कुल्लू: लोकसभा चुनाव 2019 के घोषित होने और आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू होने से सरकार के नीतिगत निर्णय लेने की क्षमता पर रोक लगी है जिससे अब फोरलेन प्रभावित भी दोराहे पर आ खड़े हुए हैं. सरकार द्वारा फोरलेन मामले में चार गुना मुआवजे व अन्य मुद्दों पर कोई निर्णय न लेने से प्रभावित चिंता व रोष में हैं. 6 मार्च 2019 को आदर्श चुनाव आचार संहिता से पहले हुई आखिरी कैबिनेट बैठक में फोरलेन प्रभावितों के मुद्दे का निपटारा होने की उम्मीद प्रभावितों ने लगा रखी थी, लेकिन इस बैठक में फोरलेन मुद्दा एजेंडा में न आना प्रभावितों की आशाओं पर पानी फेरते हुए उनकी चिंताओं को बढ़ा गया.
रविवार को लागू हुई आदर्श चुनाव आचार संहिता से अब ये मुद्दे लंबे समय के लिए टल गये हैं. जनता के इन मुद्दों पर सरकार की असंवेदनशीलता के चलते फोरलेन प्रभावित अपनी अगली रणनीति तय करने को मजबूर हो रहे हैं. वहीं, फोरलेन प्रभावितों का मुद्दा लोकसभा चुनाव में गर्माहट लाकर लाभ-हानि का सौदा साबित हो सकता है.फोरलेन संघर्ष समिति ने तय किया कि आचार संहिता व चुनाव के चलते वे अपनी मांगों को ठण्डे बस्ते में नहीं जाने देंगे. क्योंकि प्रभावितों को डर है कि अफसरशाही, बहानेबाजी करके समय धकेलने का प्रयास कर रही है. जबकि चार गुणा मुआवजे की बात भाजपा के विजन डॉक्यूमेंट में है.
संघर्ष समिति के महासचिव ब्रजेश महन्त ने बताया कि अब फोरलेन संघर्ष समिति की कोर कमेटी इस विषय पर गंभीर मंथन करेगी और 17 अप्रैल 2019 को प्रभावितों की एक बड़ी बैठक कुल्लू में की जायेगी. इसमें चार गुना मुआवजे के साथ-साथ पुनस्र्थापन व पुनर्वास, टीसीपी, 5 मीटर रोडसाइड कंट्रोल विड्थ जैसे मुद्दों पर प्रदेश सरकार के रुख व आने वाले लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए भविष्य की रणनीति तय की जायेगी.