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अटल टनल की स्मृतियों के साथ विदा हुए छेरिंग दोरजे, हिमाचल में शोक की लहर

कोरोना संक्रमित हुए प्रसिद्ध साहित्यकार 85 वर्षीय छेरिंग दोरजे का शुक्रवार सुबह निधन हो गया. उन्होंने हिमाचल प्रदेश के जनजातीय जिला लाहौल स्पीति को एक अलग पहचान दिलाई थी. उनका 10 नवंबर को कुल्लू अस्पताल में कोरोना टेस्ट करवाया गया था, जिसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी. 12 नवंबर की रात तबीयत बिगड़ने पर उन्हें मेडिकल कॉलेज नेरचौक रेफर किया गया था. वहां शुक्रवार सुबह उनका निधन हुआ.

छेरिंग दोरजे
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Published : Nov 13, 2020, 2:29 PM IST

कुल्लू: कोरोना संक्रमण ने हिमाचल प्रदेश को बड़ा झटका दिया है. कोरोना संक्रमित हुए प्रसिद्ध साहित्यकार 85 वर्षीय छेरिंग दोरजे का शुक्रवार सुबह निधन हो गया. छेरिंग दोरजे ने साहित्य के क्षेत्र में दुनियाभर में नाम कमाया था. अटल टनल रोहतांग के निर्माण में भी उनका अहम योगदान था.

उन्होंने हिमाचल प्रदेश के जनजातीय जिला लाहौल स्पीति को एक अलग पहचान दिलाई थी. दोरजे गत दिनों कोरोना महामारी की चपेट में आ गए थे. उनका 10 नवंबर को कुल्लू अस्पताल में कोरोना टेस्ट करवाया गया था, जिसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी. उसके बाद वह भुंतर स्थित तेगूबेहड़ कोरोना केयर सेंटर में उपचाराधीन थे.

वहीं, 12 नवंबर की रात तबीयत बिगड़ने पर उन्हें मेडिकल कॉलेज नेरचौक रेफर किया गया था. वहां शुक्रवार सुबह उनका निधन हुआ. उनके बड़े बेटे भी कोरोना संक्रमित थे. बेटे के संपर्क में आने के कारण वह भी कोरोना संक्रमित हो गए थे. उनके बेटे का नेरचौक में उपचार हो रहा था.

बेटा कोरोना से जंग जीत गया, लेकिन छेरिंग दोरजे नहीं बच सके. छेरिंग दोरजे के परिवार में पत्नी और दो बेटे हैं. छेरिंग दोरजे भोटी भाषा के विद्धान रहे हैं. वह डीपीआरओ के पद से सेवानिवृत्त हुए थे. हिमालय के संबंध में उन्हें काफी अधिक ज्ञान था. देशभर से विद्वान उनके पास जानकारी लेने के लिए आते थे.

छेरिंग दोरजे अखिल भारतीय इतिहास संकलन समिति के प्रदेश उपाध्यक्ष भी रहे और मार्गदर्शक भी थे. उनका बौन धर्म के लिए भी खास योगदान रहा है. वह बौन धर्म के भी हिमाचल प्रदेश के एकमात्र विद्वान थे. बौन धर्म को तिब्बत में लोग बौद्ध धर्म से पूर्व मानते थे.

कुल्लू: कोरोना संक्रमण ने हिमाचल प्रदेश को बड़ा झटका दिया है. कोरोना संक्रमित हुए प्रसिद्ध साहित्यकार 85 वर्षीय छेरिंग दोरजे का शुक्रवार सुबह निधन हो गया. छेरिंग दोरजे ने साहित्य के क्षेत्र में दुनियाभर में नाम कमाया था. अटल टनल रोहतांग के निर्माण में भी उनका अहम योगदान था.

उन्होंने हिमाचल प्रदेश के जनजातीय जिला लाहौल स्पीति को एक अलग पहचान दिलाई थी. दोरजे गत दिनों कोरोना महामारी की चपेट में आ गए थे. उनका 10 नवंबर को कुल्लू अस्पताल में कोरोना टेस्ट करवाया गया था, जिसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी. उसके बाद वह भुंतर स्थित तेगूबेहड़ कोरोना केयर सेंटर में उपचाराधीन थे.

वहीं, 12 नवंबर की रात तबीयत बिगड़ने पर उन्हें मेडिकल कॉलेज नेरचौक रेफर किया गया था. वहां शुक्रवार सुबह उनका निधन हुआ. उनके बड़े बेटे भी कोरोना संक्रमित थे. बेटे के संपर्क में आने के कारण वह भी कोरोना संक्रमित हो गए थे. उनके बेटे का नेरचौक में उपचार हो रहा था.

बेटा कोरोना से जंग जीत गया, लेकिन छेरिंग दोरजे नहीं बच सके. छेरिंग दोरजे के परिवार में पत्नी और दो बेटे हैं. छेरिंग दोरजे भोटी भाषा के विद्धान रहे हैं. वह डीपीआरओ के पद से सेवानिवृत्त हुए थे. हिमालय के संबंध में उन्हें काफी अधिक ज्ञान था. देशभर से विद्वान उनके पास जानकारी लेने के लिए आते थे.

छेरिंग दोरजे अखिल भारतीय इतिहास संकलन समिति के प्रदेश उपाध्यक्ष भी रहे और मार्गदर्शक भी थे. उनका बौन धर्म के लिए भी खास योगदान रहा है. वह बौन धर्म के भी हिमाचल प्रदेश के एकमात्र विद्वान थे. बौन धर्म को तिब्बत में लोग बौद्ध धर्म से पूर्व मानते थे.

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