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बंजार घाटी में मुखौटा लगाकर नृत्य कर रहे ग्रामीण, अश्लील जुमलों से भगाई बुरी शक्तियां!

कुल्लू के बंजार उपमंडल में फागली उत्सव शुरू हो गया है. घाटी में ये उत्सव एक अनूठी परंपरा के साथ मनाया जाता है. इस दौरान ग्रामीणों ने लकड़ी के मुखौटे पहने और शरूली घास का चोलू बनाकर खूब नृत्य किया. यहां सदियों से इस अनूठी परंपरा को निभाया जा रहा है.

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Published : Feb 16, 2019, 2:39 PM IST

फागली उत्सव

कुल्लू: जिला के बंजार उपमंडल के विभिन्न गांवों में फागली उत्सव शुरू हो गया है. उत्सव के मौके पर लकड़ी के मुखौटे और शरूली घास का चोलू बनाकर ग्रामीणों ने खूब नृत्य किया. यहां सदियों से अनूठी परंपरा निभाई जा रही है.

fagli utsav
फागली उत्सव

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देव कारकूनों का कहना है कि फागली उत्सव में मुखौटे लगाकर शरूली घास का चोला बनाकर नृत्य किया जाता है और सदियों से इस परंपरा का निर्वहन किया जा रहा है. उत्सव में मुखोटों के साथ नृत्य के साथ-साथ अश्लील जुमलों से बुरी शक्तियों को भगाया जाता है.
fagli utsav
फागली उत्सव

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उत्सव में बुरी शक्तियों को दूर भगाने के लिए ग्राम पंचायत नोहांडा का पेखड़ी तिंदर, तुंग पंचायत का गांव फरियाड़ी, शिल्ली पंचायत का गरूली और शरची पंचायत के शरची गांव में अश्लील जुमले गाए गए.
fagli utsav
फागली उत्सव

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गौर रहे कि इस उत्सव में बुराई पर अच्छाई, पाप पर पुण्य और अधर्म पर धर्म की विजय गाथाओं का गुणगान किया जाता है. इन गाथाओं को स्थानीय लोग परंपरागत तरीके से ढोल-नगाड़े, करनाही, शहनाई, डफला, भाणा, कांसा और काहुली की कलरव ध्वनि के साथ धूमधाम से गाते हैं और देवता की पालकी के साथ भाग लेते हैं, जिसमें स्थानीय देवता के नेतृत्व में इस फागली का आगाज होता है.

कुल्लू: जिला के बंजार उपमंडल के विभिन्न गांवों में फागली उत्सव शुरू हो गया है. उत्सव के मौके पर लकड़ी के मुखौटे और शरूली घास का चोलू बनाकर ग्रामीणों ने खूब नृत्य किया. यहां सदियों से अनूठी परंपरा निभाई जा रही है.

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फागली उत्सव

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देव कारकूनों का कहना है कि फागली उत्सव में मुखौटे लगाकर शरूली घास का चोला बनाकर नृत्य किया जाता है और सदियों से इस परंपरा का निर्वहन किया जा रहा है. उत्सव में मुखोटों के साथ नृत्य के साथ-साथ अश्लील जुमलों से बुरी शक्तियों को भगाया जाता है.
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फागली उत्सव

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उत्सव में बुरी शक्तियों को दूर भगाने के लिए ग्राम पंचायत नोहांडा का पेखड़ी तिंदर, तुंग पंचायत का गांव फरियाड़ी, शिल्ली पंचायत का गरूली और शरची पंचायत के शरची गांव में अश्लील जुमले गाए गए.
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फागली उत्सव

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गौर रहे कि इस उत्सव में बुराई पर अच्छाई, पाप पर पुण्य और अधर्म पर धर्म की विजय गाथाओं का गुणगान किया जाता है. इन गाथाओं को स्थानीय लोग परंपरागत तरीके से ढोल-नगाड़े, करनाही, शहनाई, डफला, भाणा, कांसा और काहुली की कलरव ध्वनि के साथ धूमधाम से गाते हैं और देवता की पालकी के साथ भाग लेते हैं, जिसमें स्थानीय देवता के नेतृत्व में इस फागली का आगाज होता है.
बंजार घाटी में मुखोटा लगाकर नृत्य कर रहे ग्रामीण
अश्लील जुमलों से भगाए जा रही बुरी शक्तियां
कुल्लू
जिला कुल्लू के बंजार की विभिन्न गांवों मे फागली उत्सव शुरू हो गया है। इस फागली उत्सव के मौके पर लकड़ी के मुखौटे और शरूली घास का चोलू बनाकर ग्रामीणों द्वारा खूब नृत्य किया गया। यहां सदियों से अनूठी परंपरा निभाई जा रही है। मुखटों के साथ नृत्य के साथ साथ अश्लील जुमलों से बुरी शक्तियों को भगाया जाता है। बंजार की तीर्थन घाटी में यह अनोखी परंपरा सदियों से जारी है। फागली उत्सव में बुरी शक्तियों को दूर भगाने के लिए ग्राम पंचायत नोहांडा का पेखड़ी तिंदर, तुंग पंचायत का गांव फरियाड़ी, शिल्ली पंचायत का गरूली तथा शरची पंचायत के शरची गांव में अश्लील जुमले गाए गए। देव कारकूनों का कहना है कि मुखौटे लगाकर शरूली घास का चोला बनाकर नृत्य किया गया। उन्होंने कहा कि इस परंपरा का सदियों से निर्वहन किया जा रहा है। गौर रहे कि इस उत्सव में बुराई पर अच्छाई और पाप पर पुण्य अधर्म पर धर्म की विजय गाथाओं का गुणगान किया जाता है। इन गाथाओं को स्थानीय लोग परंपरागत तरीके से ढोल-नगाड़े, करनाही, शहनाई, डफला, भाणा, कांसा और काहुली की कलरव ध्वनि के साथ धूमधाम से गाते हैं और देवता की पालकी के साथ भाग लेते हैं, जिसमें स्थानीय देवता के नेतृत्व में इस फागली का आगाज होता है।

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