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सेब के लिए 'वरदान' साबित हुई बर्फबारी, प्रूनिंग का काम शुरू कर सकते हैं बागवान

कुल्लू में बीते दिन हुई बर्फबारी से घाटी का तापमान काफी कम हो गया है. बर्फबारी को घाटी की सेब की फसल के लिए संजीवनी माना जा रहा है. घाटी के बागवानों ने कहा कि पिछले 3 महीने घाटी में सूखा रहा. उन्होंने कहा कि बर्फबारी के बाद मौसम खुलने पर बागवान सेब के बगीचों में प्रूनिंग व तौलिया बनाने का काम शुरू कर सकते हैं.

ताजा बर्फबारी
ताजा बर्फबारी
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Published : Nov 28, 2020, 1:33 PM IST

कुल्लू: जिला कुल्लू में बीते दिन हुई बर्फबारी से घाटी का तापमान काफी कम हो गया है. कुल्लू-मनाली की पहाड़ियां बर्फ से सफेद हो गई हैं. पिछले हफ्ते कुल्लू-मनाली का तापमान 12 से 15 डिग्री सेल्सियस के बीच था और अब यह तापमान 6 से 8 डिग्री सेल्सियस के बीच हो गया है. रात के समय तापमान 0 तक पहुंच रहा है, लेकिन यह बर्फबारी घाटी के बागवानों के लिए खुशखबरी लेकर आई है.

सेब के लिए अच्छी बर्फबारी

बर्फबारी को कुल्लू घाटी की सेब की फसल के लिए संजीवनी माना जा रहा है. बागवानी अनुसंधान केंद्र बजौरा के बागवानी वैज्ञानिकों के अनुसार सेब की फसल को 1200 से 1600 घंटे तक चिलिंग ऑवर्स की आवश्यकता रहती है. अगर आने वाले समय में भी मौसम अनुकूल रहा तो चिलिंग ऑवर्स पूरे होने पर सेब की बंपर फसल होने के आसार हैं.

3 महीने कुल्लू में रहा सूखा

घाटी के बागवानों ने कहा कि पिछले 3 महीने घाटी में सूखा रहा. इससे बागवानों की चिंताएं बढ़ गई थीं. बागवान सेब के तौलिए आदि बनाने का काम नहीं कर पा रहे थे. ऐसे में ताजा बर्फबारी से बागवानों को बंपर पैदावार होने की उम्मीदें जगी हैं. इस संबंध में कुल्लू फलोत्पादक मंडल के अध्यक्ष प्रेम शर्मा का कहना है कि कुदरत बागवानों का साथ दे रही है.

प्रूनिंग व तौलिया का काम शुरू करें

अब बागवानों को अपना हिस्से की मेहनत करके इसे कैश करने का प्रयास करना होगा. उन्होंने कहा कि बर्फबारी के बाद मौसम खुलने पर बागवान सेब के बगीचों में प्रूनिंग व तौलिया बनाने का काम शुरू कर सकते हैं.

कुल्लू: जिला कुल्लू में बीते दिन हुई बर्फबारी से घाटी का तापमान काफी कम हो गया है. कुल्लू-मनाली की पहाड़ियां बर्फ से सफेद हो गई हैं. पिछले हफ्ते कुल्लू-मनाली का तापमान 12 से 15 डिग्री सेल्सियस के बीच था और अब यह तापमान 6 से 8 डिग्री सेल्सियस के बीच हो गया है. रात के समय तापमान 0 तक पहुंच रहा है, लेकिन यह बर्फबारी घाटी के बागवानों के लिए खुशखबरी लेकर आई है.

सेब के लिए अच्छी बर्फबारी

बर्फबारी को कुल्लू घाटी की सेब की फसल के लिए संजीवनी माना जा रहा है. बागवानी अनुसंधान केंद्र बजौरा के बागवानी वैज्ञानिकों के अनुसार सेब की फसल को 1200 से 1600 घंटे तक चिलिंग ऑवर्स की आवश्यकता रहती है. अगर आने वाले समय में भी मौसम अनुकूल रहा तो चिलिंग ऑवर्स पूरे होने पर सेब की बंपर फसल होने के आसार हैं.

3 महीने कुल्लू में रहा सूखा

घाटी के बागवानों ने कहा कि पिछले 3 महीने घाटी में सूखा रहा. इससे बागवानों की चिंताएं बढ़ गई थीं. बागवान सेब के तौलिए आदि बनाने का काम नहीं कर पा रहे थे. ऐसे में ताजा बर्फबारी से बागवानों को बंपर पैदावार होने की उम्मीदें जगी हैं. इस संबंध में कुल्लू फलोत्पादक मंडल के अध्यक्ष प्रेम शर्मा का कहना है कि कुदरत बागवानों का साथ दे रही है.

प्रूनिंग व तौलिया का काम शुरू करें

अब बागवानों को अपना हिस्से की मेहनत करके इसे कैश करने का प्रयास करना होगा. उन्होंने कहा कि बर्फबारी के बाद मौसम खुलने पर बागवान सेब के बगीचों में प्रूनिंग व तौलिया बनाने का काम शुरू कर सकते हैं.

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