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फोरलेन प्रभावितों की मांगों पर सरकार ने नहीं लिया कोई फैसला, अब लोस चुनाव में गर्माहट लाएगा ये मुद्दा!

लोकसभा चुनाव 2019 के घोषित होने और आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू होने से सरकार के नीतिगत निर्णय लेने की क्षमता पर रोक लगी है जिससे अब फोरलेन प्रभावित भी दोराहे पर आ खड़े हुए हैं. सरकार द्वारा फोरलेन मामले में चार गुना मुआवजे व अन्य मुद्दों पर कोई निर्णय न लेने से प्रभावित चिंता व रोष में हैं.

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Published : Mar 15, 2019, 2:15 PM IST

forlane affected people

कुल्लू: लोकसभा चुनाव 2019 के घोषित होने और आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू होने से सरकार के नीतिगत निर्णय लेने की क्षमता पर रोक लगी है जिससे अब फोरलेन प्रभावित भी दोराहे पर आ खड़े हुए हैं. सरकार द्वारा फोरलेन मामले में चार गुना मुआवजे व अन्य मुद्दों पर कोई निर्णय न लेने से प्रभावित चिंता व रोष में हैं. 6 मार्च 2019 को आदर्श चुनाव आचार संहिता से पहले हुई आखिरी कैबिनेट बैठक में फोरलेन प्रभावितों के मुद्दे का निपटारा होने की उम्मीद प्रभावितों ने लगा रखी थी, लेकिन इस बैठक में फोरलेन मुद्दा एजेंडा में न आना प्रभावितों की आशाओं पर पानी फेरते हुए उनकी चिंताओं को बढ़ा गया.

forlane affected people
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रविवार को लागू हुई आदर्श चुनाव आचार संहिता से अब ये मुद्दे लंबे समय के लिए टल गये हैं. जनता के इन मुद्दों पर सरकार की असंवेदनशीलता के चलते फोरलेन प्रभावित अपनी अगली रणनीति तय करने को मजबूर हो रहे हैं. वहीं, फोरलेन प्रभावितों का मुद्दा लोकसभा चुनाव में गर्माहट लाकर लाभ-हानि का सौदा साबित हो सकता है.फोरलेन संघर्ष समिति ने तय किया कि आचार संहिता व चुनाव के चलते वे अपनी मांगों को ठण्डे बस्ते में नहीं जाने देंगे. क्योंकि प्रभावितों को डर है कि अफसरशाही, बहानेबाजी करके समय धकेलने का प्रयास कर रही है. जबकि चार गुणा मुआवजे की बात भाजपा के विजन डॉक्यूमेंट में है.
संघर्ष समिति के महासचिव ब्रजेश महन्त ने बताया कि अब फोरलेन संघर्ष समिति की कोर कमेटी इस विषय पर गंभीर मंथन करेगी और 17 अप्रैल 2019 को प्रभावितों की एक बड़ी बैठक कुल्लू में की जायेगी. इसमें चार गुना मुआवजे के साथ-साथ पुनस्र्थापन व पुनर्वास, टीसीपी, 5 मीटर रोडसाइड कंट्रोल विड्थ जैसे मुद्दों पर प्रदेश सरकार के रुख व आने वाले लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए भविष्य की रणनीति तय की जायेगी.

कुल्लू: लोकसभा चुनाव 2019 के घोषित होने और आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू होने से सरकार के नीतिगत निर्णय लेने की क्षमता पर रोक लगी है जिससे अब फोरलेन प्रभावित भी दोराहे पर आ खड़े हुए हैं. सरकार द्वारा फोरलेन मामले में चार गुना मुआवजे व अन्य मुद्दों पर कोई निर्णय न लेने से प्रभावित चिंता व रोष में हैं. 6 मार्च 2019 को आदर्श चुनाव आचार संहिता से पहले हुई आखिरी कैबिनेट बैठक में फोरलेन प्रभावितों के मुद्दे का निपटारा होने की उम्मीद प्रभावितों ने लगा रखी थी, लेकिन इस बैठक में फोरलेन मुद्दा एजेंडा में न आना प्रभावितों की आशाओं पर पानी फेरते हुए उनकी चिंताओं को बढ़ा गया.

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रविवार को लागू हुई आदर्श चुनाव आचार संहिता से अब ये मुद्दे लंबे समय के लिए टल गये हैं. जनता के इन मुद्दों पर सरकार की असंवेदनशीलता के चलते फोरलेन प्रभावित अपनी अगली रणनीति तय करने को मजबूर हो रहे हैं. वहीं, फोरलेन प्रभावितों का मुद्दा लोकसभा चुनाव में गर्माहट लाकर लाभ-हानि का सौदा साबित हो सकता है.फोरलेन संघर्ष समिति ने तय किया कि आचार संहिता व चुनाव के चलते वे अपनी मांगों को ठण्डे बस्ते में नहीं जाने देंगे. क्योंकि प्रभावितों को डर है कि अफसरशाही, बहानेबाजी करके समय धकेलने का प्रयास कर रही है. जबकि चार गुणा मुआवजे की बात भाजपा के विजन डॉक्यूमेंट में है.
संघर्ष समिति के महासचिव ब्रजेश महन्त ने बताया कि अब फोरलेन संघर्ष समिति की कोर कमेटी इस विषय पर गंभीर मंथन करेगी और 17 अप्रैल 2019 को प्रभावितों की एक बड़ी बैठक कुल्लू में की जायेगी. इसमें चार गुना मुआवजे के साथ-साथ पुनस्र्थापन व पुनर्वास, टीसीपी, 5 मीटर रोडसाइड कंट्रोल विड्थ जैसे मुद्दों पर प्रदेश सरकार के रुख व आने वाले लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए भविष्य की रणनीति तय की जायेगी.

फोरलेन प्रभावित 17 अप्रैल को कुल्लू में करेेंगे निर्णायक फैसला
कुल्लू
  लोकसभा चुनाव 2019 के घोषित होने व आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू होने से सरकार के नीतिगत निर्णय लेने की क्षमता पर लगी रोक से फोरलेन प्रभावित दोराहे पर आ खड़े हुए है। सरकार द्वारा फोरलेन मामले में चार गुना मुआवजे व अन्य मुद्दों पर कोई निर्णय न लेने से प्रभावित चिंता व रोष में है। 6 मार्च 2019 को आदर्श चुनाव आचार संहिता से पहले हुई आखिरी कैबिनेट बैठक में फोरलेन प्रभावितों के मुद्दे का निपटारा होने की उम्मीद प्रभावितों ने लगा रखी थी। परन्तु इस बैठक में फोरलेन मुद्दा एजेंडा में न आना प्रभावितों की आशाओं पर पानी फेरते हुए उनकी ंिचंताओं को बढ़ा गया। रविवार को लागू हुई आदर्श चुनाव आचार संहिता से अब ये मुद्दे लंबे समय के लिए टल गये हैं। जनता के इन मुद्दों पर सरकार की असंवेदनशीलता के चलते फोरलेन प्रभावित अपनी अगली रणनीति तय करने को मजबूर हो रहे हैं। वहीं फोरलेन प्रभावितों का मुद्दा लोकसभा चुनाव में गर्माहट लाकर लाभ-हानि का सौदा साबित हो सकता है। जिसके चलते फोरलेन प्रभावितों ने गत दिनों कुल्लू के सर्किट हाऊस में इन नयी पैदा हुई परिस्थितियों के दृष्टिगत विचार-मंथन लिया। इस अवसर पर फोरलेन संघर्ष समिति के अध्यक्ष ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर, महासचिव ब्रजेश महन्त, कुल्लू खण्ड के अध्यक्ष विनोद महन्त, पण्डोह खण्ड के अध्यक्ष पवन शर्मा, युवा विंग के अध्यक्ष धर्मेन्द्र ठाकुर सहित वीरी सिंह ठाकुर, दुनी चन्द शर्मा, अनिल शर्मा, वीरेन्द्र पठानिया, भीमसेन, शम्मी, सुभाष, राजेन्द्र, चमन, गोबिन्द, पवन, अरनिन्द्र, ईश्वर, चुनी लाल, रुपेन्द्र सहित दर्जनों लोगों ने भाग लेकर, हजारों फोरलेन प्रभावितों की ओर से सरकार की असंवेदनशीलता पर रोष जताया। समिति ने तय किया कि आचार संहिता व चुनाव के चलते वे अपनी मांगों को ठण्डे बस्ते में नहीं जाने देंगे। क्योंकि प्रभावितों को डर है कि अफसरशाही, बहानेबाजी करके समय धकेलने का प्रयास कर रही है। जबकि चार गुणा मुआवजे की बात भाजपा के विजन डाॅक्यूमेंट में है। 
   फोरलेन संघर्ष समिति के महासचिव ब्रजेश महन्त ने बताया कि अब फोरलेन संघर्ष समिति की कोर कमेटी इस विषय पर गंभीर मंथन करेगी व 17 अप्रैल 2019 को प्रभावितों की एक बड़ी बैठक कुल्लू में की जायेगी जिसमें चार गुणा मुआवजे के साथ-साथ पुनस्र्थापन व पुनर्वास, टीसीपी, 5 मीटर रोडसाइड कंट्रोल विड्थ जैसे मुद्दों पर प्रदेश सरकार के रुख व आने वाले लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए भविष्य की रणनीति तय की जायेगी। 



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