शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने आनी को नगर पंचायत बनाने वाली अधिसूचना को गैर कानूनी ठहराने वाले आदेश के खिलाफ दाखिल की गई पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया है. मामले के अनुसार हाईकोर्ट ने 15 अक्टूबर 2022 को ग्राम पंचायत आनी के गठन की अधिसूचना को खारिज किया था. इस पर पुनर्विचार याचिका दाखिल की गई थी. हाईकोर्ट ने इस पुनर्विचार याचिका को भी खारिज कर दिया.
पुनर्विचार याचिका दायर की गई: प्रार्थी गुलाब सिंह ठाकुर व अन्यों ने ये पुनर्विचार याचिका दायर की थी. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने पुनर्विचार याचिका खारिज की है. पिछले साल हाईकोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट किया था कि यदि आने वाले समय में आनी का नगर पंचायत के रूप में गठन करना हो तो कानून के अनुसार सारी प्रक्रिया अमल में लाई जाए. उसके बाद सरकार ने आनी को नगर पंचायत बनाए जाने से जुड़ी कानूनी प्रक्रिया शुरू कर दी.
27 अक्टूबर 2022 को दी गई चुनौती: मामले के अनुसार चेतराम व अन्य प्रार्थियों ने 27 अक्टूबर 2022 को आनी को नगर पंचायत बनाए जाने संबंधी अधिसूचना को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. राज्य सरकार ने ग्राम पंचायत बखनाओ से मंझादेश, आनी से फरैनली, कराना पंचायत से कराना गांव को, कुंगस पंचायत से कुंगस गांव को और नमहोग पंचायत से जबान गांव को निकालते हुए नगर पंचायत आनी का गठन करने की अधिसूचना जारी की थी. इस प्रक्रिया को लेकर आरोप लगाया गया था कि कुल्लू जिले के उपायुक्त ने बिना किसी प्रस्ताव के खुद ही नगर पंचायत आनी बनाए जाने की कवायद शुरू कर दी थी.
मामले में अगला मोड़ आया: प्रार्थियों के अनुसार उनकी आपत्तियों पर विचार किए बिना ही नगर पंचायत के गठन की अंतिम अधिसूचना जारी कर दी गई थी. इस पर अदालत ने प्रार्थियों की दलीलों से सहमति जताते हुए आनी नगर पंचायत के गठन की अधिसूचना को गैरकानूनी ठहराते हुए खारिज कर दिया था, फिर मामले में अगला मोड़ आया. इस साल 16 मई को सरकार की ओर से नगर पंचायत आनी के गठन के लिए कुछ क्षेत्रों को इसमें शामिल करने की अधिसूचना जारी कर दी है. हाईकोर्ट ने भी आनी को नगर पंचायत बनाने वाली अधिसूचना को गैर कानूनी ठहराने वाले आदेश के खिलाफ दाखिल की गई पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया. अब राज्य सरकार का रास्ता साफ हो गया है.
छावनी क्षेत्र सुबाथू पानी की दरों को बढ़ाने का फैसला निरस्त: वहीं, एक अन्य मामले में हाईकोर्ट ने सोलन जिले के छावनी एरिया में रहने वाली जनता को राहत देते हुए छावनी बोर्ड द्वारा पानी की दरों को बढ़ाने के निर्णय को निरस्त कर दिया. बोर्ड के सिर्फ दो सदस्यों ने ही पानी की दर को प्रति एक हजार लीटर में आठ रुपये से बढ़ाकर 53.50 रुपये करने का फैसला लिया था. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने निखिल गुप्ता की याचिका को स्वीकार करते हुए यह निर्णय सुनाया.
छावनी एक लोकतांत्रिक संस्था: अदालत ने अपने निर्णय में कहा कि जब छावनी को संविधान के अनुसार नगर पालिका माना जाता है तो इस तथ्य से इंकार नहीं किया जा सकता है कि छावनी एक लोकतांत्रिक संस्था है. इस कारण सरकारी अधिकारियों का निर्णय मान्य न होकर छावनी के ऐसे सदस्य जो सरकारी अधिकारी नहीं है, उनका फैसला अंतिम माना जाता है. प्रार्थी ने आरोप लगाया था कि सुबाथू छावनी बोर्ड के सिर्फ दो सदस्यों ने ही 19 जुलाई 2021 को दरें बढ़ाने का प्रस्ताव पारित किया. याचिका में दलील दी गई थी कि छावनी बोर्ड की ओर से लिया गया यह निर्णय संविधान के प्रावधानों के विपरीत है. अदालत को बताया गया था कि पहले यह बोर्ड फरवरी 2021 को निरस्त हो गया था. इसके बाद सिर्फ दो सदस्यों की ओर से ही लिया गया निर्णय न्यायोचित नहीं है.
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