीं, होलाष्टक के दिनों में गृह प्रवेश, शादी, मुंडन व नए वाहन भी नहीं खरीदे जाते हैं.
भगवान शिव और विष्णु की आराधना: हिंदू शास्त्र के अनुसार होलाष्टक के दिन भगवान विष्णु और भगवान शिव की उपासना की जानी चाहिए. अगर व्यक्ति किसी रोग से ग्रसित है या कोई स्वास्थ्य की गंभीर समस्या है तो व्यक्ति होलाष्टक के 8 दिनों तक महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए. ऐसे में उसे असाध्य रोग से भी मुक्ति मिलती है और अकाल मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है.
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त: फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन होलिका दहन किया जाता और होलिका दहन के साथ ही होलाष्टक भी समाप्त हो जाता है. ऐसे में अबकी बार 6 मार्च को पूर्णिमा के दिन शाम 6 बजकर 4 मिनट से होलिका दहन का मुहूर्त शुरू होगा, जो अगले दिन यानी 7 मार्च को शाम 6 बजकर 9 मिनट तक रहेगा. ऐसे में 7 मार्च को शाम 6 बजकर 9 तक होलिका दहन किया जा सकेगा.
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